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गृहरक्षकों के भरोसे अग्निशमन सेवा
बुरा हाल. एक कमरे में ही आवास व कार्यालय इस बार गर्मी अप्रैल माह से ही प्रचंड वेग से चली आ रही है. गर्मी के बीच अगलगी की घटनाओं में भी अब इजाफा होने की आशंका है. लेकिन, आग पर काबू पाने वाला अग्निशमन विभाग खुद दूसरों के भरोसे है. विभाग के पास न तो […]
बुरा हाल. एक कमरे में ही आवास व कार्यालय
इस बार गर्मी अप्रैल माह से ही प्रचंड वेग से चली आ रही है. गर्मी के बीच अगलगी की घटनाओं में भी अब इजाफा होने की आशंका है. लेकिन, आग पर काबू पाने वाला अग्निशमन विभाग खुद दूसरों के भरोसे है. विभाग के पास न तो आग लगी से निबटने के लिए आंतरिक संसाधन है और न ही कर्मचारी अब व्यवस्थाओं का दंश झेल रहे विभाग को जब आग लगने की सूचना प्राप्त होती है, तो कर्मचारियों की कमी से विभाग के हाथ-पांव फूलने लगते हैं.
भभुआ (सदर) : भभुआ अनुमंडल को आग से बचाने वाला अग्निशमन विभाग खुद व्यवस्था का दंश झेलने पर मजबूर है विभाग के पास न तो कर्मचारी है और न ही कोई फुलप्रुफ संसाधन, यहां तक की आग बुझाने के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं है. ग्रामीण इलाकों में लगे आग को बुझाने के दौरान पानी खत्म होने के बाद वापस अग्निशमन वाहन को भभुआ आकर पानी भरना पड़ता है.
अग्निशमन विभाग फिलहाल गृहरक्षकों के भरोसे चल रहा है. गृह रक्षक ही चालक से लेकर आग बुझाने का काम करते हैं वैसे अग्निशमन विभाग के पास भी अपने जवान व अधिकारी हैं लेकिन बिना गृह रक्षक के अगलगी की घटनाओं से निपट पानी विभाग के लिए मुश्किल है. अग्निशमन विभाग के फायर ऑफिसर राय विमल विद्रोह भी स्वीकार करते हैं कि चालक के अभाव में यहां प्रतिनियुक्त होमगार्ड के जवान को ही गाड़ी का स्टेयरिंग थमा दिया जाता है.
अधिकारियों व थानों से मिलती है अगलगी की सूचना : जिला स्तर पर अग्निशमन विभाग का कोई हेल्पलाइन नंबर नहीं होने के चलते अक्सर लोग अगलगी की सूचना अधिकारियों व थाना को देते हैं अब जब तक अगलगी की सूचना अधिकारी व थाना के माध्यम से मिलती है तब तक काफी देर हो चुकि होती है और आग भयंकर रूप ले लेती है.
विभाग के अधिकारी का कहना था कि अगर आग लगने की घटनाओं की सूचना तत्काल हमलोग को मिले तो समय से हमलोग घटनास्थल पर पहुंच सकते हैं. फायर ऑफिसर राय विमल विद्रोह ने बताया कि अभी कुछ माह पूर्व लैंड लाइन नंबर अग्निशमन विभाग को प्राप्त हुई है. लेकिन इन नंबरों की जानकारी हरेक जगह उपलब्ध नहीं रहने के चलते लोग तत्कालीन तौर पर इसकी सूचना अधिकारियों व थाना को देते हैं. अग्निशमन सेवा के लिए विभाग द्वारा दो नंबर जारी किया गया है जो 06189-222301 व 8986365462 है
न आवास उपलब्ध न ही कार्यालय
जिले में स्थापित अग्निशमन विभाग के पास संसाधनों का अभाव तो है ही उनके रहने और बैठने की जगह भी उपलब्ध नहीं है. अग्निशमन विभाग फिलहाल पुलिस लाइन के एक कमरे से संचालित हो रहा है. जहां एक कमरे में सभी जवान और एक छोटे से कमरे में फायर अफसर का आवास और कार्यालय दोनों संचालित हो रहा है. वहीं फिलहाल कार्य कर रहे तीन वाहन भी खुले आसमान के नीचे खड़े रहते हैं.
अगलगी से निपटने के लिए तैयार रहने के सवाल पर फायर ऑफिसर का कहना था कि अपना भवन नहीं रहने के चलते काफी दिक्कत होता है एक आलमारी भी नहीं है. जिसमें जरूरी कागजातों को रखा जा सके. डीएम व एसपी से भवन निर्माण के लिए जमीन उपलब्ध कराने को कहा गया है. लेकिन अब तक जमीन उपलब्ध कराने की दिशा में किसी भी स्तर से कोई पहल नहीं की गयी है.
2015-16 में हो चुकी हैं अगलगी की 40 घटनाएं
संसाधन की कमी के बीच 2015 में भभुआ अनुमंडल में अगलगी की 40 घटनाएं हो चुकी है. जिसमें 2015 में 17, इस वर्ष फरवरी में 13, मार्च में 10 और अप्रैल में अब तक कहीं से भी अगलगी की सुचनाएं नहीं है. कर्मियों की कमी और संसाधनों के अभाव में अग्निशमन विभाग जैसे-तैसे अपने कार्यों को संपादित करते हैं. फायर ऑफिसर राय विमल विद्रोह ने बताया कि सबसे अधिक दिक्कत वाहन में पानी भरने को लेकर होती है. किसी भी क्षेत्र में आग लगने पर वहां ऑपरेशन तत्काल शुरू कर दिया जाता है. लेकिन पानी समाप्त होने के बाद पुन: भभुआ आ कर पानी भर कर वापस जाना पड़ता है.
उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष अगस्त में ही प्रधान सचिव द्वारा जिला पदाधिकारी को जिले में गर्मी आने से पूर्व ही प्रत्येक दो किलोमीटर पर हाइड्रेट निर्माण का निर्देश दिया था लेकिन अब तक हाइड्रेट का निर्माण नहीं किया गया. फिर भी उपलब्ध संसाधनों के बीच ही जैसे-तैसे काम चलाया जा रहा है.
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