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108 एचडब्ल्यूसी के पास नहीं है अपना भवन, 87 बिना सीएचओ के भरोसे

108 एचडब्ल्यूसी के पास नहीं है अपना भवन, 87 बिना सीएचओ के भरोसे

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मुंगेर. जिले में एक ओर जहां लगातार स्वास्थ्य के आधारभूत संरचनाओं का विकास हो रहा है. वहीं जिले के दूर-दराज ग्रामीण क्षेत्रों तक स्वास्थ्य सुविधा को बेहतर बनाने के लिये स्वास्थ्य उपकेंद्रों को हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के रूप में डेवलप किया जा रहा है, लेकिन इस बीच जिले के स्वास्थ्य केंद्रों पर आधारभूत संरचनाओं के साथ चिकित्सक व कर्मियों की कमी लगातार परेशानी बढ़ा रही है. हाल यह है कि जिले के 154 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में जहां 108 एचडब्ल्यूसी जहां किराये के भवनों में संचालित हो रहा है. वहीं 87 एचडब्ल्यूसी का संचालन बिना स्थायी सीएचओ के हो रहा है.

मात्र 67 एचडब्ल्यूसी पर ही स्थायी सीएचओ

जिले में कुल 154 एचडब्ल्यूसी का संचालन हो रहा है. जिसमें मात्र 67 एचडब्ल्यूसी पर ही स्थायी सीएचओ हैं. जबकि शेष 87 एचडब्ल्यूसी का संचालन जीएनएम तथा एएनएम के भरोसे हो रहा है. हलांकि सरकार द्वारा दो साल पहले जिले में कुल 70 सीएचओ की नियुक्ति की गयी थी. जिसमें दो सीएचओ का स्थानांतरण दूसरे जिले में हो गया है. जबकि एचडब्ल्यूसी हेमजापुर की सीएचओ ममता कुमारी भी बीते दिनों दूसरे जगह चली गयी है. अब ऐसे में जिले में संचालित एचडब्ल्यूसी पर आमलोगों को मिल रहे स्वास्थ्य सुविधाओं का अंदाजा खुद की लगाया जा सकता है. जबकि आये दिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी के भ्रमण के दौरान कई एचडब्ल्यूसी के समय पर नहीं खुलने का मामला भी सामने आता है.

108 एचडब्ल्यूसी के पास नहीं है अपना भवन

जिले में संचालित कुल 108 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में केवल 45 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के पास ही अपना भवन है. जबकि शेष 108 एचडब्ल्यूसी के पास जमीन नहीं होने के कारण अपना भवन नहीं है. इसमें से अधिकांश एचडब्ल्यूसी का संचालन किराये के एक कमरे में हो रहा है. जहां एक ही कमरे में ओपीडी, एएनसी, जांच, एनसीडी आदि स्वास्थ्य सुविधाओं का संचालन किया जा रहा है. ऐसे में इन एचडब्ल्यूसी में मरीजों को बैठने की मूलभूत सुविधाएं तक नहीं मिल पा रही है.

2026 तक इन्क्वास सर्टिफिकेट हासिल करना चुनौती

सभी 152 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के लिये स्वास्थ्य विभाग को 2026 तक इन्क्वास सर्टिफिकेट हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है. ऐसे में जिले में किराये के एक कमरे में चल रहे 108 एचडब्ल्यूसी के लिये इन्क्वास सर्टिफिकेट हासिल करना स्वास्थ्य विभाग के लिये चुनौती भरा होने वाला है, क्योंकि इन्क्वास सर्टिफिकेट हासिल करने के लिये केंद्र में मिल रही स्वास्थ्य सुविधाओं का आंकलन कई इंडिकेटरों पर किया जाता है. जिसके लिये पहले स्टेट टीम द्वारा असेसमेंट किया जाता है. जिसके बाद सेंट्रल टीम द्वारा असेसमेंट किया जाता है.

कहते हैं सिविल सर्जन

सिविल सर्जन डा. विनोद कुमार सिन्हा ने बताया कि सीएचओ की कमी को लेकर विभाग को जानकारी दी गयी है. वहीं किराये के कमरों में संचालित एचडब्ल्यूसी के लिये जमीन का चयन किया जा रहा है. बीते दिनों 23 एचडब्ल्यूसी के लिये जमीन चयन कर विभाग को भेजा गया है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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