मधुबनी.
लगन व छुट्टी बीतने के बाद भी परदेश आने – जाने वाले यात्रियों को कंफर्म टिकट के लिए मशक्कत करनी पड़ सकती है. स्टेशन के पीआरएस काउंटर से वर्तमान में कंफर्म टिकट मिलना मुश्किल हो रहा है, हालांकि भारतीय रेलवे ने यात्रियों को बेहतर व सुलभ यात्रा के लिए पहले तत्काल टिकट प्रणाली में कई अहम बदलाव किया है. वहीं, विभिन्न ट्रेनों में उपलब्ध बर्थ का महज 20 प्रतिशत वेटिंग टिकट काटने के लिए गाइड लाइन जारी की है, ताकि वेटिंग टिकट यात्रियों द्वारा आरक्षित टिकट यात्रियों को होने वाली असुविधा नहीं हो. तत्काल टिकट के नये बदलाव के तहत यात्रियों को तत्काल टिकट बुकिंग के लिए एक जुलाई से आधार वेरिफिकेशन कराना जरूरी हो गया है. वहीं, 15 जुलाई से ऑनलाइन बुकिंग के लिए आधार आधारित ओटीपी सत्यापन अनिवार्य होगा. इसके अलावा एजेंट्स को भी तत्काल टिकट बुकिंग के लिए इंतजार करना होगा. नए नियम के तहत टिकट एजेंट्स से पहले आम लोग आसानी से तत्काल टिकट बुकिंग कर सकेंगे. नये सर्कुलर का मुख्य उद्देश्य तत्काल टिकट बुकिंग में धोखाधड़ी और दुरूपयोग को कम करना है. इसके साथ ही यह सुनिश्चित करना कि टिकट केवल वास्तविक यात्रियों को मिले. इसके अलावा प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाना एवं टिकटों की कालाबाजारी को रोकना है.स्लीपर में 13 अगस्त एवं एसी- 3 में 27 जुलाई के बाद मिलेगा कंफर्म टिकट
पीआरएस काउंटर से मिली जानकारी अनुसार, दूसरे परदेश जाने वाले यात्रियों को स्लीपर में 13 अगस्त के बाद व एसी- 3 में 27 जुलाई के बाद कंफर्म टिकट मिलेगा. ऐसे में आने जाने वाले यात्रियों को कंफर्म टिकट के लिए टिकट एजेंटों या फिर हवाई यात्रा एक मात्र विकल्प होगा. स्टेशन के रिजर्वेशन काउंटर से प्रतिदिन बमुश्किल एक से दो टिकट ही तत्काल में कंफर्म हो पाता है, जबकि तत्काल टिकट लेने वाले की संख्या काउंटर पर दर्जनों में रहता है. रेलवे सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, वर्तमान में दूसरे परदेश से आने वाले यात्रियों को अगस्त के दूसरे सप्ताह से कंफर्म टिकट उपलब्ध होगा. सबसे बड़ी बात यह है कि परदेश जाने वाले को भी एसी -3 में अगस्त के दूसरे सप्ताह एवं स्लीपर में जुलाई के अंतिम सप्ताह से कंफर्म टिकट मिलेगा. ऑनलाइन टिकट बुकिंग के कारण पीआरएस काउंटर पर टिकट बिक्री प्रभावित हुआ है.
पीआरएस काउंटर पर सुबह से लगी रहती है यात्रियों की भीड़
विडंबना है कि तत्काल टिकट के लिए पीआरएस काउंटर पर यात्रियों की भीड़ सुबह से ही लगी रहती है. इसके बाद भी पीआरएस काउंटर से एक या दो तत्काल टिकट ही उपलब्ध होता है. दूसरी ओर आम यात्रियों से किराये के रूप में तीन गुणा अधिक राशि की वसूली भी की जा रही है. मधुबनी से नयी दिल्ली का स्लीपर का किराया 575 रुपये है, जबकि इसी ट्रेन के थर्ड एसी का किराया 1505 रुपये है. जयनगर-अमृतसर एवं अमृतसर-जयनगर शहीद एवं सरयू यमुना एक्सप्रेस के 17 कोच में से 15 कोच एसी इकोनॉमी कर दिया गया है. इस एक्सप्रेस ट्रेन में महज दो कोच स्लीपर है. रेलवे से मिली जानकारी के अनुसार, शहीद एवं सरयू यमुना एक्सप्रेस में दो स्लीपर कोच, 10 कोच 3 एसी इकोनामिक क्लास, 4 सेकंड एसी एवं एक संयुक्त एसी कोच है. इसमें आधा फर्स्ट एसी एवं आधा सेकंड एसी कोच है. स्लीपर में 640 रुपये का टिकट है, वहीं थर्ड एसी में 1605 रुपये का किराया देना पड़ता है. जबकि सेकंड एसी में 2470 रुपये किराया देना पड़ता है. इसके पूर्व रेलवे द्वारा जयनगर नई दिल्ली स्वतंत्रता सेनानी सुपरफास्ट एक्सप्रेस व दरभंगा नयी दिल्ली बिहार संपर्क क्रांति सुपरफास्ट एक्सप्रेस के 4-4 स्लीपर बोगी को कम कर दिया गया है. इसके जगह दोनों ट्रेनों में 6-6 थर्ड एसी कोच लगा दिया गया है. इससे रेलवे के राजस्व में तो बढ़ोतरी हुई है, लेकिन इन ट्रेनों में स्लीपर में यात्रा करने वाले सामान्य व मजदूर वर्ग के लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
पीआरएस व यूटीएस काउंटर से लगभग 4.50 लाख रुपये हो रहा राजस्व की प्राप्ति
वाणिज्य कार्यालय को टिकट बिक्री से प्रतिदिन लगभग 4 लाख 50 हजार रुपये राजस्व की प्राप्ति होती है. जिसमें आरक्षित टिकट से लगभग 200 सौ यात्रियों से 2 लाख 20 हजार एवं अनारक्षित टिकट से लगभग 3000 यात्रियों से लगभग 2 लाख 30 रुपये प्रतिदिन राजस्व प्राप्त हो रहा है. रेलवे की उदासीनता का आलम यह है कि अंबाला कैंट जयनगर हमसफर एक्सप्रेस का जिला मुख्यालय होने के बाद भी ठहराव नहीं है. इसके कारण इस ट्रेनों के यात्रियों को अपनी यात्रा जयनगर या दरभंगा से शुरू करनी पड़ती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

