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Video : इन महापुरुषों की वजह से बिहार को कहा जाता है ज्ञान की भूमि, जानिए इनके बारे में

बिहार कई असाधारण लोगों का घर है जिनके कार्यों ने बिहार के इतिहास की घटनाओं को दृढ़ता से प्रभावित किया है. हम आपको कुछ ऐसे महान पुरुषों के बारे में बता रहें हैं, जिनकी वजह से बिहार ज्ञान की धरती के नाम से भी जानी गई.

बिहार कई असाधारण लोगों का घर है जिनके कार्यों ने बिहार के इतिहास की घटनाओं को दृढ़ता से प्रभावित किया है. बिहार को जीवन के सभी क्षेत्रों की महान हस्तियों का घर होने का गौरव प्राप्त है. इस राज्य से कई ऐसे राष्ट्रवादी, लेखक, कवि, कलाकार, संगीतकार, थिएटर कलाकार निकले हैं, जिन्होंने बिहार की इस भूमि को गौरवान्वित किया है. लेकिन आज हम आपको कुछ ऐसे महान पुरुषों के बारे में बता रहें हैं, जिनकी वजह से बिहार ज्ञान की धरती के नाम से भी जानी गई.

महावीर : भगवान महावीर चौबीसवें तीर्थंकर हैं उनका जन्म 540 ईसा पूर्व कुंडग्राम में हुआ था. जो प्रसिद्ध वैशाली गणराज्य का एक हिस्सा था. उनके पिता का नाम सिद्धार्थ और माता का नाम रानी त्रिशला था. बयालीस वर्ष की आयु में उन्हें सर्वज्ञता, व कैवल्य प्राप्त हुआ, जिसे पूर्ण समझ या सर्वोच्च ज्ञान भी कहा जाता है. वह वर्तमान युग के चौबीसवें तीर्थंकर जिन बने. भगवान पार्श्वनाथ के समय में भिक्षुओं और भिक्षुणियों द्वारा पालन किए जाने वाले चार महान व्रत थे, भगवान महावीर ने उनमें एक और व्रत जोड़ा.

पांच प्रतिज्ञाएं हैं: (1) अहिंसा, (2) सत्य (सत्य), (3) चोरी न करना (अस्तेय), (4) अपरिग्रह (अपरिग्रह) (5) शुद्धता (ब्रह्मचर्य, महावीर द्वारा जोड़ा गया)

बुद्धा : भगवान बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व लुंबिनी (रुम्मिनदेई) में हुआ था. उनके पिता राजा शुद्धोदन और माता रानी माया थीं. मई में पूर्णिमा के दिन, वह बिहार के गया में स्थित बोधि वृक्ष के नीचे गहरे ध्यान में बैठे थे. इस वृक्ष के नीचे ही इन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी जिसके बाद वो सिद्धार्थ गौतम से भगवान बुद्ध बन गए. वे 80 वर्ष की उम्र तक अपने धर्म का संस्कृत के बजाय उस समय की सीधी सरल लोकभाषा पाली में प्रचार करते रहे. उनके सीधे सरल धर्म की लोकप्रियता तेजी से बढ़ने लगी. चार सप्ताह तक बोधिवृक्ष के नीचे रहकर धर्म के स्वरूप का चिंतन करने के बाद बुद्ध धर्म का उपदेश करने निकल पड़े. बुद्ध का निधन लगभग 483 ईसा पूर्व अस्सी वर्ष की आयु में हुआ.

आर्यभट्ट : माना जाता है कि आर्यभट्ट का जन्म 476 ई. में मगध के पाटलिपुत्र, आधुनिक बिहार के पटना में हुआ था. वह गुप्त शासकों के शासनकाल के दौरान मगध में रहते थे जो भारत का स्वर्णिम समय था. आर्यभट्ट गणित और खगोल विज्ञान में कई ग्रंथों के लेखक हैं जिनमें से कई लुप्त हो गए हैं. उनके महान कार्यों में से केवल आर्यभटीय ही ऐसा कार्य है जो आधुनिक काल तक बचा हुआ है. आर्यभटीय गणित और खगोल विज्ञान पर एक महत्वपूर्ण कार्य है जो बीजगणित, समतल त्रिकोणमिति, गोलाकार त्रिकोणमिति, भिन्न और द्विघात समीकरण आदि जैसे गणित के क्षेत्रों को कवर करता है.

चाणक्य : चाणक्य या कौटिल्य भारत के पहले वास्तविक सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के प्रधान मंत्री थे. मौर्य साम्राज्य के निर्माण के पीछे चाणक्य का दिमाग था. उन्हें विष्णुगुप्त और कौटिल्य के नाम से भी जाना जाता है. अर्थशास्त्र को चाणक्य की रचनाएँ माना जाता है. इस पुस्तक में उन्होंने राष्ट्र पर प्रभावी ढंग से शासन करने के लिए राजा द्वारा पालन की जाने वाली सभी बातों की व्याख्या की है. अर्थशास्त्र में अर्थशास्त्र, विदेश नीति, प्रशासन आदि जैसे विषयों को शामिल किया गया है.

Anand Shekhar
Anand Shekhar
Dedicated digital media journalist with more than 2 years of experience in Bihar. Started journey of journalism from Prabhat Khabar and currently working as Content Writer.

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