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बाइपास की कमी से हर दिन जाम से जंग लड़ने को लोग मजबूर

भारी वाहनों के आवागमन से भभुआ व मोहनिया शहरों में ट्रैफिक व्यवस्था बेहाल

फोटो 7 अखलासपुर बाईपास के समीप लगा भीषण जाम = सरकार की घोषणा के बाद भी नहीं बन सकी मोहनिया से चांद तक बाइपास सड़क भारी वाहनों के आवागमन से भभुआ व मोहनिया शहरों में ट्रैफिक व्यवस्था बेहाल भभुआ सदर. शहरीकरण और बढ़ती शहरी आबादी के बीच बाईपास सड़कों की कमी से जिले के महत्वपूर्ण और जिला मुख्यालय भभुआ और अनुमंडल मुख्यालय मोहनिया शहर का बाजार और मुख्य सड़क पिछले कई सालों से हर दिन जाम और अतिक्रमण से जंग लड़ रहा है या कह सकते हें कि शहर का बाजार आज सरकारी तंत्र की उपेक्षा का शिकार होकर वाहनों के तादाद में हुई बढ़ोतरी, पार्किंग, अतिक्रमण और जाम की समस्या से ग्रसित है. इस समस्या से इस समय भभुआ व मोहनिया बाजार के व्यपारियों, दुकानदारों से लेकर ग्राहक व खरीदार तक परेशान हैं. इधर, विधानसभा चुनाव, वर्किंग आवर और शादी विवाह के शुरू हुए सीजन के चलते सोमवार दोपहर एक बजे अखलासपुर बाईपास रोड और जेपी से लेकर पटेल चौक तक भीषण जाम रहा. जाम में सवारी और निजी वाहनों के साथ बड़े बड़े ट्रक व डंपर व स्कूल बस फंसे रहे. हालांकि, भभुआ और मोहनिया में जाम की समस्या से निदान दिलाने के लिए 15 जनवरी 2022 को बिहार सरकार के तत्कालीन पथ निर्माण मंत्री रहे नितिन नवीन ने लगभग 194 करोड़ की लागत से भभुआ मोहनिया के बीच गुजरे राष्ट्रीय उच्च पथ 219 पर बाइपास सड़क निर्माण की मंजूरी दी थी. यह बाइपास सड़क एनएच 219 मोहनिया में एनएच-2 से निकलकर भभुआ, चैनपुर व चांद होते उत्तर प्रदेश के चंदौली में पुनः एनएच-दो से जाकर मिलना है. इसमें चांद में 2.40 किमी लंबा बाइपास बनना था, तो भभुआ में 7.35 किमी लंबा बाइपास बनाया जाना है. लेकिन, पथ निर्माण विभाग से स्वीकृति के बावजूद भभुआ और मोहनिया जैसे शहरों के लिए अति महत्वपूर्ण बाइपास सड़क का निर्माण कार्य की रफ्तार काफी धीमा है. इसके अलावा नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा उत्तर प्रदेश के वाराणसी से लेकर कोलकाता तक कनेक्टिविटी बढ़ाने के उद्देश्य से गंगा एक्सप्रेसवे बनाया जाना है. इस हाइवे के निर्माण के दौरान कैमूर में भी 52 किमी सड़क बनाये जाने हैं, लेकिन यह एक्सप्रेसवे भी भूमि अधिग्रहण और मुआवजे के फेर में सुस्त गति से चल रहा है. = बाइपास के कमी से भभुआ-मोहनिया की ट्रैफिक व्यवस्था बेहाल गौरतलब है कि शहर में प्रवेश के लिए भभुआ-मोहनिया मुख्य सड़क, कुदरा-भभुआ सड़क और चैनपुर-चांद-भभुआ सड़क व भगवानपुर-अधौरा सड़क है, जिन रास्तों से सभी प्रकार के वाहनों के शहर में इंट्री होती है. वैसे ही मोहनिया में भी एनएच दो के अलावा मात्र एनएच 37 ही मुख्य संपर्क सड़क है. इसके अलावा मोहनिया से भी कोई बाइपास नहीं निकली है. अब बाइपास नहीं रहने और बढ़ती आबादी के चलते बाहर से आनेवाले भारी वाहन, ट्रक, डंपर के साथ शहर में चलने वाले ई-रिक्शा, ऑटो और बाइक सहित कार, जीप भी इन शहरों के बीच से ही गुजरते है, जिसके चलते दोनों शहरों में अक्सर जाम की समस्या बरकरार रह रही है. हालांकि, कुदरा और अखलासपुर बाइपास सड़क का निर्माण कराया गया है, लेकिन उक्त दोनों बाइपास सड़कों के घनी आबादी के बीच हो जाने से भी परेशानी हो रही है. = बाईपास नही रहने से हर दिन अतिक्रमण व जाम से जंग लड़ रहे शहर के लोग इधर, शहर की व्यवस्था संभालने वाली नगर पर्षद के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के सुस्त रवैये से अतिक्रमण व इ-रिक्शा, निजी वाहनों के सड़क पर ही खड़े किये रहने के चलते शहर के पुराना चौक, पश्चिम बाजार व एकता चौक पर सुबह हो या शाम पैदल चलना तक मुश्किल हो गया है. इन सड़कों पर ट्रैफिक पुलिस व नप प्रशासन की अनदेखी के कारण हर दस मिनट के अंतराल पर जाम लग रहा हैं, और बाजार करने निकले महिला पुरुष या फिर बच्चे कड़ी धूप और गर्मी के बीच इस समस्या से जूझते हुए रास्ता तय कर रहे हैं. या फिर वाहन सवारों और पैदल राहगीरों के बीच बहस व झगड़ा तक हो जा रहा हैं. बाइपास की सुदृढ़ व्यवस्था नहीं होने के चलते सबसे ज्यादा परेशानी एकता चौक, पश्चिम बाजार व पुराना चौक के पास होती है, जबकि पटेल चौक व जेपी चौक, कचहरी रोड और उसके आसपास भी यहीं स्थिति देखने को मिलती है. वाहन सवार कुदरा बाइपास या अखलासपुर बाइपास के रास्ते शहर में प्रवेश तो करते है, लेकिन शहर से निकलने की कोई अतिरिक्त सड़क नहीं होने के चलते जाम की समस्या का शिकार हो जाते है. = सरकार व जिला प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान वैसे तो भभुआ व मोहनिया शहर में यातायात की समस्या वर्षों से लुंज-पुंज बनी है. गाहे-बगाहे परिवहन व पुलिस विभाग द्वारा इस पर संज्ञान लेते हुए कार्रवाई किये जाने के कुछ पल बाद ही स्थिति बदल जाती है. लेकिन, कार्रवाई के कुछ घंटे बाद ही समस्या जस की तस हो जाती है, जहां इस अव्यवस्था का खामियाजा शहर के लोगों को भुगतना पड़ता है. इधर, बदहाल व्यवस्था के बीच नो इंट्री में ट्रक व ट्रैक्टर धड़ल्ले से चलते हैं, जिससे दुर्घटना और जान का खतरा बना रह रहा है.

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