पटना. केंद्रीय बजट में बिहार के किसानों के लिए भले ही सीधे कोई घोषणा नहीं हुई है, लेकिन कई घोषणाएं ऐसी हैं जिनका राज्य को सीधा लाभ मिलेगा.
देश का तीसरा सबसे बड़ा सब्जी उत्पादक राज्य होने के कारण केंद्र की इलेक्ट्रॅनिक नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट (इनाम), ऑपरेशन ग्रीन का सबसे अधिक लाभ बिहार को मिलने की उम्मीद है.
माइक्रो इरिगेशन योजना का बजट दोगुना करने से राज्य में लाभान्वित होने वाले किसानों की संख्या भी दोगुनी हो जायेगी. अभी यह संख्या करीब 3500 है.
हालांकि, कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि फसल का लाभ दिलाने के लिए अन्य बातों के अलावा यह भी जरूरी है कि कृषि उत्पाद का आयात कम से कम किया जाए. साथ ही फसल नुकसान की भरपाई के लिए समान नीति की भी घोषणा होनी चाहिए थी.
बिहार में 2006 में ही बाजार समितियां भंग कर दी गयी थीं इस कारण राज्य के किसानों को इनाम योजना का लाभ नहीं मिल रहा था. जिन राज्यों में बाजार समितियां हैं, उन्हीं राज्यों की मंडियां इस व्यवस्था से जुड़ सकेंगी, इस शर्त को अब खत्म कर दिया गया है.
अब बिहार की मंडियां भी इलेक्ट्रॅनिक नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट से जुड़ जायेंगी. किसान अपनी उपज देश में कहीं भी बेच सकेंगे. बाहर के व्यापारी ‘ इ-आक्शन’ के जरिये बोली लगा सकेंगे.
कृषि लोन देने का लक्ष्य इस बार 16.5 लाख करोड़ होने से बैंकों पर दबाव बढ़ेगा. इस कारण किसानों को केसीसी मिलने में सुविधा रहेगी. कृषि से जुड़े टर्म लोन के विस्तार से पशुपालन और मत्स्यपालन करने वाले भी केसीसी लोन ले सकेंगे.
कृषि उत्पादों के मूल्य संवर्धन योजना में बदलाव हुआ है. आलू, प्याज और टमाटर के अलावा इसमें 22 नये उत्पाद जोड़े गये हैं. इससे बिहार की सब्जियां भी शामिल हो सकती है. मखाना व लीची के निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा.
Posted by Ashish Jha