रामगढ़ में मोंथा का असर, फसलों को भारी नुकसान सड़कों व गलियों में पानी-कीचड़ से परेशानी बढ़ी खेतों में कटे धान के पौधे पानी में डूबने से सड़ने लगे रामगढ़. प्रखंड क्षेत्र में पिछले तीन दिनों से लगातार हो रही झमाझम बारिश ने आम जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है. सड़क पर कहीं पानी, तो कहीं कीचड़ हो गया हैं. गलियों में भी हर तरफ कीचड़ ही कीचड़ नजर आ रहा है, जिससे लोगों को आवागमन में भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इसके साथ ही खेतों में पानी भर जाने से कृषि कार्य भी ठप पड़ गया है. मौसम विभाग के अनुसार, इस बारिश का मुख्य कारण मोंथा चक्रवाती तूफान का असर है, जिसका प्रभाव प्रखंड सहित आसपास के क्षेत्रों में देखने को मिल रहा है. पिछले तीन दिनों से बिना रुके हो रही वर्षा से किसानों की मेहनत पर पानी फिरता नजर आ रहा है. खेतों में कटे धान के पौधे पानी में डूब जाने से सड़ने लगे हैं, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा. कृषि कार्य पूरी तरह प्रभावित हो गया है. खेतों में पानी भरे होने के कारण गेहूं की बुआई भी समय पर नहीं हो पायेगी. किसानों का कहना है कि अगर जल्द ही बारिश नहीं रुकी, तो गेहूं की बुआई पिछड़ जायेगी, जिससे उत्पादन पर असर पड़ेगा. वहीं, चना व सरसों की बुआई में भी काफी दिक्कतें आ रही हैं. सब्जी की खेती करने वाले किसानों की फसल भी लगातार हो रही वर्षा से खराब हो रहे हैं. टमाटर, गोभी और मटर जैसी मौसमी सब्जियों की पत्तियां गलने लगी हैं, जिससे बाजार में सब्जियों की कीमत बढ़ने की संभावना है. गांवों में किसानों ने बताया कि इस समय धान की कटनी जोरों पर थी, लेकिन खेतों में पानी लग जाने से कटाई का कार्य रुक गया है. कई जगहों पर धान की बोरियां और काटे गये पौधे खेतों में ही सड़ रहे हैं, इससे एक तरफ किसानों का मनोबल टूट गया है. वहीं, बारिश के कारण मजदूरों को भी काम नहीं मिल पा रहा है, जिससे उनका रोजगार प्रभावित हुआ है. लगातार बारिश से लोग दिनभर घरों में दुबके इधर, लगातार हो रही बारिश से ठंड का असर भी बढ़ गया है, लोग दिनभर घरों में दुबके रहने को मजबूर हैं. सूरज देव के दर्शन तीन दिनों से लाेगाें को नहीं हुए हैं, जिससे ठंडी हवाएं चलने और घना कोहरा छाया रहने से मौसम ठंडा हो गया है. बच्चे स्कूल जाने में परेशानी महसूस कर रहे हैं. वहीं, बाजारों में भी सन्नाटा पसरा देख जा रहा है. स्थानीय लोग बताते हैं कि इसी तरह अगर लगातार बारिश होती रही तो धान कर फसल बर्बाद होने के साथ अगले फसल की बुआई भी प्रभावित होगी और किसानों को भारी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है.
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