डुमरांव. नया भोजपुर सब्जी मंडी के सामने पटना-बक्सर मुख्य सड़क यानी एनएच-922 पर बेतरतीब ढंग से खड़े वाहनों से हादसे की संभावना बनी रहती है.
यहां सड़क पर सुबह होते ही ऐसी अव्यवस्था फैल जाती है कि यातायात की रफ्तार थम जाती है और जोखिम बढ़ जाता है. जबकि, यह इलाका कृषि उत्पादों की खरीद-बिक्री के लिए जाना जाता है. नया भोजपुर की सब्जी मंडी डुमरांव प्रखंड के सबसे व्यस्ततम सुबह की मंडियों में गिनी जाती है. यहां हर सुबह एक दर्जन से अधिक गांवों से किसान ताजी हरी सब्जियों को लेकर पहुंचते हैं. इ-रिक्शा, पिकअप, टेंपो और साइकिल जैसे छोटे-बड़े वाहनों से सब्जियों की खेप मंडी में आती है. दूसरी ओर, ग्राहकों की भीड़ भी कम नहीं होती. स्थानीय खरीदारों के अलावा छोटे दुकानदार, फुटकर व्यापारी और ग्रामीण क्षेत्रों से आये लोग बाइक व रिक्शा पर मंडी पहुंचते हैं. समस्या तब शुरू होती है, जब ये सभी लोग एनएच-922 के दोनों किनारों पर ही नहीं, बल्कि सड़क के बीच बने डिवाइडर तक अपने वाहन खड़े कर देते हैं. वहीं, सड़क का आधा हिस्सा वाहनों से भर जाता है और परिणामस्वरूप न सिर्फ ट्रैफिक जाम होता है, बल्कि दुर्घटना की आशंका भी बनी रहती है. यह स्थिति हर रोज सुबह 5 बजे से 9 बजे तक रहती है, जब मंडी का समय चरम पर होता है. स्थानीय निवासी संजय सिंह बताते हैं कि हर सुबह सड़क पर इ-रिक्शा, बाइक, टेंपो खड़ा कर दिये जाते हैं. लोग बिना किसी चिंता के वाहन को जहां-तहां खड़ा कर देते हैं और सब्जी खरीदने या बेचने लगते हैं. इससे सड़क पर वाहनों की रफ्तार ठहर जाती है और हादसे की संभावना बढ़ जाती है. कई बार बड़ी गाड़ियां रुक जाती हैं और ट्रैफिक बाधित हो जाता है. यह महज एक असुविधा नहीं, बल्कि लोगों की सोच और लापरवाह रवैये की एक चिंताजनक तस्वीर है. यह देखकर आश्चर्य होता है कि लोग अपनी सुविधा के लिए दूसरों की जान जोखिम में डाल देते हैं. कोई नहीं सोचता कि सड़क किनारे खड़े एक इ-रिक्शा की वजह से अगर कोई बाइक सवार ट्रक की चपेट में आ जाये, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा. गौर करने वाली बात यह है कि यह एक अत्यंत व्यस्त और महत्वपूर्ण मार्ग है. इस मार्ग से रोजाना हजारों छोटे-बड़े वाहन गुजरते हैं. ऐसे में सब्जी मंडी के सामने का यह अघोषित ””””पार्किंग जोन”””” न सिर्फ ट्रैफिक व्यवस्था को प्रभावित कर रहा है, बल्कि किसी भी दिन बड़ी दुर्घटना की वजह बन सकता है.डिवाइडर बना साइकिल और बाइक का अड्डा
जहां एक ओर सड़क के दोनों किनारों पर वाहन लगाये जाते हैं, वहीं बीच में बने डिवाइडर को भी नहीं बख्शा गया है. लोग साइकिल और बाइक को डिवाइडर पर खड़ी कर देते हैं.अधिकारियों की चुप्पी पर उठ रहे सवाल
एनएच-922 जैसी राष्ट्रीय महत्व की सड़क पर प्रतिदिन सैकड़ों छोटे-बड़े वाहन गुजरते हैं. ऐसे में अगर कोई इलाका अघोषित पार्किंग जोन बन जाये और वहां ट्रैफिक अव्यवस्था हो, तो यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर इसके जिम्मेदार अधिकारियों की निगरानी क्यों नहीं हो रही. स्थानीय लोगों का कहना है कि यह समस्या नयी नहीं है, फिर भी एनएच प्राधिकरण के अधिकारियों द्वारा न तो सड़क किनारे पार्किंग रोकने के लिए कोई चेतावनी बोर्ड लगाये गये हैं और न ही नियमित निगरानी की व्यवस्था की गयी है. कभी-कभार पुलिस की गश्ती जरूर दिख जाती है, लेकिन ट्रैफिक को नियंत्रित करने या अराजकता रोकने का कोई स्थायी समाधान नहीं किया गया है. यह निष्क्रियता भविष्य में किसी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

