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ट्रैफिक नियमों की उड़ रहीं धज्जियां, वायु व ध्वनि प्रदूषण शहरवासियों को बना रहा रोगी

सूरज गुप्ता, कटिहार : शहरी क्षेत्र में वाहनों का ओवरलोड बढ़ जाने से कई तरह की परेशानियों का सामना लोगों को करना पड़ रहा है. साथ ही वाहनों की आवाजाही में ट्रैफिक नियमों का खुलकर उल्लंघन भी होता है. इसके साथ ही प्रदूषण की समस्या अलग है. विभिन्न तरह के 100 वाहन औसतन हर दिन […]

सूरज गुप्ता, कटिहार : शहरी क्षेत्र में वाहनों का ओवरलोड बढ़ जाने से कई तरह की परेशानियों का सामना लोगों को करना पड़ रहा है. साथ ही वाहनों की आवाजाही में ट्रैफिक नियमों का खुलकर उल्लंघन भी होता है. इसके साथ ही प्रदूषण की समस्या अलग है. विभिन्न तरह के 100 वाहन औसतन हर दिन सड़क पर उतर रही है. पर उस हिसाब से न तो वाहनों की प्रदूषण जांच हो पाती है और न ही ट्रैफिक रूल के मुताबिक उसका परिचालन होता है.

यह अलग बात है कि जांच के नाम पर यदा-कदा किसी दिन चेकिंग अभियान चलाया जाता है. दूसरी तरफ ऑन द स्पॉट प्रदूषण जांच की कोई व्यवस्था भी शहर में नहीं है. मन मुताबिक लोग अपने वाहन का परिचालन कर रहे है. यह तो और चकित करने वाली बात है कि शहर के कुछ प्रमुख चौक चौराहा पर ट्रैफिक पुलिस की तैनाती के बाद ट्रैफिक रूल का घोर उल्लंघन हो रहा है.
शहर में वाहनों के अत्यधिक परिचालन से जाम की एक अलग समस्या उत्पन्न हो जाती है. सबसे अधिक परेशानी ऑटो व ई-रिक्शा से हो रही है. ऑटो में ओवरलोडिंग धड़ल्ले से हो रही है. जबकि ई-रिक्शा के लिए कोई रूट प्लान नहीं है. इसकी वजह से शहर में जब तब जाम हो जाती है.
नगर निगम की ओर से ट्रैक्टर पर ढक कर कचरा नहीं ले जाने की वजह से प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है. माना जा रहा है कि अभी बहुत अधिक समस्या लोगों को नहीं लग रही है. पर आने वाले कुछ वर्षों में वाहनों के परिचालन की वजह से प्रदूषण की बड़ी समस्या सामने आ जायेगी. पटना की तरह यहां भी लोगों को सांस लेना मुश्किल हो जायेगा.
नहीं होती वाहनों की प्रदूषण जांच
जिस रफ्तार से वाहन सड़क पर उतर रहे है. उसके मुताबिक प्रदूषण जांच केंद्र शहर में नहीं है. साथ ही विभिन्न चौक चौराहा पर ट्रैफिक पुलिस होने के बावजूद वाहनों की प्रदूषण जांच नहीं हो पाती है. ट्रैफिक पुलिस के पास ऑन द स्पॉट प्रदूषण जांच करने का कोई इक्विपमेंट नहीं है.
ट्रैफिक पुलिस भी बेबस और लाचार दिखती है. धड़ल्ले से प्रदूषण फैलाते हुए वाहनों की आवाजाही हो रही है. कोई टोकने बोलने वाला नहीं है. स्थानीय जिला परिवहन कार्यालय की मानें तो जिले में मात्र पांच प्रदूषण जांच केंद्र है. इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह वाहनों की प्रदूषण जांच होती होगी.
ऑटो में ओवरलोडिंग की सवारी
शहर में ऑटो का परिचालन भी परेशानी का सबब बना हुआ है. यूं तो शहीद चौक के समीप पुराना बस स्टैंड को फिलहाल ऑटो स्टैंड के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. ऑटो चालक पैसेंजर को बैठाने में कंजूसी नहीं करते है. ट्रैफिक पुलिस के सामने भी नियमों का खुला उल्लंघन किया जाता है.
