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बढ़ा कोहरा, आलू के किसानों में चिंता

उत्पादन कम होने की आशंका से चिंतित हैं आलू उत्पादक किसान शीतलहर शुरू होते ही आलू के पौधों में छाने लगा है पीलापन समय पर नहीं हुआ छिड़काव, तो आलू की फसल होगी प्रभावित मधेपुरा : एक सप्ताह से चल रही शीतलहर से आलू फसल को पाला पड़ने का खतरा उत्पन्न हो गया है. किसान […]

उत्पादन कम होने की आशंका से चिंतित हैं आलू उत्पादक किसान

शीतलहर शुरू होते ही आलू के पौधों में छाने लगा है पीलापन
समय पर नहीं हुआ छिड़काव, तो आलू की फसल होगी प्रभावित
मधेपुरा : एक सप्ताह से चल रही शीतलहर से आलू फसल को पाला पड़ने का खतरा उत्पन्न हो गया है. किसान चिंता में पड़ गये हैं. इस आशंका से आलू की कीमत भी बढ़ने लगी है. पाला से आलू प्रभावित नहीं हो इसलिए प्रतिदिन पाला रोधक दवा से आलू के पौधों का स्प्रे किया जा रहा है. जिले के उदाकिशुनगंज, ग्वालपाड़ा, चौसा, पुरैनी व बिहारीगंज, घैलाढ़, शंकरपुर सिंहेश्वर आदि सहित पूरे जिले में किसान लगभग दो हजार बीघा खेत में आलू की खेती होती है. आलू की खेती महंगा और अधिक श्रम वाला खेती होता है.
सोमवार को निकली धूप ने बढ़ाई किसानों की चिंता. शंकरपुर के किसान दिनेश कुमार कहते हैं कि पहले पाला से आलू को बचाने के लिये खेत की मेड़ पर घास फूस जलाया जाता था. अब दवाई के छिड़काव के कारण खरपतवार नष्ट हो जाते हैं. इसलिए पाला से बचाने के लिये भी दवाई पर ही निर्भर रहना पड़ता है. किसान भरत यादव ने कहा कि अब तक तो आलू ठीक लग रहा है लेकिन सोमवार को निकली धूप ने चिंता ने डाल दिया है. तेजनारायण यादव ने कहा कि धूप निकलने से कोहरा बढ़ने और पाला गिरना निश्चित है. जनार्दन मेहता ने कहा कि अगर दो से तीन दिन भी पाल गिरा तो आलू बुरी तरह प्रभावित हो जायेगा.
महंगी है आलू की खेती. किसानों ने बताया कि दो हजार रुपये से 22 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बीज खरीद कर आलू खेतों में लगाया गया. एक बीघा खेत में छह से सात क्विंटल बीज लगता है. बीज का कीमत ही 12 से 15 हजार रुपये होता है. फिर रोपनी के वक्त और मिट्टी चढ़ाने के समय तीन क्विंटल रासायनिक खाद व दस टेलर गोबर खाद दिया जाता है. दो तीन बार पटवन भी किया जाता है. इतने खर्च करने के बावजूद भी दस से 15 मन का कटठा आलू का उत्पादन नहीं हो सका तो निश्चित ही आलू घाटे की खेती साबित होकर रह जायेगा.
बिहारीगंज में भी परेशान हैं किसान : बिहारीगंज. पिछले पांच छह दिनों से बढ़ते कुहासे को लेकर प्रखंड के आलू के किसान काफी चिंतित दिख रहे है. प्रखंड के लक्ष्मीपुर लालचंद चय टोला, राजगंज पंचायत, शेखपुरा पंचायत एवं मोहनपुर पंचायत में आलू की खेती की जाती है. यहां अधिक मात्रा में आलू की खेती की जाती है. लेकिन ठंड के साथ साथ पाला गिरने से आलू किसान चिंतित दिख रहे है. वहीं किसानों के द्वारा पाला से बचाव के लिए प्रत्येक सप्ताह स्प्रे कर आलू का बचाव करते है. किसान अखिलेश मेहता, नीरज मेहता, विजय मेहता, दिनेश मंडल, विरजू मंडल आदि किसान परेशान हैं.
ग्वालपाड़ा प्रतिनिधि के अनुसार प्रखंड क्षेत्र मे लगातार तीन दिनों से पर रहे पाले एवं घने कोहरे से किसान परेशान है. कुहासे से जहां गेहूं फसल को फायदा होगा वहीं आलू और मक्का आदि फसल को नुकसान होने की आशंका है. रेशना के प्रभास कुमार, सचिन, अशोक कुमार, डेफरा के बिंदेश्वर रजक, शाहपुर के बुदूर सिंह आदि किसानों का कहना है कि कुहासे से सब्जी के पौधे मे झुलसा रोग होने की आशंका बनी रहती है.
क्या है उपचार. डा मिथिलेश राय बताते हैं कि इंडोफिल एम 45 की दो से ढाई मिग्रा दवा एक लीटर पानी में मिला कर आठ से दस दिन के अंतराल पर स्प्रे करना चाहिए. इसके अलावा क्लाइटॉक्स 50 डब्ल्यू पी का छिड़काव ढाई से तीन ग्राम एक लीटर पानी में मिला कर करना चाहिए.
जनवरी में रहता है झुलसा का खतरा. कृषि वैज्ञानिक डा मिथिलेश राय बताते हैं कि 25 दिसंबर के बाद जनवरी के प्रथम सप्ताह में आलू की फसल पर झुलसा रोग का जबरदस्त खतरा उत्पन्न हो जाता है. तापमान छह से आठ डिग्री हो जाता है और कुहासा छोटी बारीक बूंदें बन कर गिरती हैं. तीन दिनों में ही फसल पूरी तरह खराब हो जाती है.
अगर अगेती झुलसा के समय किया छिड़काव पौधों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा देता है. झुलसा रोग के समय इंडोमिल एक ग्राम एक लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें. इसके आठ – दस दिन बाद सायनोक्सिल की एक से डेढ़ ग्राम दवा एक लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करने से आलू की फसल सुरक्षित रहेगी.

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