बिहारशरीफ. हरनौत कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके), नालंदा में 40 युवक-युवतियों को एक वर्षीय व्यवसायिक प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिसका विषय है डीएईएसआई . यह प्रशिक्षण 28 मई से शुरू हुआ है. इसकी जानकारी केंद्र की वरीय वैज्ञानिक सह प्रधान डॉ. सीमा कुमारी ने दी. प्रशिक्षण समन्वयक डॉ. यू.एन. उमेश (मृदा विज्ञान विशेषज्ञ) ने बताया कि यह डिप्लोमा कोर्स भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा मान्यता प्राप्त है, जिसे राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान (मैनेज), हैदराबाद संचालित करता है। बिहार में इसे बामेती (पटना) के माध्यम से लागू किया जाता है. इसका उद्देश्य गैर-कृषि स्नातकों को कृषि इनपुट डीलर के रूप में तैयार करना है, जिससे वे खाद, बीज, कीटनाशक आदि की बिक्री के लिए अधिकृत लाइसेंस प्राप्त कर सकें. डॉ. उमेश ने बताया कि नए प्रशिक्षुओं से 28 हजार और रिन्यूअल करने वालों से 14 हजार रुपये शुल्क केवीके द्वारा लिया गया है. यह प्रशिक्षण हर शुक्रवार दो सत्रों में आयोजित किया जाता है और 48 सप्ताह तक चलेगा. विशेषज्ञों से व्यावहारिक जानकारी इस शुक्रवार को आयोजित दो सत्रों में पहले सत्र में केवीके जहानाबाद के एग्रोनॉमी विभाग के वैज्ञानिक डॉ. मनोज कुमार ने फसलों में समेकित खरपतवार प्रबंधन पर विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने बताया कि खरपतवार फसल उत्पादकता में 30-40% तक की गिरावट ला सकते हैं, अतः यांत्रिक, रासायनिक और जैविक विधियों का संतुलित उपयोग जरूरी है. दूसरे सत्र में उद्यान विभाग की वैज्ञानिक कुमारी विभा रानी ने फसलों के उत्पादन में आधुनिक तकनीकों, जैसे कि ड्रिप सिंचाई, मल्चिंग, हाई-डेंसिटी प्लांटेशन और जैविक विधियों के उपयोग पर चर्चा की.
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