मधुबनी. काली मंदिर परिसर में कवयित्री विभा झा विभासित की नवीनतम मैथिली काव्य संग्रह विभासित राग का लोकार्पण किया गया. इस अवसर पर साहित्य कला और संस्कृति से जुड़े अनेक गणमान्य लोग उपस्थिति थे. कार्यक्रम की शुरुआत रतिश चंद्र मिश्रा की गणेश वंदना से हुई. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रख्यात साहित्यकार डॉ. विनयानंद झा ने कहा कि विभासित राग मैथिली साहित्य को एक नया आयाम प्रदान करेगा. पाठकों को संवेदनशील अभिव्यक्ति का अनुभव कराएगा. कवयित्री विभा झा विभासित ने अपनी रचनाओं में समाज, संस्कृति और मानवीय भावनाओं को सशक्त रूप से उकेरा है. अवसर पर दरभंगा के वरिष्ठ साहित्यकार चंद्रेश जी व चंद्रमोहन झा पड़वा ने पुस्तक की प्रशंसा करते हुए इसे मैथिली भाषा के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान बताया. लोकार्पण समारोह में रेवती रमण झा, दयाशंकर मिथिलांचली, पंडित नरेश ठाकुर, आनंद मोहन, विनय विश्वाबंधु, अनामिका , अनुपम , शतीश चंद्र मिश्र सुमन जी, स्पर्श झा उपस्थिति थे. कार्यक्रम के दौरान उपस्थित साहित्य प्रेमियों ने भी कविता को सराहा और उनकी रचनाधर्मिता की सराहना की. मंच संचालन वरिष्ठ कवि सुभाष चन्द्र झा सिनेही ने किया. कार्यक्रम के अंत में विभा झा ””””विभासित”””” ने सभी अतिथियों, साहित्य प्रेमियों और आयोजन समिति का आभार व्यक्त किया. लोकार्पण समारोह ने मैथिली साहित्य को और समृद्ध करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है