नुआंव. आसमान से बरसती आग व बह रहे गर्म लू के थपेड़ों के बीच रोहणी नक्षत्र बीत जाने के बाद भी रामगढ़ व नुआंव प्रखंड के लगभग 15000 एकड़ खेतों को सिंचित करने वाली गारा चौबे नहर व करगहर नहर सुखी हैं. किसान आसमान से होने वाली बरसात व सुखी नहरों की तरफ टकटकी लगाये बैठे है कि कब बरसात हो की वह खेतों में धान के बिछड़े डाल सके. किसानों की इस ज्वलंत समस्या को लेकर ना तो सिंचाई विभाग के पदाधिकारी संवेदनशील है, ना ही जनप्रतिनिधि. ऐसे में किसान पानी के लिए किससे गुहार लगाएं यह उनके बीच यक्ष प्रश्न बने हुए है. इधर, दोनों नहर में पानी नहीं आने पर कुछ बड़े किसानों ने धान के बिचड़े सबमर्सिबल पंप चलाकर 90 रुपये प्रति घंटे की दर से रुपये खर्च कर डाले, तो उन्हें जिंदा रखने के लिए तेज तपिश में जद्दोजहद करनी पड़ रही है. किसानों की माने तो एक एकड़ खेत को सिंचित करने के लिए कम से कम दो हजार रुपये खर्च आ रहे हैं. नुआंव के किसान लल्लन पांडेय, नजबुल होदा, राम सिंहासन सिंह, चंदेश के किसान टिंकू राय, आकाश राय ने कहा ने सही समय पर खेतों में बिचड़े नहीं डाले गये, तो खेती पिछड़ जायेगी. धान के उत्पाद कम होगा व किसान बेहाल होंगे. चंदेश के किसान रविशंकर राय उर्फ टिंकू ने बताया करगहर नहर में पानी नहीं आने से खेतों में डाले गये धान के बिचड़े सुख रहे हैं. नहर में पानी नहीं होने से मवेशियों व वन्य जीवों की प्यास बुझाने पर भी लगातार संकट बढ़ता जा रहा है. जल्द ही अगर सिचाई विभाग के पदाधिकारी पानी को लेकर कोई ठोस पहल नहीं करते तो स्थित काफी भयावह होगी. नुआंव के किसान ललन पांडेय ने कहा गारा चौबे नहर के सूखे होने के कारण क्षेत्र के बेबस किसान किसी तरह सबमर्सिबल चलाकर धान के बिचड़े डालने को विवश है. किसानों की इस समस्या को लेकर कोई ध्यान नहीं दे रहा. समय रहते नहर में पानी नहीं आया, तो स्थित काफी भयावह होगी.
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