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कभी लगता था जमघट, आज सब कुछ खामोश

खिजरसराय (गया) : जीतनराम मांझी के गांव महकार का माहौल शुक्रवार को अचानक बदल गया. जश्न मनाने की तैयारी थी, पर वहां खामोशी ने पैर पसार लिया. सुबह पटना में मुख्यमंत्री के इस्तीफा देने की खबर टेलीविजन पर चलते ही लोग स्तब्ध रह गये, चेहरे लटक गये, मानों दिल पर बहुत बड़ा बोझ आ पड़ा […]

खिजरसराय (गया) : जीतनराम मांझी के गांव महकार का माहौल शुक्रवार को अचानक बदल गया. जश्न मनाने की तैयारी थी, पर वहां खामोशी ने पैर पसार लिया. सुबह पटना में मुख्यमंत्री के इस्तीफा देने की खबर टेलीविजन पर चलते ही लोग स्तब्ध रह गये, चेहरे लटक गये, मानों दिल पर बहुत बड़ा बोझ आ पड़ा हो. इस दौरान लोग बात करना भी नहीं चाहते थे. कुछ बोले भी, तो सिर्फ नीतीश कुमार को कोसते रहे. कहते सुने गये-नीतीश ने अच्छा काम नहीं किया. दुख का आलम यह रहा कि कई घरों में खाना भी नहीं बना.
चर्चा रही कि खिजरसराय के मुख्यमंत्री का गृह प्रखंड व महकार के पैतृक गांव होने का अब तमगा भी छिन गया. जीतन राम मांझी के सीएम रहते महकार में लोगों व अधिकारियों का जमघट लगा रहता था, लेकिन अब सब कुछ खामोश है. मीडियावाले पहले भी महकार जाते थे, शुक्रवार को भी गये. लेकिन, दोनों में काफी अंतर था. गांववाले इस बात को समझ रहे थे. गांव में अस्पताल से आगे बढ़ने पर दो-चार महिलाएं मिलीं. नाम पूछने पर घूरीं, फिर जीतन राम मांझी के बारे में पूछने पर नीतीश कुमार को भला-बुरा कहने लगीं. मीडियाकर्मियों के प्रति भी बेरुखी दिखायी.
वहां से सुनसान पड़ीं गलियों से होकर आगे निकलने पर दो लोग मिले. इनमें एक नवीन कुमार भावुक दिखे. कहते हैं कि नीतीश कुमार की नीयत साफ नहीं है. वह कुरसी के लिए कुछ भी कर सकते हैं.
जीतन राम मांझी के घर के सामने नल पर कुछ महिलाएं कपड़े धोती हुई मिलीं. हाथ में कैमरा व डायरी देख उनकी भृकुटी तन गयी. उनकी भाव-भंगिमा देख हिम्मत नहीं हुई कि उनसे कुछ पूछा जाये.
कल तक कड़े तेवर में दिखनेवाले श्री मांझी के घर के सामने ड्यूटी पर तैनात सुरक्षा गार्ड भी निढाल दिखे. गार्ड से इजाजत लेकर उनके (श्री मांझी) घर में प्रवेश करने पर परिवार के सदस्य असहज दिखे. उन्होंने फोटो लेने से मना कर दिया. पास में ही धान की ओलाई कर रही कुछ महिलाओं ने चले जाने (संवाददाता को) को कहा. साफ था कि वे काफी गुस्से में थीं. उनके गुस्से का सम्मान करते हुए वहां से निकल लेना ही उचित था.
रास्ते में एक मिडिल स्कूल में गये, जहां खाना बना रही रसोइये ने देखते ही चले जाने को कहा. हम भी बिना कुछ पूछे या कहे, निकल गये. कुछ लोगों से जो भी बातें हुईं, उनसे पता चला कि कई घरों में खाना नहीं बना है. सभी के मन में नीतीश कुमार के प्रति जबरदस्त आक्रोश है.

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