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बिहार की बेटी ने तुर्की की सबसे ऊंची चोटी माउंट अरारत पर फहराया भारत का तिरंगा, 41 घंटे में पूरी की चढ़ाई

सहरसा की बेटी लक्ष्मी झा ने बीते दिनों तुर्की की सबसे ऊंची चोटी माउंट अरारत पर फतह हासिल की है. ऐसा करने वाली वो भारत की पहली महिला है. वहीं इससे पहले भी लक्ष्मी ने कई अन्य चोटियों पर भी फतह हासिल की है.

बिहार के सहरसा जिले रहने वाली पर्वतारोही लक्ष्मी झा लगातार नयी ऊंचाइयों को छू रही है. लक्ष्मी ने एक बार फिर से नया इतिहास रच दिया है. उत्तराखंड के काला पत्थर से लेकर चंद्रशिला पर्वत पर सफलता पूर्वक चढ़ाई संपन्न करने के बाद बनगांव की रहने वाली लक्ष्मी झा ने तुर्की की सबसे ऊंची चोटी माउंट अरारत पर फतह हासिल की है. ऐसा करने वाली हिंदुस्तान की वो पहली महिला हैं. लक्ष्मी ने खराब मौसम होने के बावजूद -15 डिग्री सेल्सियस में 22 अगस्त को 16854 फिट ऊंची माउंट अरारत की चोटी पर भारतीय तिरंगा फहरा कर सभी देश वासियों को गौरवान्वित किया है.

खराब मौसम की वजह से 15 अगस्त को माउंट अरारत की चोटी पर नहीं फहरा पाई थी तिरंगा

आरा के पूर्व सांसद आरके सिन्हा व एसआइएस कंपनी के संस्थापक से बीते 12 अगस्त को फ्लैग ऑफ लेकर लक्ष्मी तुर्की की सबसे ऊंची चोटी अरारत पर अपने देश के तिरंगे को फहराने के लिए दिल्ली से इस्तांमबुल के लिए रवाना हुई. लक्ष्मी स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 15 अगस्त को माउंट अरारत की चोटी पर तिरंगा फहराना चाहती थी. लेकिन जब वो दोगुबेयाजित सिटी पहुंची, तो लक्ष्मी झा को पता चला कि अरारत चोटी पर मौसम खराब है व बर्फबारी व तेज तूफान हो रहा है. इसे देखते हुए 15 अगस्त समिट करने का प्लान कैंसिल करना पड़ा.

18 अगस्त को लक्ष्मी ने शुरू की चढ़ाई

इसके बाद 18 अगस्त को पता चला कि मौसम अब ठीक हो गया है. इसके बाद लक्ष्मी झा 18 अगस्त को ही चोटी फतह करने के उद्देश्य से निकल पड़ी. समिट के लिए छह घंटे चढ़ाई करने के बाद वो पहले बेस कैंप पहुंची, जिसकी ऊंचाई 3000 मीटर है. अगले दिन तीन घंटे की चढ़ाई करके बेस कैंप पहुंची। जो 4200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. यहां लक्ष्मी को खराब मौसम क सामना करना पड़ा.

पत्थरों से भरा रास्ता, लग रहा था डर, फिर भी नहीं मानी हार

लक्ष्मी ने बताया कि इस मिशन को कम से कम टाइम में पूरा करना था. बेस कैंप के ऊपर केवल बादल ही दिखाई दे रहे थे. मौसम काफी खराब था. इसके बावजूद लक्ष्मी फाइनली समिट के लिए 21 अगस्त की रात एक बजे निकली. कठिन व खड़ी चढ़ाई पर समिट करने में परेशानी हो रही थी. पूरा का पूरा पत्थरों से भरा हुआ रास्ता था. जहां पर एक दो बार पत्थर ऊपर से भी आया व एक दो बार खिसक के नीचे भी गिरा. डर भी लग रहा था. ऊपर से हड्डी गला देने वाली -15 डिग्री का टेंपरेचर से हिम्मत भी टूट रही थी, लेकिन लक्ष्य को पूरा करना था.

खराब मौसम में गाइड ने भी छोड़ दिया था साथ

लक्ष्मी ने बताया कि मौसम खराब होने की वजह से चढ़ाई के बीच गाइड ने भी साथ छोड़ दिया. वह बोल रहे थे चलो नीचे चलते हैं, मौसम खराब हो रहा है, लेकिन उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. कठिन परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपनी चढ़ाई जारी रखी.

41 घंटे में लक्ष्मी ने चढ़ाई की पूरी

लक्ष्मी ने बताया कि जब भी उनकी हिम्मत टूटती तो उन्हें राष्ट्रीय ध्वज को देखकर शक्ति मिलती थी. कुछ घंटे चलने के बाद जब सवेरा हुआ, मंजिल सामने दिखाई देने लगी तो हौसला बुलंद हुआ कि अब तो फतेह करके ही जिंदा वापस जाना है. उसने छह घंटे की चढ़ाई करने के बाद भारत का गौरवशाली तिरंगा माउंट अरारत पर फहराया. उन्होंने माउंट अरारत की पूरी चढ़ाई 41 घंटे में पूरी की. लक्ष्मी माउंट अरारत की चढ़ाई करने वाली पहली भारतीय बेटी है, जिसने तुर्की देश के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट अरारत पर भारत का तिरंगा लहराया.

Also Read: सहरसा की लक्ष्मी ने माउंट एवरेस्ट बेस कैंप पर फहराया तिरंगा, 2024 में करेंगी एवरेस्ट पर चढ़ाई

माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की कर रही तैयारी

अत्यंत गरीब परिवार में पली-बढ़ी बिहार की बेटी लक्ष्मी ने जो यह मुकाम हासिल किया है, वह दूसरों के लिए नजीर है, दूसरे के घरों में काम कर मां सरिता देवी ने अपने चार बच्चों में सबसे छोटी पुत्री लक्ष्मी को इस काबिल बनाया कि आज उन्होंने माउंट अरारात पर फतह हासिल की है. वहीं इससे पहले लक्ष्मी ने माउंट एवरेस्ट बेस कैंप, दक्षिण अफ्रीका के किलिमंजारो की चोटी सहित देश और विदेश की कई पर्वत शृंखलाओं पर फतह हासिल कर अपने राज्य और देश का नाम ऊंचा किया है. लक्ष्मी ने बताया कि 2024 में अब वो विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने की तैयारी कर रही है.

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