प्रतिनिधि, भभुआ शहर. लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर भभुआ और आसपास ग्रामीण इलाके में इस बार अद्भुत दृश्य देखने को मिल रहा है. न सिर्फ भभुआ और आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों से, बल्कि राजधानी पटना, बनारस, और अन्य शहरों से भी लोग अपने गांव लौटे हैं, ताकि अपने घर और घाट पर पारंपरिक तरीके से छठ का व्रत पूरा कर सकें. गांव के तालाब और छोटी पहाड़ी घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है. पटना से आए कई परिवारों ने बताया कि शहरों में छठ की तैयारी तो होती है, पर गांव की मिट्टी, गंगा-जैसा जल और अपनापन वहां नहीं मिलता. यही कारण है कि इस साल वे अपने गांव लौटकर ही सूर्यदेव की आराधना करते हैं. स्थानीय लोगों ने भी अपने स्तर से स्वागत और व्यवस्था में कोई कमी नहीं रखी. महिलाओं की ओर से गाये जा रहे पारंपरिक छठ गीतों से पूरा वातावरण भक्ति और उल्लास से भर गया है. पटना से आए एक श्रद्धालु अधिवक्ता कुमार सुनील ने कहा, भले ही पटना में सुविधाएं हैं, लेकिन अपने गांव में छठ का माहौल अलग ही आनंद देता है. गांव की मिट्टी, अपने लोगों का स्नेह और घाटों का पवित्र वातावरण छठ को असली आध्यात्मिक अनुभव बनाता है. छठ केवल पूजा नहीं, बल्कि संस्कार, एकता और परिवारिक बंधन का पर्व है. यहां अपनापन और परंपरा की असली झलक मिलती है. इन दिनों हर गली, मोहल्ले और घाट पर छठ की तैयारी, गीत और श्रद्धा का रंग चढ़ा है, हर ओर सफाई, सजावट और दीपों की जगमगाहट देखने को मिल रही है, जिससे पूरा इलाका एक आस्था के उत्सव स्थल में तब्दील हो गया है. स्थानीय लोगो ने बताया कि हर वर्ष की तरह इस बार भी शहरों से लौटे परिवारों की संख्या बढ़ी है, जिससे गांव में छठ का उल्लास और समाजिक एकता का संदेश दोनों देखने को मिल रहा है.
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