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Gaya News : शहरी आवास योजना में अब जियो टैगिंग पर ही उठ रहे सवाल

Gaya News : नगर निगम में शुरू से ही आवास योजना विवादों में रही है. तरह-तरह के आरोप इस योजना के लाभुक लगाते रहे हैं. अब एक नया मामला जियो टैगिंग गलत किये जाने से संबंधित आया है.

गया. नगर निगम में शुरू से ही आवास योजना विवादों में रही है. तरह-तरह के आरोप इस योजना के लाभुक लगाते रहे हैं. अब एक नया मामला जियो टैगिंग गलत किये जाने से संबंधित आया है. दूसरी किस्त के समय जियो टैगिंग के लिए जानेवाले कर्मचारियों को लोकेशन ही नहीं मिल पा रहा है. निगम के एक कर्मचारी ने बताया कि जियो टैगिंग का मिलान किया जायेगा, तो आधा से अधिक गलत निकल जायेंगे. इतना ही नहीं कई बने हुए मकान पर दूसरी किस्त के तौर पर रुपये भेजने की बात सामने आ रही है. गौरतलब है कि आवास लाभुकों की चयनित लिस्ट आने के बाद खाली जमीन का जियो टैगिंग किया जाता है. इसके बाद लाभुक को प्रथम किस्त के तौर पर 50 हजार रुपये, दूसरी किस्त के लिए डोर लेबल तक पहुंचने पर जियो टैगिंग के बाद एक लाभ, ढलाई होने के बाद जियो टैगिंग कर तीसरा किस्त 20 हजार, खिड़की-किबाड़ लगने पर जियो टैगिंग के बाद 30 हजार रुपये आखिरी किस्त के तौर पर दिये जाते हैं. इधर वार्ड नंबर दो की पार्षद जया देवी ने कहा कि उनके वार्ड में पहले से मिले आवास का जियो टैगिंग के समय लोकेशन हीं नहीं मिल रहा था. किसी तरह से लोकेशन को जोड़ा गया. कई लोगों का मकान तोड़ने के बाद चार वर्ष पहले वर्क ऑर्डर दिया गया. लेकिन, अब तक एक भी किस्त का पैसा नहीं दिया गया.

पहले कई तरह के मामले आये थे समने

कई जगहों पर बन चुके मकान के नाम पर आवास योजना का लाभ दिये जाने की बात सामने आ चुकी है. इसमें कई लोगों ने योजना का पैसा लेने के बाद खुलासा होने पर लौटाया है. इसके बाद वन विभाग की जमीन पर दिये गये आवास योजना के मकानों को तोड़ा गया. इसके साथ ही वार्ड नंबर 33 में इसी योजना के दो मकान को कोर्ट के आदेश पर तोड़ा गया. एक व्यक्ति के पांच योजना का लाभ लिए जाने का भी मामला सामने आ चुका है.

क्या कहते हैं उपनगर आयुक्त

आवास योजना में लाभुक की जांच बहुत ही बारीकी से की जाती है. इसमें अगर गड़बड़ी हुई है, तो इसकी जांच कर कार्रवाई की जायेगी. जियो टैगिंग के बाद ही पैसा को भेजा जाता है. कई स्तर पर जांच भी की जाती है. नोडल अधिकारी खुद भी इसकी जांच करते हैं. आगे व पहले की इस योजना की जांच कराई जायेगी. ताकि, गड़बड़ी पर लगाम लगाया जा सके. बने हुए मकान को पैसा दिए जाने के मामले में भी जांच की जायेगी.

श्यामनंदन प्रसाद, उपनगर आयुक्त

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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