मधुबनी. शारदीय नवरात्र में दुर्गा पूजा की शुरुआत सोमवार को विधि – विधान से शुरू हुई. मंदिरों में दुर्गापाठ के साथ पूजा शुरूहुई. राजनगर के बलहा गांव में बलहेश्वरी भगवती का पट प्रथम पूजा के दिन ही खोलने की परंपरा रही है. सोमवार को बलहेश्वरी मंदिर का पट खुलते ही भगवती के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. बलहेश्वरी मंदिर में तांत्रिक विधि से पूजा होती है. सन 1917 से माता बलहेश्वरी की पूजा हो रही है. इस दरबार में माता शैलपुत्री के पूजा से ही आम जनों के दर्शन के लिए मां दुर्गा का पट खोल दिया जाता है. ये बातें पूजा समिति के सक्रिय पदाधिकारी राजीव झा एवं पूजा समिति के अध्यक्ष पप्पू झा ने कहा कि वर्ष 1917 से पूजा हो रही है. शारदीय नवरात्र में पूजन दरभंगा महाराज की पूजन पद्धति तंत्रोक्त विधि से होती आयी है. मंदिर के बगल में प्रसिद्ध दुर्गा पोखरा से 108 पवित्र कलश में जल भर कर मुख्य पुजारी बिनोद झा के सानिध्य में कलश स्थापना कर पूजा अर्चना शुरू हुई. दूर दूर से लोग इस मंदिर में दर्शन करने आते हैं. बलहेश्वरि दरबार की मान्यता है के बांझन को पुत्र, निर्धन को धन के साथ जिसने जो भी मन्नत मांगी है, माता ने पूरा किया है. इसलिए इलाके के दर्जनों गांव की महिलाएं संध्या काल नंगे पांव चलकर दरबार में दीप जलाने आती हैं. लगमा गांव के संस्कृत विद्यापीठ से विद्वान वेदपाठी यहां वेदपाठ करने के लिए आते हैं.
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