मांग. आइएमए की ओर से आहूत बंद का दिखा असर, ओपीडी भी रहा ठप
बेतिया : एनएमसी बिल के विरोध में आईएमए के केंद्रीय कमेटी के आह्वान पर मंगलवार को जिले के सरकारी एवं प्राइवेट चिकित्सकों ने सभी चिकित्सकीय कार्य बंद रखा. आईएमए की जिला ईकाई भी इसका पूर्ण समर्थन किया. सरकारी अस्पतालों में केवल इमरजेंसी सेवा ही बहाल रहा. एक दिवसीय हड़ताल को लेकर चिकित्सकों ने अस्पताल रोड में मार्च किया और खुले हुए निजी क्लीनिकों को बंद कराया.
आईएमए जिलाध्यक्ष डा़ॅ प्रमोद तिवारी ने बताया कि केंद्र सरकार एनएमसी बिल लाकर चिकित्सकों को प्रताड़ित करना चाहती है. इसमें कई तरह की खामियां है. उन्होंने कहा कि बिल के अनुसार एक आयुष चिकित्सक छह महीना के ब्रीज कोर्स करके आधुनिक एलोपैथी पद्धति से इलाज कर सकता है. एमबीबीएस की पढ़ाई करने के बाद प्रेक्टिस करने के लिए पुन: नेक्स्ट एक्जाम से गुजरना होगा. जबकि विदेश में एमबीबीएस एमडी करने के बाद कोई टेस्ट दिए बिना प्रेक्टिस कर सकता है.
प्राईवेट मेडिकल कॉलेज के 40 प्रतिशत सीट पर ही सरकारी कोटा से नामांकन होगा, बल्कि 60 प्रतिशत पर कालेज प्रशासन का अधिकार होगा. जो कि गलत है. मीडिया प्रभारी डाॅ़ उमेश कुमार ने कहा कि ऐसे विवादित बिल की डॉक्टर पुरजोर विरोध करते हैं, उन्होंने जनता से आह्वान किया है कि वें भी चिकित्सा क्षेत्र के साथ हो रहे अन्याय का विरोध करें. आईएमए के संयुक्त सचिव डाॅ़ इंतेशारुल हक, संयुक्त सचिव डाॅ़ मोहनीश सिन्हा, संयुक्त सचिव डाॅ़ सन्नी कुमार सिंह, डाॅ़ रमेश चंद्रा ने भी इस बिल को गरीब विरोधी बताया. धरना प्रदर्शन में डाॅ़ सौरभ, डाॅ़ वीरेंद्र कुमार, डाॅ़ शिवशंकर डाॅ़ अनिल , डाॅ़ जितेंद्र समेत अन्य चिकित्सक भी मौजूद रहे.
डॉक्टरों की ओर से किये गये बंदी से मरीजों को खासी परेशानी झेलनी पड़ी. मेडिकल कालेज में इलाज कराने आये मरीजों को वापस
लौटना पड़ा. प्राइवेट हॉस्पिटलों में भी ऐसा ही नजारा रहा. नतीजा मरीजों
को लेकर तीमारदार इधर-उधर भटकते दिखे.
