बिना वेंटिलेटर के चल रहा सदर अस्पताल का आइसीयू वार्ड
मुंगेर. जिला मुख्यालय के सदर अस्पताल में वैसे तो लगातार आधारभूत संरचनाओं का विकास हो रहा है, लेकिन विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी के कारण मरीजों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य लाभ नहीं मिल पा रहा है. एक ओर मुंगेर सदर अस्पताल जहां चार साल से बिना सर्जन के चल रहा है. वहीं सालों से यहां एक भी हृदय रोग विशेषज्ञ नहीं है. जिसके कारण हृदय रोग के अधिकांश मरीजों समुचित इलाज के लिए बाहर जाना पड़ रहा है. इसका अंदाजा केवल इसी बात से लगाया जा सकता है कि 6 माह में सदर अस्पताल में हृदय रोग के कुल 153 मरीज भर्ती हुए. जिसमें 69 मरीज रेफर हो गये. जबकि 27 मरीजों की मौत इलाज के लिए दौरान हो गयी.सालों से सदर अस्पताल में नहीं है हृदय रोग विशेषज्ञ
सदर अस्पताल में वैसे तो पहले से ही चिकित्सकों की काफी कमी है. अस्पताल में चिकित्सकों के कुल स्वीकृत 32 पद पर मात्र 19 चिकित्सक ही कार्यरत है. जबकि इसमें एक भी हृदय रोग विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं है. हद तो यह है कि सदर अस्पताल में हृदय रोग के मरीजों के इलाज की जिम्मेदारी भी फिजिशियन चिकित्सक के कंधों पर ही है. जबकि ओपीडी में हृदय रोग के सामान्य मरीजों के इलाज की जिम्मेदारी आयुष चिकित्सक ही निभा रहे हैं. ऐसे में सदर अस्पताल में हृदय रोग पीड़ित मरीजों को मिलने वाले इलाज को खुद ही समझा जा सकता है.6 माह में अस्पताल में भर्ती हुए हृदय रोग के 153 मरीज, 69 रेफर, 27 मौत
सदर अस्पताल मुंगेर चिकित्सकों की कमी के कारण रेफरल अस्पताल बनकर रह गया है. जहां अधिकांश गंभीर मामलों में मरीजों को रेफर ही कर दिया जाता है. इसका अंदाजा केवल इसी बात से लगाया जा सकता है कि सितंबर 2024 से मार्च 2025 के 6 माह में सदर अस्पताल में हृदय रोग के कुल 153 मरीज इलाज के लिए भर्ती हुए. जिसमें 69 मरीजों को इलाज के लिए हायर सेंटर रेफर कर दिया गया. जबकि इस दौरान 27 मरीजों की इलाज के दौरान मौत हो गयी. वहीं केवल अप्रैल माह के 13 दिनों में ही सदर अस्पताल में हृदय रोग के 11 मरीज भर्ती हुए. जिसमें 8 मरीजों को रेफर कर दिया गया. जबकि एक मरीज की मौत हो गयी है. वैसे तो सदर अस्पताल में 7 बेड का आईसीयू वार्ड गंभीर मरीजों के लिए संचालित है. जहां नियमानुसार तो प्रत्येक बेड पर वेंटिलेटर की व्यवस्था होनी चाहिए, लेकिन मुंगेर सदर अस्पताल का आईसीयू वार्ड केवल कार्डियक मॉनिटर के भरोसे मरीजों को इलाज की सुविधा दे रहा है. जबकि लाखों का 11 वेंटिलेटर सालों से पीकू वार्ड में धूल फांक रहा है. जिसका लाभ न तो वहां भर्ती होने वाले बच्चों को मिल पा रहा है और न ही आईसीयू वार्ड के मरीजों को. कुल मिलाकर कहा जाये तो सदर अस्पताल का आईसीयू वार्ड मरीजों को समुचित इलाज उपलब्ध नहीं करा पा रहा है.चिकित्सकों की कमी के लिए विभाग को पहले ही जानकारी दे दी गयी है. हालांकि जल्द ही 100 बेड के मॉडल अस्पताल में आइसीयू वार्ड को भी शिफ्ट कर दिया जायेगा. जहां मरीजों को वेंटिलेटर की सुविधा भी मिलेगी.
डॉ विनोद कुमार सिन्हा, सिविल सर्जन
6 माह में भर्ती हृदय रोग मरीजों का आंकड़ा
माह भर्ती मरीज रेफर मौत
सितंबर 2024 12 4 5अक्तूबर 2024 26 11 1
नवंबर 2024 26 10 4दिसंबर 2024 18 8 5
जनवरी 2025 24 12 2फरवरी 2025 19 13 6
मार्च 2025 28 11 4डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है