जितना सीट ऑटो के लिए अलॉट किया गया. उससे अधिक पैसेंजर को बैठाया जाता है. यहां तक की चालक अपने अगल बगल में भी तीन-चार पैसेंजर को बैठा लेते है. शहर के शहीद चौक, जीआरपी चौक, मनिहारी मोड़ आदि कई प्रमुख चौक चौराहा है. जहां ट्रैफिक पुलिस की तैनाती के बाद नियमों का उल्लंघन हो रहा है.
भारी वाहन से बढ़ रहा है प्रदूषण
आमतौर पर दिन में भारी वाहनों की आवाजाही पर रोक है. पर भारी वाहन धड़ल्ले से आवाजाही करती है. खासकर मिरचाईबाड़ी, मनिहारी मोड़ में भारी वाहनों यथा ट्रक, ट्रैक्टर, हाईवा, बस आदि बड़े वाहनों की आवाजाही होती रहती है. दूसरी तरफ केबी झा कॉलेज रोड, दुर्गास्थान चौक, डीएस कॉलेज रोड में भी भारी वाहनों की आवाजाही होती है.
कभी-कभी तो शहर के बीच में भी भारी वाहनों की आवाजाही हो जाती है. इससे प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है. साथ ही भारी वाहनों की आवाजाही से जाम की समस्या भी हो जाती है. इस मामले में भी ट्रैफिक पुलिस बेबस और लाचार दिखती है. विभिन्न चौक चौराहा पर तैनात ट्रैफिक पुलिस पर इसका कोई असर नहीं होता है.
खुले ट्रैक्टर में कचरा से प्रदूषण
नगर निगम की ओर से शहर में कचरा का उठाव किया जाता है. जिस ट्रैक्टर से कचरा का उठा होता है. वह पूरी तरह खुला रहता है. आसपास उसका बदबू फैलता है. इस तरह के वायु प्रदूषण से लोग परेशान है. पर इसका कोई असर नगर निगम प्रशासन पर नहीं पड़ता है.
शहरवासियों के लिए अब यह नियति बन चुकी है. खासकर शहर के न्यू मार्केट रोड, फलपट्टी, बड़ा बाजार आदि जगहों से कचरा उठाव होने के बाद उसे ढककर नहीं ले जाया जाता है. जिससे प्रदूषण की समस्या बनी हुयी है. इस पर भी किसी तरह का प्रदूषण नियंत्रण कानून काम नहीं कर रहा है.
इ-रिक्शा से जाम की स्थिति
शहर में इ-रिक्शा आने के बाद तो जाम की स्थिति और बढ़ गयी है. जब तब ई रिक्शा सड़क पर रोक देती है. जिससे लोगों की परेशानी बढ़ने लगी है. ट्रैफिक पुलिस भी ई रिक्शा की आवाजाही को लेकर कोई ठोस पहल नहीं कर रही है. ई रिक्शा को लेकर कोई रूट प्लान भी नहीं है. ऑटो के लिए रूट निर्धारित है. पर ई रिक्शा के लिए अब तक कोई रूट निर्धारित नहीं किया गया है.
सभी पेट्रोल पंपों पर भी लगेंगे प्रदूषण जांच केंद्र : डीटीओ
जिला परिवहन पदाधिकारी अर्जुन प्रताप चंद्र ने प्रभात खबर के साथ बातचीत में कहा कि विभागीय स्तर पर प्रदूषण जांच केंद्र खोलने के लिए आवेदन लिया जा रहा है. जिले के सभी 67 पेट्रोल पंप पर प्रदूषण जांच केंद्र खोलने का प्रस्ताव है. साथ ही अन्य जगहों पर भी प्रदूषण जांच केंद्र खोला जायेगा.
इसके लिए ऑनलाइन अप्लाई करने की व्यवस्था की गयी है. विभागीय दिशा निर्देश के आलोक में समय-समय पर वाहनों की जांच भी की जाती है. धुंआ एवं अन्य तरह की जांच की जाती है. साथ ही नियमों का पालन नहीं करने वाले वाहन चालकों से जुर्माना भी लिया जाता है. वाहन चालकों को भी ट्रैफिक रूल के मुताबिक वाहन परिचालन करना चाहिए.
