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सदर अस्पताल में शुरू हुई सेवाएं, डॉक्टरों ने कहा, 48 घंटे में हो दोषियों की गिरफ्तारी

सदर अस्पताल. सिविल सर्जन की अध्यक्षता में हुई भासा की बैठक, लिया गया निर्णय मधेपुरा : आखिरकार सोमवार देर शाम डॉक्टरों ने सदर अस्पताल में आकस्मिक सेवा बहाल करने पर सहमति दी, जबकि मंगलवार को सुबह भासा की विशेष बैठक सिविल सर्जन की अध्यक्षता में हुई. बैठक में 48 घंटे का अल्टीमेटम देते हुए डीएम […]

सदर अस्पताल. सिविल सर्जन की अध्यक्षता में हुई भासा की बैठक, लिया गया निर्णय

मधेपुरा : आखिरकार सोमवार देर शाम डॉक्टरों ने सदर अस्पताल में आकस्मिक सेवा बहाल करने पर सहमति दी, जबकि मंगलवार को सुबह भासा की विशेष बैठक सिविल सर्जन की अध्यक्षता में हुई. बैठक में 48 घंटे का अल्टीमेटम देते हुए डीएम के आश्वासन पर विचार करते हुए सदर अस्पताल की सभी सेवा बहाल करने का निर्णय लिया गया.
गौरतलब है कि रविवार को इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र सत्यजीत की मौत पर उत्तेजित छात्रों ने सदर अस्पताल परिसर में तोड़फोड़ करते हुए डॉक्टर व नर्सिंग स्टाफ के साथ मारपीट की घटना को अंजाम दिया गया था. इस कारण सदर अस्पताल के डॉक्टर नर्सिंग स्टाफ सहित अस्पताल कर्मी घटना का विरोध करते हुए कार्य को पूरी तरह ठप कर सभी हड़ताल पर चले गये. अस्पताल के मुख्य गेट से लेकर डॉक्टर कक्ष, ओपीडी, सिविल सर्जन कक्ष, उपाधीक्षक कार्यालय, प्रसूता कक्ष, इमरजेंसी सहित अन्य वार्ड भी बंद रहे. अस्पताल की सफाई कर्मी तक कार्य करने से इनकार किया.
जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल परिसर के उपाधीक्षक कक्ष में मंगलवार को सिविल सर्जन गदाधर पांडेय की अध्यक्षता में भासा के सदस्यों के निर्णय के बाद चिकित्सक व अस्पताल कर्मी ने अस्पताल के कार्यों में चले गये. सिविल सर्जन ने बताया कि भासा के बैठक के बाद अस्पताल की कार्य शुरू कर दी गयी, लेकिन हमारी मांग जारी रहेगी. वहीं ओपीडी में चिकित्सकों ने मरीजों को देखने शुरू कर दिया. ओपीडी के सभी विभाग संचालित होने लगी. एनसीसीयू वार्ड, इमरजेंसी वार्ड, प्रसूता विभाग में नर्सिंग स्टॉफ कर्मचारियों ने काम में लौटे. वहीं इमरजेंसी वार्ड में मरीजों को नर्सिंग स्टाफ के द्वारा दवाई देना शुरू कर दिया गया. भासा सदस्यों ने अपनी मांगों में दोषी प्राचार्य इंजीनियरिंग एमके झा जननायक कर्पूरी ठाकुर अभियंता महाविद्यालय व अन्य उपद्रव्य व्यक्तियों पर 40 घंटे के अंदर गिरफ्तारी करते हुए कार्रवाई सुनिश्चित की जाय. विलंब से पहुंचे व मूक दर्शक बने थाना प्रभारी का निलंबन सुनिश्चित करें.
डीएम के आश्वासन पर माने डॉक्टर व कर्मी: डॉक्टरों के हड़ताल का असर मरीजों पर पड़ रहा था. अस्पताल में भर्ती मरीज त्राहिमाम हो रहे थे. उन्हें दवा, सूई तक मिलना बंद था. ऐसी स्थिति में डॉक्टरों व स्वास्थ्य कर्मियों के आक्रोश को देखते हुए तत्काल डीएम मो सोहैल ने प्रभारी एसपी को निर्देश देकर वार्ता के लिए भेजा. वे स्वयं तमाम मामले की मॉनेटरिंग करते रहे.

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