जीबीएम कॉलेज में यूनिवर्सल ह्यूमन वैल्यूज पर फैकल्टी डेवलपमेंट का शुभारंभ, बिहार के विभिन्न कॉलेजों के फैकल्टी शामिल
गया जी. गौतम बुद्ध महिला कॉलेज में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीइ) के सहयोग से 13 से 15 दिसंबर 2025 तक यूनिवर्सल ह्यूमन वैल्यूज पर आयोजित तीन दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का शुभारंभ हुआ. कार्यशाला का शुभारंभ कॉलेज की प्राचार्य डॉ सीमा पटेल, काइट ग्रुप ऑफ इन्स्टीट्यूटशन, गाज़ियाबाद से पधारे मुख्य वक्ता प्रो डॉ आलोक कुमार पांडेय व यूनाइटेड ग्रुप ऑफ इन्स्टीट्यूशन, प्रयागराज से आये ऑबजर्वर प्रो डॉ मनी महेश, बर्सर प्रो सहदेब बाउरी, नैक समन्वयक डॉ शगुफ्ता अंसारी ने संयुक्त रूप स दीप प्रज्वलित करके किया. कार्यक्रम में मगध विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो उपेन्द्र कुमार, गौतम बुद्ध महिला कॉलेज के पूर्व प्राचार्य प्रो डॉ जावैद अशरफ़ व प्रो डॉ उषा राय की भी उपस्थिति रही. सभी अतिथियों का स्वागत प्राचार्य ने अंग वस्त्र तथा बुके देकर की. प्राचार्य ने कहा कि यूनिवर्सल ह्यूमन वैल्यूज पर एआइसीटीइ द्वारा बिहार में इस तरह की ऑफलाइन कार्यशाला दूसरी बार गौतम बुद्ध महिला कॉलेज में हो रही है, जो जीबीएम कॉलेज के साथ मगध विश्वविद्यालय के लिए भी अत्यंत हर्ष तथा गौरव की बात है. उन्होंने सभी प्रतिभागियों से कार्यशाला का शत प्रतिशत उपस्थिति के साथ लाभ उठाने का आग्रह किया, ताकि शिक्षक वैल्यू एडेड कोर्सेज की कक्षाओं में प्राप्त ज्ञान तथा कार्यानुभवों को छात्र-छात्राओं से भलीभांति साझा कर सकें. उनका मार्गदर्शन कर सकें. स्वागत सत्र का संचालन कॉलेज की अंग्रेजी विभाग की अध्यक्ष एवं पीआरओ डॉ कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी ने किया.कौशल आधारित शिक्षा में जीवन मूल्यों का हो समावेश
मुख्य वक्ता डॉ आलोक कुमार पांडेय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत लागू किये गये सीबीसीएस पाठ्यक्रम में वैल्यू एडेड कोर्स की आवश्यकता पर अपने बहुमूल्य विचार रखे. उन्होंने प्रतिभागियों को पारिवारिक तथा सामाजिक जीवन में घटित होने वाली विभिन्न परिस्थितियों का उदाहरण देते हुए सही समझ, संबंध, सुविधा, मानव चेतना, पशु चेतना, मूल्य आधारित शिक्षा, कौशल आधारित शिक्षा, संवाद की प्रक्रिया, सुख के स्रोत, सुख, दुख, चेतना और शरीर के मध्य स्थापित सह-अस्तित्व जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की. मानवीय संबंधों की बारीकियों को व्यक्तिगत जीवन तथा सामाजिक परिप्रेक्ष्य से विभिन्न उदाहरणों को देते हुए समझाया. सभी सत्र अत्यंत जीवंत तथा संवादात्मक रहे. प्रतिभागियों ने वक्ता डॉ आलोक पांडेय से अनेक प्रश्न भी पूछे. डॉ पांडेय ने कहा कि संबंधों एवं सुविधाओं का आनंद उठाने के लिए सही समझ आवश्यक है. हमें मानवीय चेतना के साथ जीवन जीने की आवश्यकता है. कहा कि परिवार तथा शैक्षणिक संस्थानों में सभी को साथ लेकर चलने की जरूरत है. कौशल आधारित शिक्षा तभी वास्तव में सफल और समाजोपयोगी होगी, जब उसमें जीवन मूल्यों का समावेश हो.
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