# कोर वोटरों के बिखराव के बीच राजद को सीट बचाने व भाजपा को कब्जाने की चुनौती मोहनिया शहर. मोहनिया विधानसभा क्षेत्र में दूसरे चरण में 11 नवंबर को मतदान होना है, जिसे लेकर चुनावी माहौल पूरी तरह गर्म हो चुका है. हर दल के उम्मीदवार अपने-अपने तरीके से जोर शोर से प्रचार में जुट गये हैं. वहीं, पहले चरण का मतदान खत्म होते ही यहां प्रचार की रफ्तार में काफी तेजी आ जायेगी. यूपी की सीमा से सटे इस क्षेत्र में बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा प्रमुख अखिलेश यादव सहित बीजेपी के दिग्गज स्टार प्रचारक यूपी के सीएम योगी आदित्य नाथ के भी कार्यक्रम होने हैं, जिसकी चर्चा मोहनिया के हृदय स्थली कहे जाने वाले चांदनी चौक सहित गली मुहल्लों में जोरों पर है. शहर हो या ग्रामीण इलाका सभी जगह चुनावी प्रचार अपने चरम पर है. जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है उम्मीदवारों के काफिले भी सड़कों पर दौड़ लगाते नजर आ रहे हैं, वहीं मतदाताओं को लुभाने के लिए चांदनी चौक और स्टेशन रोड पर स्थित अधिकतर दल के दफ्तरों से प्रचार गीत और बिरहा की धुन लगातार गूंजती सुनायी दे रही है. इधर, मोहनिया की जनता भले ही खामोश है, लेकिन उसका फैसला पूरे बिहार की राजनीति को प्रभावित कर सकता है. इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय होने के आसार हैं. राजद समर्थित रविशंकर पासवान अपनी विरासत बचाने में जुटे हैं, तो भाजपा की संगीता कुमारी अपनी वापसी के लिए जोर लगा रही हैं. जबकि, जनसुराज की गीता देवी तीसरे मोर्चे के रूप में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने में जी जान से जुटी हैं. हालांकि, कौन जीतेगा यह 11 नवंबर को होने वाले मतदान के बाद ही तय हो सकेगा, लेकिन इतना तय है कि मतदाताओं की चुप्पी इस बार बहुत कुछ कहने वाली है. # बेरोजगारी, शिक्षा और महंगाई प्रमुख मुद्दे # मोहनिया सीट पर 2020 में राजद ने जीत हासिल की थी, इस बार पार्टी ने श्वेता सुमन को उम्मीदवार बनाया था. लेकिन नामांकन रद्द हो गया. इसके बाद राजद ने पूर्व सांसद छेदी पासवान के पुत्र रविशंकर पासवान को समर्थन दिया है. राजद के नेता और कार्यकर्ता इस सीट को हर हाल में बचाने की कोशिश में जुटे हैं. हालांकि, जनसुराज और बसपा के प्रत्याशी राजद के परंपरागत वोट बैंक में सेंध लगा सकते हैं. इधर, राजद समर्थक युवाओं का मानना है कि जनता अब बदलाव चाहती है. बेरोजगारी, शिक्षा और महंगाई उनके प्रमुख मुद्दे हैं. राजद के वोट के साथ रविशंकर पासवान को उनके पिता की लोकप्रियता का भी फायदा मिल सकता है. # महिला मतदाताओं के बीच पकड़ मजबूत राजद से 2020 में विधायक रहीं संगीता कुमारी अब भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं. उन्होंने पार्टी बदलकर भाजपा का दामन थाम लिया, जबकि पूर्व विधायक निरंजन राम का टिकट काट दिया गया. इससे भाजपा के कुछ नेताओं के बीच असंतोष की स्थिति बनी है. राजपूत वोटरों में बिखराव की संभावना जतायी जा रही है, क्योंकि पूर्व सांसद के पुत्र मैदान में हैं और पूर्व सांसद की राजपूत वर्ग में अच्छी पकड़ मानी जाती है. वहीं, पासवान वोट भी भाजपा से खिसक सकता है, फिर भी महिला मतदाताओं के बीच भाजपा की पकड़ मजबूत बतायी जा रही है. उज्ज्वला, आवास और लक्ष्मी योजना जैसी योजनाओं का असर महिलाओं के वोट बैंक पर दिख रहा है. # जनसुराज भी बन रहा तीसरा विकल्प मोहनिया विधानसभा की चुनावी जंग इस बार काफी दिलचस्प हैं, जिसपर पूरे जिले की नजर है. इस बार जनसुराज पार्टी की प्रत्याशी गीता देवी तीसरे विकल्प के रूप में चर्चा में हैं और वे विकास, पारदर्शिता और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के मुद्दे पर जनता से जुड़ने की भरपूर कोशिश कर रही हैं. उन्हें मोहनिया भाग तीन से जिला पार्षद होने का भी पूरा फायदा मिलने की उम्मीद हैं. जबकि, बसपा भी अपने परंपरागत वोटरों को साधने में जुटी है, जो मुकाबले को और दिलचस्प बना रही है. # क्या कहते हैं मतदाता –पुसौली बाजार में बातचीत के दौरान घटाव गांव निवासी रणविजय सिंह ने कहा समस्याएं बहुत हैं. रोजगार, शिक्षा, सड़क, स्वास्थ्य सब, पर जब बात चुनाव की आती है तो जाति और पार्टी सब पर हावी हो जाती है, वोट जहां मन बनेगा वहीं दिया जायेगा. — निजी विद्यालय के शिक्षक विनोद सिंह ने कहा कि मोहनिया शहर की सबसे बड़ी समस्या जाम की समस्या है. अगर बाईपास सड़क बन जाये तो आधी से अधिक परेशानी खत्म हो जायेगी. शिक्षा, बेरोजगारी और विस्थापन भी मुद्दा हैं, फिर भी पार्टी को देखना पड़ता हैं. #मोहनिया का मतदाता समीकरण मोहनिया विधानसभा क्षेत्र में करीब 2.77 लाख मतदाता हैं, जिनमें 1.46 लाख पुरुष, 1.30 लाख महिलाएं और 1 थर्ड जेंडर मतदाता शामिल हैं. यहां हरिजन, राजपूत, यादव, ब्राह्मण, भूमिहार, मुसलमान, पासवान और कोयरी समुदाय के मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते नजर आ रहे हैं.
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