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गांवों से शहर तक प्रत्याशियों के हार-जीत के होने लगे भविष्य तय

गांवों से शहर तक प्रत्याशियों के हार-जीत के होने लगे भविष्य तय चुनावी चकल्लस::: भभुआ सदर. जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव के मतदान का दिन नजदीक आता जा रहा है, वैसे-वैसे अब जिले के विभिन्न गांवों के खेत-खलिहान से लेकर शहर के घरों व दुकानों तक अपने अपने प्रत्याशियों के हार-जीत के साथ प्रदेश की सरकार का भविष्य तय होना शुरू हो गया है. चौक-चौराहों पर विभिन्न दलों के समर्थक अपने पक्ष में खींचतान करते दिख रहे हैं. सुबह की चाय के साथ चुनाव को लेकर शुरू हो रही चर्चा देर रात भोजन तक चल रही है. खासकर, चाय की दुकानों पर तो चुनावी चकल्लस की स्थिति यह हो जा रही है कि ऊंची होने लग रही आवाज पर लोग चाय दुकानों पर जुटने लग रहे हैं. सदर अस्पताल के समीप स्थित चाय की दुकान में मंगलवार सुबह छह बजे के लगभग छावनी मुहल्ला निवासी अरविंद सिंह कुछ लोगों के साथ चाय पी रहे थे. इसी दौरान इस बार के चुनाव पर बहस छिड़ गयी. अरविंद का कहना था कि लोग कहते है देश में व्याप्त महंगाई व भ्रष्टाचार से आम जन त्रस्त है. जो सरकार देश से महंगाई व भ्रष्टाचार समाप्त करेगी, वही अच्छी सरकार होगी. उनकी बात पर हामी भरते हुए बाजार के रहनेवाले रामप्रीत यादव कहते हैं ये तो बात ठीक है. लेकिन, चुनाव जीतने और सत्ता में आते ही सभी अपने वादे भूल जाते और उसी के रंग में रंग जाते है. उनका कहना था कि, जब अच्छा आदमी चुनाव में जीत कर जायेगा तो बेहतर काम करेगा. बगल में ही बैठ कर चाय पी रहे वार्ड 11 के संजय आर्य कहने लगे कि, सबसे पहले अपने आप को सुधारने की जरूरत है. चुनाव में कोई जात पांत ना हो जो सही व्यक्ति उम्मीदवार हो उसे ही वोट दें. वीआइपी कॉलोनी के रहनेवाले रवि सिंह आवाज में खीज लाते हुए इस पर तपाक से कहने लगे कि, लीजिए सभी पार्टियां एक जैसी है और कोई दूध का धूला नहीं है, इसलिए मेरा तो मानना है भाई कि इस बार जो अच्छा प्रत्याशी हो उसे ही वोट दिया जाना चाहिए. पास बैठे सुनील तिवारी को रहा नहीं गया तो वह भी कूद पड़े और कहा कि हमलोग समर्थक भले ही किसी भी पार्टी के हो चुनाव में अच्छा बुरा तो लगा रहता है. लेकिन, हमें लोकतंत्र के इस समर में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिए. प्रत्याशियों में जो बेहतर हो उसे वोट देकर विधानसभा में भेजे निश्चित रूप से तस्वीर बदलेगी. वैसे देखा जाय तो विधानसभा चुनाव के तिथियों की घोषणा होने के साथ ही शहर के चौक चौराहों पर घंटों चुनावी चकल्लस जोर पकड़ने लगी है. चुनाव नजदीक होने की वजह से बाजार और चाय पान की दुकानों से ही सभी पार्टियों के कार्यकर्ता आम मतदाताओं का मूड भांपने का प्रयास करते दिखायी दे रहे हैं. इन बहस व मुद्दों में विभिन्न दलों के समर्थक अपने-अपने दल के समर्थन में अन्य दलों के समर्थकों पर वैचारिक रूप से हावी होने की जोर आजमाइश कर रहे हैं. लेकिन, सभी का मानना है कि इस बार का चुनाव 2020 में हुए विधानसभा चुनाव से कुछ जुदा होने जा रहा है. कोई राष्ट्रवाद चौकीदार की बात कर रहा है, तो कोई बेरोजगारी और किसानों की समस्या को मुद्दा बना रहा है. सुबह शाम चाय की दुकानों पर चुनावी चकल्लस करने वाले अधिकतर मौसमी गणितज्ञों का मानना है कि, चुनाव का दिन नजदीक आते-आते तय होने लगेगा कि इस बार चारों विधानसभा क्षेत्र की जनता लालटेन को संभालती है या फिर, कमल को खिलने का मौका देती है या फिर इस बार 14 नवंबर को कोई नया समीकरण कैमूर के सभी चारों विधानसभा क्षेत्र से परवान चढ़ता है.

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