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शिशु मृत्यु दर मामले में बिहार के आंकड़े देश से बेहतर, 10 वर्षों में 23 अंकों की आयी कमी

पिछली रिपोर्ट पर गौर करें तो वर्ष 2017 में बिहार में शिशु मृत्यु दर 35 प्रति एक हजार रही, जो वर्ष 2019 में घटकर 29 प्रति एक हजार हो गयी है.

पटना. सैम्पल रजिस्ट्रेशन सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में शिशु मृत्यु दर 29 प्रति एक हजार हो गयी है, जो कि राष्ट्रीय औसत से भी कम है. राष्ट्रीय औसत अब भी 30 अंक पर स्थिर है. पिछली रिपोर्ट पर गौर करें तो वर्ष 2017 में बिहार में शिशु मृत्यु दर 35 प्रति एक हजार रही, जो वर्ष 2019 में घटकर 29 प्रति एक हजार हो गयी है.

बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा है कि बिहार का स्वास्थ्य विभाग लगातार स्वास्थ्य सेवा को बेहतर कर रहा है. कोरोना संक्रमण काल में नवजात शिशु को सुरक्षित रखने में बिहार की यह बड़ी उपलब्धि है.

उनका कहना है कि बिहार में 10 साल में नवजात शिशु की देखभाल में काफी सुधार हुआ है. 10 वर्षों में शिशु मृत्यु दर में 23 अंकों की कमी आयी है. वर्ष 2009 में बिहार की शिशु मृत्यु दर 52 थी, जो वर्ष 2019 में घटकर 29 हो गई है, इसके लिए बड़ा कारण जागरुकता के साथ सुरक्षित प्रसव को बताया जा रहा है.

स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि अब राज्य की शिशु मृत्यु दर देश की शिशु मृत्यु दर से एक अंक कम हो गयी है. सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे की अक्टूबर माह की रिपोर्ट के अनुसार 2019 में बिहार की शिशु मृत्यु दर घटकर 29 प्रति एक हजार है जबकि देश की शिशु मृत्यु दर अभी भी 30 है.

पिछले वर्ष के मई माह में सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे ने जो आंकडें जारी किए थे, उन आंकड़ों के मुताबिक 2017 में बिहार की शिशु मृत्य दर 35 थी, जो वर्ष 2018 में घटाकर 32 हो गयी थी.

स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि 10 वर्षों में स्वास्थ्य सेवाओं में बहुत सुधार हुआ है. कल तक शिशु मृत्यु दर को रोकना बड़ी चुनौती थी, लेकिन अब व्यवस्था बदलने के बाद काफी हद तक मृत्यु दर में सुधार दिख रहा है.

रिपोर्ट को लेकर आईएमए ने भी प्रसन्नता जाहिर की है. आईएमए के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ अजय कुमार ने भी बताया कि स्वास्थ्य व्यवस्था में अगर सही ढंग से सुधार हो तो मृत्यु दर में गिरावट आना स्वाभाविक है.

Posted by Ashish Jha

Prabhat Khabar Digital Desk
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