29.5 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

बिहार: गणित के जोड़-घटाव में अन्य राज्यों से आगे हैं अपने बच्चे, जानें NCERT की नयी रिपोर्ट

बिहार के बच्चे गणित के जोड़-घटाव में अन्य राज्यों के बच्चों से आगे हैं. हालांकि फिंगर ट्रिक या मेंटल कैलकुलेशन के बजाय गणित के सवालों को पेपर-पेंसिल से ज्यादा हल करते हैं. यह रिपोर्ट एनसीइआरटी की है.

बिहार के बच्चे गणित के जोड़-घटाव में अन्य राज्यों के बच्चों से आगे हैं. हालांकि फिंगर ट्रिक या मेंटल कैलकुलेशन के बजाय गणित के सवालों को पेपर-पेंसिल से ज्यादा हल करते हैं. यह रिपोर्ट एनसीइआरटी की है. एनसीइआरटी ने यूनिसेफ के सहयोग से फाउंडेशनल लर्निंग स्टडी कराया, जिसमें बिहार सहित अन्य राज्यों के सरकारी व निजी स्कूलों के तीसरी कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों को शामिल किया गया. सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, 999 से ऊपर के अंकों का जोड़ बिहार के 72 प्रतिशत बच्चों ने कर दिया, जबकि राष्ट्रीय औसत 53 प्रतिशत है. वहीं, 999 से ऊपर के अंकों का घटाव करने में भी बिहार के 65 प्रतिशत बच्चे सफल रहे. इसमें राष्ट्रीय औसत 40 प्रतिशत है. गणित के जोड़-घटाव में बिहार के 83 प्रतिशत बच्चे पेपर-पेंसिल का इस्तेमाल करते हैं, जबकि राष्ट्रीय औसत 77 प्रतिशत है. वहीं फिंगर ट्रिक का इस्तेमाल नौ प्रतिशत बच्चे करते हैं, जो राष्ट्रीय औसत 15 प्रतिशत है. मेंटल कैलकुलेशन आठ प्रतिशत बच्चे ही करते हैं.

मुजफ्फरपुर सहित राज्य के 2819 बच्चों का लिया गया सैंपल

एनसीइआरटी ने यूनिसेफ के सहयोग से सभी राज्यों में पिछले साल सर्वे कराया. इसमें तीसरी कक्षा के बच्चे शामिल किये गये. बिहार के सभी जिलों से 295 स्कूलों के 2819 बच्चों का सैंपल टेस्ट लिया गया, जिसके आधार पर रिपोर्ट बनी. वहीं देशभर में 10 हजार स्कूलों के 86 हजार बच्चों पर अध्ययन किया गया है.

Also Read: बिहार: मेहमान बनकर आए अपराधियों ने पहले चाय पी, फिर महिला की हत्या कर लूट ले गए पांच लाख
कैलेंडर का दिन-महीना पहचानने में होती है मुश्किल

रिपोर्ट के अनुसार बिहार के बच्चों को कैलेंडर पर महीना, तारीख व दिन की पहचान करने में मुश्किल होती हैं. 60 प्रतिशत बच्चों ने इसकी पहचान की, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर 62 प्रतिशत बच्चे सफल रहे. बिहार के 24 प्रतिशत बच्चों ने सहायता से महीना, तारीख व दिन की पहचान की, जबकि पांच प्रतिशत ने गलत पहचान की. वहीं 10 प्रतिशत ने कोई जवाब नहीं दिया. राष्ट्रीय स्तर की रिपोर्ट के अनुसार 20 प्रतिशत बच्चों ने सहायता के बाद सही पहचान की, जबकि छह प्रतिशत ने गलत पहचान बतायी. 12 प्रतिशत ने कोई जवाब नहीं दिया.

61 प्रतिशत बच्चों ने बताया सही समय

सर्वे के दौरान तीसरी कक्षा के 61 प्रतिशत बच्चों ने सही समय बताया. 28 प्रतिशत ने थोड़ा इशारा मिलने पर सही जवाब दिया, लेकिन 11 प्रतिशत ने कुछ भी नहीं बताया. वहीं, राष्ट्रीय स्तर पर 52 प्रतिशत बच्चे ही सही समय बता सके. 36 प्रतिशत ने सहायता पर सही जवाब दिया, 12 प्रतिशत कोई जवाब नहीं दे सके.

सर्वे में सहभागिता

सहभागी- कुल- हिंदी- इंगलिश- उर्दू

स्कूल- 295- 132- 93- 70

शिक्षक- 561- 246-174- 141

छात्र- 2819- 1265- 881- 673

रिपोर्ट: धनंजय पांडेय, मुजफ्फरपुर

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

अन्य खबरें