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भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं गोला वाली मां दुर्गा

200 साल पूर्व गुजरात से आकर बसे गल्ला व्यवसायी ने शुरू की थी पूजा

चकाई. गोला दुर्गा मंदिर वाली माता की महिमा अपरंपार है. जो भी भक्त इनके दरबार में अपना दुखड़ा लेकर आते हैं. उसकी मुरादें मां अवश्य पूरी करती हैं. कोई भी यहां से खाली हाथ नहीं लौटता. इस कारण मां के मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है.

200 साल पुराना मंदिर का इतिहास

गोला दुर्गा मंदिर पूजा समिति के संयोजक लक्ष्मीकांत पांडेय ने बताया कि लगभग दो सौ साल पूर्व 1821 ई में अंग्रेज शासन काल के दौरान गुजरात से आये कुछ व्यवसायियों ने यहां डेरा डाला और गल्ला, किराना का व्यवसाय प्रारंभ किया. वहीं एक दिन एक व्यवसायी को मां दुर्गा ने स्वप्न में कहा कि तुम लोग यहां मेरा मंदिर बना कर तथा मूर्ति स्थापित कर पूजा करो सबका कल्याण होगा. वहीं व्यवसायियों ने स्वप्न कि बात बताकर स्थानीय ग्रामीणों के सहयोग से मां दुर्गा के मंदिर का निर्माण कराया. शारदीय नवरात्र के मौके पर मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर विधि विधान के साथ पूजा अर्चना प्रारंभ की. मंदिर का नाम गोला दुर्गा मंदिर पड़ा. कालांतर में मनोकामना पूर्ण होने पर मंदिर में पूजा अर्चना करने का जिम्मा खास चकाई निवासी तथा बोसी महराजा के दीवान बिष्णु प्रसाद ने अपने हाथ में ले लिया. उन्होंने कच्चे मंदिर को पक्का मंदिर बनाया. वहीं लगभग 50 साल बाद दीवान ने मंदिर में पूजा व रख रखाव कराने का जिम्मा चकाई के तत्कालीन राजा टिकेट चंडी प्रसाद सिंह को सौंप दिया. बाद में वर्ष 1987 में स्थानीय लोगों ने गोला दुर्गा पूजा कमेटी का गठन कर गोला दुर्गा मंदिर जीर्णोद्धार, पूजा अर्चना आदि का जिम्मा अपने हाथ में ले लिया. तबसे कमेटी द्वारा ही पूजा अर्चना करायी जा रही है. इस दौरान भव्य मंदिर का भी निर्माण कमेटी द्वारा आम लोगों के सहयोग से कराया गया.

गोला वाली मां दुर्गा की होती है तांत्रिक पूजा अर्चना

हर वर्ष शारदीय नवरात्रा के अवसर पर मां गोला वाली दुर्गा की तांत्रिक विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है. इस मंदिर में होने वाली सरकारी पूजा के तहत सप्तमी, अष्टमी एवं नवमी को तीन बकरे एवं एक भेड़ा की बलि चढ़ायी जाती है. इसके उपरांत निशा बलि एवं नवमी को श्रद्धालुओं द्वारा बलि चढ़ायी जाती है.

चार दिनों तक मंदिर प्रांगण में लगता है भव्य मेला

चकाई का सबसे प्राचीन मंदिर गोला दुर्गा मंदिर के प्रांगण में शारदीय नवरात्र के मौके पर चार दिनों तक भव्य मेला का आयोजन होता है. इसमें दूर दराज से आकर हजारों लोग मां दुर्गा का दर्शन एवं पूजा अर्चना श्रद्धा पूर्वक करते हैं. वहीं मन्नत पूरा होने की ख़ुशी में महाअष्टमी के निशा पूजा एवं नवमी को श्रद्धालुओं द्वारा हजारों बकरे की बलि हर वर्ष मां को चढ़ायी जाती है. वहीं मेला में आये भक्तों के मनोरंजन हेतु कमेटी की और से तारामाची, कठपुतली का नाच, नाव, झूला, कठघोड़वा आदि का आयोजन होता है. मेले में लजीज मिठाइयों की भी जम कर खरीद होती है. मंदिर के पुजारी पंडित चंद्रधर मिश्र बताते हैं कि आज भी मां गोला वाली दुर्गा की महिमा सुनकर बिहार, झारखंड, बंगाल आदि राज्यों से भक्त मन्नत मांगने आते हैं तथा गोला दुर्गा मंदिर में धरना देते हैं.

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Prabhat Khabar News Desk
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