वायु प्रदूषण के साथ ध्वनि प्रदूषण से लोग परेशान
शहर में जिस तरह से वाहनों का परिचालन बढ़ रहा है. यह पर्यावरण के दृष्टिकोण से उचित नहीं है. वायु प्रदूषण के साथ-साथ ध्वनि प्रदूषण से भी लोग परेशान है. शहर की अपनी एक क्षमता है. सड़कों की भी क्षमता होती है. इस पर लगातार वाहनों का लोड बढ़ता जा रहा है.
प्रशासनिक स्तर से नियमित कोई जांच-पड़ताल नहीं होती है. जबकि प्रदूषण नियंत्रण को लेकर कई तरह के कानून और नियम बनाए गए है. पर इसका अनुपालन वाहनों के परिचालन में नहीं होता है. आम लोगों को वायु एवं ध्वनि प्रदूषण से कई तरह की समस्या उत्पन्न हो रही है. खासकर सांस लेने में लोगों को परेशानी होती है.
जिले में करीब ढाई लाख से अधिक छोटे बड़े वाहन
जिले में करीब ढाई लाख से अधिक छोटे बड़े वाहन है. वित्तीय वर्ष 2018-19 में 31447 नए वाहन सड़क पर उतरे. यानी इतने वाहनों का रजिस्ट्रेशन जिला परिवहन कार्यालय के द्वारा किया गया. इसमें सबसे अधिक दुपहिया वाहन हैं. मोटरसाइकिल व स्कूटर 28245 का रजिस्ट्रेशन हुआ है.
जबकि ऑटो 779 एवं ई रिक्शा 265 का पंजीकरण हुआ. इसके अतिरिक्त कृषि ट्रैक्टर 15, बस 12, माल ढुलाई वाहन 104, मोपेड 132, मोपेड कार 319, ट्रैक्टर 1076, ट्रेलर 406, मोटर कैब 22 आदि शामिल है. जबकि वर्तमान में प्रदूषण जांच केंद्र मात्र पाच है. इसमें भी नियमित रूप से वाहनों का प्रदूषण जांच नहीं हो पाता है.
पुलिस का सारा ध्यान शराब पर केंद्रित, बढ़ रहीं जिले में अापराधिक घटनाएं
स्थानीय लोगों ने बताया कि अभी के समय में पुलिस का सारा ध्यान मानों शराब की ओर ही केंद्रित हो गयी है. जिसका परिणाम है कि अगर वाहन चेकिंग अभियान भी अगर चलायी जाती है तो पुलिस बल शराबी व शराब कारोबारी को ढूंढते है. जिसका कारण यह रहता है कि वह हथियार लेकर भी चल रहा है तो वह साफ बचकर निकल जाता है.
जिले की बात की जाये तो कुछ एक पुलिस पदाधिकारी व थानाध्यक्ष को छोड़कर अधिकांश पुलिस अधिकारी व पुलिस बलों का सारा ध्यान शराबियों व शराबी को ही गिरफ्तार करने में केंद्रित हो जाती है. शहरी क्षेत्र में टाइगर मोबाईल हो या फिर जिले के विभिन् क्षेत्र में वाहन चेकिंग अभियान चला रहे पुलिस कर्मी सभी की एक ही मंशा रहती है कि एक दो शराबी या फिर शराब कारोबारी पकड़ा जाये.
ताकि उस मामले को सीधे तौर पर अच्छी खासी रकम की प्राप्ति हो जाती है. जिसका कई बार जिले में रूपये की मांग करते पुलिस पदाधिकारी का ऑडियों व विडिओं भी वायरल हुआ है. जिसका परिणाम है कि क्षेत्र में अपराधिक घटनाओं में काफी बढ़ौत्तरी हो गयी है और अपराधी दिन दहाड़े अपराधी बेखौफ होकर हत्या की घटना को अंजाम दे रहे है.

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