मधुबनी.
स्वास्थ्य विभाग में पदस्थापित जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों के लिए कार्यालय भवन नहीं है. सदर अस्पताल स्थित घोषित कंडम भवन में एनसीडीओ, सीडीओ सहित लगभग आधा दर्जन कार्यालय का संचालन किया जा रहा है. जबकि जिला प्रतिरक्षण कार्यालय चिकित्सकों के लिए बने आवासीय भवन में संचालित किया जा रहा है. हद तो यह है कि सदर अस्पताल में एक अदद सभा कक्ष भी नहीं है. जिसके कारण विभाग के विभिन्न कार्यक्रम, समीक्षा बैठक एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम होटलों में आयोजित किया जाता है. इसमें विभाग की ओर से हर साल हजारों रुपये से अधिक व्यय किया जाता है. इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ. हरेंद्र कुमार ने कहा कि जिला स्तरीय कार्यक्रम पदाधिकारियों के कार्यालय भवन एवं मीटिंग हॉल के भवन निर्माण के लिए विभाग को पत्र दिया गया है. इस संबंध में अभी तक कोई स्पष्ट निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है. विदित हो कि 25 करोड़ की लागत से मॉडल अस्पताल का निर्माण किया गया है. लेकिन जिला स्तरीय कार्यक्रम पदाधिकारियों को कंडम घोषित भवन में कार्यालय संचालन की विवशता है. विदित हो कि इस भवन में संचालित एनसीडीओ कार्यालय में कार्यरत लिपिक के टेबल पर दो माह पूर्व छत का सिलिंग टूटकर गिरने से कर्मी लक्ष्मीकांत झा चोटिल हो गये थे. गनीमत रही कि इस घटना में कोई बड़ी हादसा नहीं हुआ. भवन निर्माण विभाग द्वारा कंडम घोषित इस भवन में छत का सिलिंग टूटना कोई नई बात नहीं है. इस तरह की छिटपुट घटनाएं कई बार हो चुकी है.आधा दर्जन कार्यालय का हो रहा संचालन
विदित हो कि सदर अस्पताल परिसर में अंतरराष्ट्रीय बाल वर्ष 1979 में 14 कमरों के इस भवन का निर्माण किया गया था. पूर्व में इसमें एमसीएच, जिला स्वास्थ्य समिति, एसीएमओ कार्यालय अधीक्षक कार्यालय का संचालन किया जाता था. जिला स्वास्थ्य समिति कार्यालय का निर्माण होने के बाद जिला स्वास्थ्य समिति भी इस भवन से नए भवन में शिफ्ट हो गया. वर्तमान में इस भवन में संचालित कार्यालय के पदाधिकारी एवं कर्मियों को इस जर्जर भवन में कार्य करने की विवशता है. स्त्री एवं प्रसूति विभाग बनने के बाद एमसीएच नये भवन में शिफ्ट हो गया. वर्तमान में इस भवन में एनसीडीओ, मलेरिया, फाइलेरिया, कुष्ठ, आईडीएसपी कार्यालय सहित छह कार्यालयों का संचालन किया जा रहा है. इसमें लगभग तीन दर्जन कर्मी कार्यरत हैं. जो प्रतिदिन इस कार्यालय में विभिन्न प्रकार के कार्यों का संचालन कर रहे हैं. यही नहीं कुष्ठ कार्यालय में कुष्ठ मरीजों का परामर्श एवं इलाज भी इसी भवन में किया जाता है. विदित हो कि तत्कालीन सीएस डॉक्टर सुधीर कुमार सिन्हा द्वारा वर्ष 2013 में भवन निर्माण विभाग द्वारा इस भवन को कंडम घोषित करवाया गया था. बाबजूद इसके अब तक इसमें आधा दर्जन कार्यालय का संचालन किया जा रहा है. हालांकि सरकार द्वारा इस भवन को तोड़कर एमसीएच निर्माण को लेकर कवायद शुरू की गयी, लेकिन एमसीएच का निर्माण अस्पताल परिसर में ही अन्य स्थानों पर किया जा रहा है. इस भवन में संचालित कार्यालय में कार्यरत कर्मियों ने कहा कि हम लोग डर के साए में जी रहे हैं. छत का अंदरुनी हिस्सा टूटकर गिर जाए इसका हर हमेशा डर बना रहता है. बावजूद इसके वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होने के कारण इस भवन में कार्य करने की विवशता है. इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ. हरेंद्र कुमार ने कहा कि जिला स्तरीय कार्यक्रम पदाधिकारियों के लिए भवन निर्माण के लिए विभाग को पत्राचार किया गया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

