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नाराज किसानों ने कहा, कारखाना एरिया के बाद की अधिग्रहित जमीन हो डिनोटिफाइ

विद्युत रेल इंजन कारखाना. अधिग्रहण जमीन में से महज 300 एकड़ का ही हो रहा इस्तेमाल मधेपुरा : मधेपुरा में विद्युत रेल इंजन कारखाना तैयार है. इस कारखाना का पहला इंजन भी लगभग तैयार है, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व फ्रांस के प्रतिनिधि के द्वारा किया जाना है. इसकी तैयारी प्रशासनिक स्तर से लेकर […]

विद्युत रेल इंजन कारखाना. अधिग्रहण जमीन में से महज 300 एकड़ का ही हो रहा इस्तेमाल

मधेपुरा : मधेपुरा में विद्युत रेल इंजन कारखाना तैयार है. इस कारखाना का पहला इंजन भी लगभग तैयार है, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व फ्रांस के प्रतिनिधि के द्वारा किया जाना है. इसकी तैयारी प्रशासनिक स्तर से लेकर रेलवे इंजन कारखाना तक जोर शोर से चल रही है, लेकिन जिन किसानों की जमीन पर रेलवे इंजन कारखाना तैयार है या प्रगति के पथ पर है. वो किसान ही नाराज चल रहे हैं. सरकार द्वारा घोषणा की गयी थी कि जिन भूदाताओं ने जमीन दिया है उनके घर में एक व्यक्ति को नौकरी दी जायेगी, लेकिन अब किसी भी प्रकार की कोई पहल नहीं की जा रही है.
उपरोक्त बातें रेल इंजन कारखाना प्रभावित किसान मजदूर संघर्ष मोर्चा तुनियाही के कार्यकर्ताओं ने बैठक के दौरान कही. इसके साथ भूमि अधिग्रहण कानून 2013 की धारा 30(3) व 80 के तहत भूदाताओं के भूमि का मुआवजा ब्याज समेत भुगतान करना था और जिसकी स्वीकृति भी रेल विभाग द्वारा प्रदान कर राशि दी गयी थी, लेकिन अबतक किसानों को उनके ब्याज का बकाया राशि नहीं मिला.
इसके लिए किसानों ने जिले के उच्च पदाधिकारी से लेकर रेलवे पदाधिकारी को कई बार आवेदन भी दिया, लेकिन इसका कोई भी हल नहीं निकला, जबकि 2018 के बजट में रेलवे को कई बजट भी दिये गये. उसी समय एक तरफ रेल कारखाना में पहले इंजन के उद्घाटन की तैयारी चल रही है और दूसरी तरफ किसान नाराज है और उग्र आंदोलन की तैयारी में है.
अधिग्रहित भूमि में से अबतक 304 एकड़ जमीन का ही रेलवे कारखाना उपयोग कर पाया है. भूदाताओं का कहना है कि अगर बाकी जमीनों का उपयोग कारखाना नहीं करती है, तो किसानों को वापस कर दें. इससे किसान उस पर खेती कर सके. किसानों का कहना है कि रेल इंजन कारखाने की स्थापना के लिए 300 एकड़ भूमि के अतिरिक्त वर्ष 2008 में 1167 एकड़ भूमि के डिनोटिफिकेशन करने का अनुरोध पत्रांक 270 दिनांक 21 दिसंबर 2015 द्वारा मुख्य प्रशासनिक पदाधिकारी जीइएलएफ से किया गया था. जिसके आलोक में रेलवे बोर्ड द्वारा पत्रांक 17 मई 2016 के आलोक में आपके तथा राज्य सरकार के अनुरोध को स्वीकारते हुए डिनोटिफिकेशन करने का निर्देश दिया जा चुका है, जिसका आज तक अनुपालन सक्षम पदाधिकारी द्वारा नहीं किया जा सका है.
बैठक में प्रकाश कुमार उर्फ पिंटू यादव, अभय सिंह, निर्मल सिंह, विष्णुदेव यादव, विनय यादव, नाथो यादव, रमेश यादव, फुलेंद्र कुमार यादव, रविंद्र प्रसाद सिंह, शिवशंकर प्रसाद वर्मा, राजनंदन उपस्थित थे.
एक भी परिवार के सदस्य को नहीं मिली है नौकरी
30 अक्तूबर 2015 को 300 एकड़ भूमि का प्राक्कलन भूमि अधिग्रहण कानून 2013 की धारा 30 (3) व 80 के आलोक में भूमि का मुआवजे ब्याज समेत भुगतान करने का प्रस्ताव रेलवे को भेजा गया था. इसकी स्वीकृति रेल विभाग द्वारा प्रदान कर राशि दी गयी थी. ब्याज की रकम का भुगतान आज तक नहीं किया जा सका है. मध्यस्थ सह कमिश्नर द्वारा बाजार मूल्य नौ हजार प्रति डिसमिल किया गया. अत: नौ हजार की दर से ब्याज की रकम का भुगतान किया जाय. वहीं रेल मंत्रालय के भूमि अधिग्रहण से प्रभावित परिवार के सदस्यों को रेल विभाग में नौकरी दिये जाने का निर्देश है. कई परियोजनाओं में नौकरी भी दी जा चुकी है. नौकरी दिये जाने के लिए कार्रवाई करने का कष्ट करें.

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