बक्सर. जिले में कुल उपभोक्ताओं की संख्या तीन लाख दो हजार है, जिन्हें कुल 5785 ट्रांसफॉर्मरों से बिजली सप्लाइ की जाती है.
विभागीय जानकारी के अनुसार जुलाई माह में जिले को 8.5 करोड़ यूनिट बिजली मिली थी. लेकिन, बिल 8 करोड़ 5 लाख रुपये का ही बना. यानि 45 लाख रुपये की बिलिंग कम हुई है. हालांकि कंपनी बिजली चोरी रोकने के लिए डीटी मीटर प्रत्येक ट्रांसफॉर्मर पर लगा रहा है, ताकि जांच कीजा सके कि किस ट्रांसफॉर्मर को कितनी यूनिट बिजली दी जा रही और कितने का बिल बन रहा है. कार्यपालक अभियंता सूर्य प्रताप सिंह ने बताया कि प्रत्येक ट्रांसफॉर्मर पर लग रहा डीटी मीटर बिजली की खपत और बिलिंग में अंतर की सटीक निगरानी रखेगा. जिले में बिजली आपूर्ति और उपभोग के बीच के अंतर को खत्म करने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से कंपनी ने एक नयी पहल की शुरुआत की है. जिले के 5785 ट्रांसफॉर्मरों पर अब ””डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफॉर्मर मीटर”” यानी डीटी मीटर लगाये जा रहे हैं. इस पहल के तहत ट्रांसफॉर्मर स्तर पर बिजली की आपूर्ति और उपभोक्ताओं द्वारा वास्तविक खपत के आंकड़ों का तुलनात्मक विश्लेषण किया जायेगा.जुलाई में दिखा बड़ा अंतर, तो बनी योजना की नींव
विभागीय सूत्रों के अनुसार, जुलाई माह में बक्सर जिले को कुल 8.5 करोड़ यूनिट बिजली की आपूर्ति हुई थी. लेकिन, उपभोक्ताओं को भेजे गये बिल के मुताबिक केवल 8 करोड़ 5 लाख रुपये का ही बिल बना. इसका सीधा मतलब है कि लगभग 45 लाख रुपये की बिजली की खपत या तो बिना बिलिंग के हो रही है या फिर लाइन लॉस और तकनीकी गड़बड़ियों की वजह से यह अंतर सामने आया है. इसी अंतर को समाप्त करने और विद्युत चोरी पर लगाम लगाने के उद्देश्य से डीटी मीटर लगाने का निर्णय लिया गया. डीटी मीटर यह सुनिश्चित करेगा कि ट्रांसफॉर्मर से जितनी यूनिट बिजली निकली है, वह कहां और कितनी खपत हुई, उसका आंकड़ा स्वचालित रूप से दर्ज होगा.जिले में तीन लाख से ज्यादा उपभोक्ता
जिले में वर्तमान में कुल तीन लाख दो हजार विद्युत उपभोक्ता हैं. इन सभी उपभोक्ताओं को 5785 ट्रांसफॉर्मरों के जरिये बिजली आपूर्ति की जाती है. इस पूरे तंत्र को पारदर्शी और डिजिटल रूप से मॉनीटर करने की दृष्टि से यह पहल अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है. डीटी मीटर लगाने से ट्रांसफॉर्मर स्तर पर यूनिट खपत का विवरण साफ-साफ देखा जा सकेगा. इससे यह भी स्पष्ट होगा कि किसी इलाके में तकनीकी नुकसान ज्यादा हो रहा है या फिर उपभोक्ताओं द्वारा मीटर से छेड़छाड़ कर बिजली चोरी की जा रही है.
क्या है डीटी मीटर और कैसे करता है काम
डीटी मीटर एक स्मार्ट उपकरण होता है, जो ट्रांसफॉर्मर से निकलने वाली कुल बिजली यूनिट की जानकारी सटीक रूप से रिकॉर्ड करता है. इसे ट्रांसफॉर्मर के पोल पर लगाया जाता है और यह डेटा रियल-टाइम में विभाग के सर्वर को भेजता है. इससे कंपनी यह पता कर सकती है कि ट्रांसफॉर्मर से कितनी यूनिट बिजली भेजी गयी और नीचे के स्तर पर उपभोक्ताओं से कितने यूनिट का बिल के रूप में वसूला गया. यदि किसी ट्रांसफॉर्मर के अंतर्गत आने वाले कुल उपभोक्ताओं की खपत बिल डीटी मीटर के आंकड़ों से काफी कम है, तो यह कंपनी को अलर्ट करेगा कि बिजली की चोरी हो रही है या फिर मीटर रीडिंग में गड़बड़ी है.पारदर्शिता के साथ घाटे पर लगेगा अंकुश
डीटी मीटर की स्थापना से बिजली कंपनी को सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि लाइन लॉस और पावर थेफ्ट बिजली चोरी के आंकड़े सामने आयेंगे. खासकर ग्रामीण इलाकों में जहां मीटर रीडिंग की प्रक्रिया अब भी मैनुअल है, वहां पर यह तकनीक बेहद कारगर सिद्ध होगी. बिजली कंपनी के कार्यपालक अभियंता सूर्य प्रकाश सिंह से बताया कि डीटी मीटर से हमें यह पता चलेगा कि ट्रांसफॉर्मर से निकली यूनिट और उपभोक्ताओं को भेजे गये बिल के बीच कितना फर्क है. यह फर्क जितना कम होगा, उतना ही विभाग का घाटा भी कम होगा.अभियान को लेकर हो रही निगरानी
बिजली कंपनी के क्षेत्रीय कार्यालयों को निर्देशित किया गया है कि वे जल्द से जल्द अपने क्षेत्राधिकार के अंतर्गत आने वाले ट्रांसफॉर्मरों पर डीटी मीटर यानी अगस्त माह के अंत तक लगा दें. कई जगहों पर यह कार्य प्रगति पर है और कई स्थानों पर डीटी मीटर सफलतापूर्वक काम करना शुरू कर चुका है.बिजली सुधार की दिशा में बड़ी पहल
डीटी मीटर लगाने की यह पहल न केवल तकनीकी दृष्टि से जरूरी है, बल्कि यह जिले में बिजली सुधार और घाटा नियंत्रण की दिशा में एक बड़ी पहल मानी जा रही है. इससे विभाग को हर ट्रांसफॉर्मर की स्थिति की वास्तविक जानकारी प्राप्त होगी और सुधार की संभावनाएं तलाशी जा सकेंगी. आने वाले दिनों में सभी ट्रांसफॉर्मरों को डिजिटल तरीके से जोड़ने की योजना है, ताकि पूरे जिले का बिजली तंत्र एक केंद्रीय नियंत्रण प्रणाली से जुड़ सके. इसके लिए स्मार्ट ग्रिड सिस्टम पर भी कार्य प्रस्तावित है.
क्या बोले अधिकारी
डीटी मीटर लगाना बिजली आपूर्ति और खपत के बीच पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक सराहनीय कदम है. इससे जहां बिजली चोरी पर रोक लगेगी, वहीं विभाग के राजस्व घाटे में भी कमी आयेगी. साथ ही, उपभोक्ताओं को भी यह संदेश मिलेगा कि बिजली का दुरुपयोग अब बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. जितनी बिजली हम फीडर से दे रहे हैं उतना यूनिट का बिल बन रहा है या नहीं उसका भी निरीक्षण कंपनी द्वारा किया जायेगा, ताकि बिजली लॉस को रोकने का प्रयास किया जा सके.सूर्य प्रकाश सिंह, कार्यपालक अभियंता, बिजली कंपनी
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