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चने की फसल में दाना नहीं, किसान परेशान

बेन (नालंदा) : प्रखंड क्षेत्र में रबी फसल के रूप में मसूर, चना, सरसों और गेहूं की खेती होती है. प्रखंड के किसान रबी फसल से अपने परिवार को सालों भर आर्थिक जरूरत की पूर्ति करते हैं. लेकिन, इस साल बेमौसम बारिश ने किसानों को अपना शिकार बना लिया है. रबी फसल में फूल व […]

बेन (नालंदा) : प्रखंड क्षेत्र में रबी फसल के रूप में मसूर, चना, सरसों और गेहूं की खेती होती है. प्रखंड के किसान रबी फसल से अपने परिवार को सालों भर आर्थिक जरूरत की पूर्ति करते हैं. लेकिन, इस साल बेमौसम बारिश ने किसानों को अपना शिकार बना लिया है. रबी फसल में फूल व फल लगने के दौरान बेमौसम बारिश हो गयी थी, जिससे प्रखंड क्षेत्र के सैकड़ों हेक्टेयर में लगी मसूर, सरसों व चने की फसल में दाने नहीं लग पाये. गेहूं की फसल भी बेमौसम बारिश और तेज हवा से खेत में गिरकर बर्बाद हो गयी. नतीजा दाने विहीन फसल को काटने के लिए मजदूर या हार्वेस्टर मालिक तैयार नहीं हो रहे हैं. हार्वेस्टर मशीन सहजता से मिल तो रही है, परंतु फसल कटाने के लिए किसानों को घर से पूंजी लगानी पड़ रही है.

वहीं कुछ किसानों के गेहूं की फसल पूरी तरह से खेत में गिरी हुई है, जिसे काटने के लिए हार्वेस्टर मशीन मालिक भी तैयार नहीं हो रहे हैं. हार्वेस्टर चालक का कहना है कि गिरी फसल को मशीन से काटने पर खेत की मिट्टी अनाज के साथ आ जायेगा. नतीजन प्रखंड क्षेत्र के चिंतित किसान प्रशासन से फसल क्षति मुआवजा की मांग कर रहे हैं. वहीं, बभिनयावां गांव के किसान अर्जुन प्रसाद, मुन्ना प्रसाद, रामानंद प्रसाद, नागेंद्र प्रसाद आदि ने बताया कि मसूर, चना, सरसों, गेहूं आर्थिक आमदनी की मुख्य फसल है, लेकिन तेज हवा और बेमौसम बारिश से रबी फसल इस साल पूरी तरह बर्बाद हो गयी है. इसके लिए प्रशासन की ओर से मुआवजा की राशि पर्याप्त रूप से नहीं दिया जाता है.

यदि जल्द ही सरकार की ओर से कोई पहल नहीं होती है, तो वर्तमान में किसानों को दाने विहीन रबी फसल खेत में ही छोड़ना पड़ेगा. हरिओमपुर के किसान संतोष कुमार कहा है कि खरीफ बेहतर नहीं होने के कारण कर्ज लेकर रबी फसल की बुआई की है. अब बेमौसम बारिश और तेज हवा से रबी फसल भी बर्बाद हो गयी है, जिसे खेत से घर लाने के लिए भी अलग से कर्ज लेकर हार्वेस्टर मशीन से कटाई करना पड़ रहा है. वहीं, कुछ किसानों का कहना है कि मजबूरी में दाने विहीन रबी फसल को खेत में छोड़ना ही मुनासिब है. किसान संतोष का शिकायत है कि सरकार किसानों को मुआवजा राशि के रूप में खानापूर्ति करती है. किसानों को फसल क्षति के हिसाब से पर्याप्त मुआवजा राशि मिलनी चाहिए.

ऑनलाइन आवेदन किसानों के लिए फजीहतकिसान अर्जुन प्रसाद, नागेंद्र प्रसाद, महेंद्र प्रसाद आदि कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र में तकनीकी रूप से विकसित नहीं है. गांव में संसाधन और सुविधा का भी अभाव है. गांव के किसानों को ऑनलाइन करने के लिए प्रखंड मुख्यालय से लेकर जिला मुख्यालय जाना पड़ता है. जहां ऑनलाइन आवेदन करने के बदले कंप्यूटर ऑपरेटर मनमानी राशि वसूलते हैं. साथ ही किसानों को अपने साथ कागज रखने के पर्याप्त जानकारी के अभाव में कई बार प्रखंड मुख्यालय से लेकर जिला मुख्यालय का चक्कर लगाना पड़ता है. ऐसे में खेती का कार्य बाधित होता है और खर्च भी अधिक होती है. क्या कहते हैं अधिकारीचना, मसूर, सरसों फसल के लिए मुआवजा राशि मिलेगी. इसके लिए किसानों को 18 अप्रैल तक ऑनलाइन आवेदन करना होगा. मुआवजा और आवेदन प्रक्रिया सरकार की ओर से बनायी जाती है. प्रशासनिक अधिकारी सरकार के दिशा निर्देश पर काम करते हैं.केदार राय, प्रखंड कृषि पदाधिकारी, बेन

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