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बदहाली : चार वर्षों से बिना वेंटिलेटर के चल रहा है आईसीयू, 5 माह में गयी 74 जान

आईसीयू वार्ड मॉडल अस्पताल में शिफ्ट नहीं हो पाया है,

सदर अस्पताल के पीकू वार्ड में धूल फांक रहा वेंटिलेटर, जिम्मेदार बने हैं लापरवाह

मुंगेर

सदर अस्पताल में वैसे ताे वर्षों से छह बेड का आईसीयू संचालित है. जबकि अब सदर अस्पताल को अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस 100 बेड का मॉडल अस्पताल भी मिल गया है. जहां अतिगंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों के लिये आधुनिक आईसीयू वार्ड भी बनाया गया है. हलांकि अबतक आईसीयू वार्ड मॉडल अस्पताल में शिफ्ट नहीं हो पाया है, लेकिन यहां संचालित आईसीयू वार्ड पिछले पांच सालों से बिना वेंटिलेटर के चल रहा है. जहां समुचित चिकित्सीय सुविधा के अभाव में मरीज जान गंवा रहे हैं. जबकि सात वेंटिलेटर फरवरी 2024 से ही पीकू वार्ड में धूल फांक रहा है.

लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग वैसे तो बिना मानक के संचालित अवैध स्वास्थ्य केंद्रों पर कार्रवाई का दावा करता रहा है. लेकिन जब खुद सदर अस्पताल बिना मानक के संचालित हो रहा हो, तो उसके विरूद्ध कार्रवाई कौन करेगा, क्योंकि सदर अस्पताल में बिना वेंटिलेटर का कौन सा आईसीयू वार्ड संचालित हो रहा है. यह सबसे बड़ा सवाल है.

बिना वेंटिलेटर सालों से चल रहा आईसीयू वार्ड

सदर अस्पताल में छह बेड क आईसीयू वार्ड संचालित है. जहां अति गंभीर मरीजों को भर्ती किया जाता है, सदर अस्पताल का आईसीयू वार्ड सालों से बिना वेंटिलेटर के ही संचालित हो रहा है. जबकि किसी भी आईसीयू वार्ड के लिये वेंटिलेटर सबसे महत्वपूर्ण उपकरण है. जो अति गंभीर मरीजों के लिये आवश्यक लाइफ सर्पोट होता है. जबकि इससे अलग सदर अस्पताल में बिना वेंटिलेटर के संचालित आईसीयू वार्ड में मरीज अपनी जान गंवा रहे हैं. खुद अस्पताल के आंकड़ों को देखें तो आईसीयू वार्ड में जनवरी से जून माह के 16 दिनों में अबतक कुल 74 मरीज की मौत हो गयी है. जबकि जनवरी माह में अबतक सर्वाधिक 16 मरीज अपनी जान गंवा चुके हैं. वहीं जून माह के 16 दिनों में ही सदर अस्पताल के आईसीयू वार्ड में 7 मरीजों की मौत हो चुकी है.

पूर्व सिविल सर्जन ने दिया था वेंटिलेटर लगाने का निर्देश

ऐसा नहीं है कि सदर अस्पताल के पास वेंटिलेटर की कमी है, क्योंकि अस्पताल के पास अपना लाखों रूपये का सात वेंटिलेटर है. हलांकि यह आईसीयू वार्ड में मरीजों को लाइफ सर्पोट देने की जगह पीकू वार्ड में फरवरी 2024 से ही धूल फांक रहा है. हद हो यह है कि खुद स्वास्थ्य विभाग कर्मियों के वेंटिलेटर संचालन को लेकर प्रशिक्षित नहीं होने की बात कहकर पल्ला झाड़ रहा है. वैसे तो आईसीयू वार्ड में वेंटिलेटर का संचालन चिकित्सक के मॉनिटरिंग में करना है. इसके कारण अबतक आईसीयू वार्ड में वेंटिलेटर नहीं लग पाया है. हद तो यह है कि साल 2024 में ही तत्कालीन सिविल सर्जन डा. विनोद कुमार सिन्हा ने आईसीयू वार्ड के निर्देश के दौरान वार्ड में वेंटिलेटर लगाने तथा इसका संचालन किये जाने का निर्देश अस्पताल प्रबंधन को दिया था. बावजूद एक साल बाद भी आईसीयू वार्ड में न तो वेंटिलेटर लग पाया है और न ही आईसीयू वार्ड में मरीजों की मौत का आंकड़ा कम हो पा रहा है.

इमरजेंसी वार्ड में कार्यरत चिकित्सक के भरोसे आईसीयू वार्ड

सदर अस्पताल में संचालित आईसीयू वार्ड की बदहाली का आलम यह है कि जहां सालों से वार्ड बिना वेंटिलेटर के चल रहा है. वहीं इसमें नियमित चिकित्सक की ड्यूटी तक नहीं है, क्योंकि तीनों शिफ्ट में आईसीयू वार्ड का संचालन इमरजेंसी वार्ड में तैनात चिकित्सक के भरोसे ही होता है. ऐसे में कई बार एक साथ आईसीयू व इमरजेंसी में गंभीर मामला आने के बाद मरीजों को चिकित्सक के आने का इंतजार करना पड़ता है. अब ऐसे में सदर अस्पताल में आईसीयू के मानक संचालन पर खुद बड़ा सवाल खड़ा होने लगा है.

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बॉक्स

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6 माह में 74 मरीज की आईसीयू वार्ड में हो चुकी है मौत

माह मौत

जनवरी 16

फरवरी 11

मार्च 14

अप्रैल 13

मई 13

जून 16 तारीख 7

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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