गिद्धौर. प्रखंड स्थित ऐतिहासिक दुर्गा मंदिर प्रांगण में इस वर्ष भी परंपरागत रूप से मां महालक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना की जायेगी. प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य डॉ विभूति नाथ झा ने बताया कि इस बार मां महालक्ष्मी की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा आश्विन शुक्ल चतुर्दशी के उपरांत पूर्णिमा तिथि सोमवार 6 अक्तूबर को की जायेगी और प्रतिमा का विसर्जन सात अक्तूबर मंगलवार की संध्या की जायेगी. उन्होंने बताया कि पूजा को लेकर शारदीय दुर्गा पूजा सह लक्ष्मी पूजा समिति के देखरेख में तैयारी की जा रही है. बताते चलें कि चंदेल राजवंश की ऐतिहासिक परंपरा रही है. गिद्धौर के उलाय नदी तट पर स्थित पतसंडा दुर्गा मंदिर की स्थापना सैंकड़ों वर्ष पूर्व चंदेल राजवंशियों द्वारा की गयी थी. शारदीय नवरात्र समाप्ति के बाद आश्विन शुक्ल पूर्णिमा की संध्या बेला में मां महालक्ष्मी की प्रतिमा की स्थापना और पूजन किया जाता है. स्थानीय लोगों की मानें तो यहां महालक्ष्मी पूजन पश्चिम बंगाल में प्रचलित लख्खी पूजा से मिलती-जुलती है. मान्यता है कि सच्चे मन से मां महालक्ष्मी की आराधना करने वाले श्रद्धालुओं की झोली मां धन-धान्य और वैभव से भर देती हैं. यही कारण है कि महालक्ष्मी पूजा के अवसर पर भी हर वर्ष बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. देवघर (झारखंड) स्थित गिद्धौर राज रियासत से जुड़े वेदाचार्य पंडित महेश चरण जी महाराज, पंडित पन्ना लाल मिश्र के द्वारा मां महालक्ष्मी की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा विधिवत रूप से की जाती है.
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