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शाॅर्ट सर्किट से एक ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट हुआ बंद, दो रहा चालू

शाॅर्ट सर्किट से एक ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट हुआ बंद, दो रहा चालू

– मायागंज अस्पताल व सदर अस्पताल स्थित तीन ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट की क्रियाशीलता की जांच के लिए मॉक ड्रिल का आयोजन

– मायागंज अस्पताल व सदर अस्पताल स्थित तीन ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट की क्रियाशीलता की जांच के लिए गुरुवार को छह घंटे का मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया. राज्य स्वास्थ्य समिति के निर्देश पर किये गये माॅक ड्रिल में मायागंज अस्पताल का दो हजार लीटर प्रति मिनट (एलपीएम) क्षमता का प्लांट महज दो घंटे तक चल पाया. वहीं मायागंज का 300 एलपीएम क्षमता का प्लांट सही पाया गया. इसके अलावा सदर अस्पताल का ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट भी सात घंटे तक चलाया गया. इससे निकलने वाली ऑक्सीजन की शुद्धता 94 प्रतिशत रही. मायागंज अस्पताल के दो हजार एलपीएम क्षमता का प्लांट सुबह नौ बजे से 11 बजे तक चला. इसके बाद प्लांट के बाहर लगे ट्रांसफार्मर में शॉर्ट सर्किट के कारण खराबी आ गयी. इससे प्लांट का एमसीबी स्विच जल गया. इसके बाद प्लांट बंद ही रहा. इस मॉक ड्रिल का आयोजन भागलपुर के तीन प्लांट समेत राज्य के सभी 123 प्लांट पर हुआ. मॉक ड्रिल सुबह नौ बजे से शुरू होकर न्यूनतम छह घंटे तक चलाया गया. ऑक्सीजन की शुद्धता जांच के लिए सुबह 11 बजे, दोपहर एक बजे व अपराह्न तीन बजे रीडिंग नोट किया गया. इस अवधि में ऑक्सीजन की शुद्धता 90 से 96 प्रतिशत रहने की जांच की गयी. माॅक ड्रिल की रिपोर्ट को 13 सितंबर को भेजा जायेगा.

20 अप्रैल के बाद बंद था दो हजार एलपीएम का प्लांट : कोरोना काल में पीएम केयर फंड से मायागंज अस्पताल में लगा दो हजार एलपीएम का प्लांट बीते 20 अप्रैल से ही बंद था. गुरुवार को जब इसे चालू किया गया तो बिजली आपूर्ति में बाधा के कारण इसमें खराबी आ गयी. इस प्लांट से अस्पताल के 700 बेड पर रोजाना 20 घंटे ऑक्सीजन आपूर्ति होती थी. इस प्लांट में इस समय सर्विसिंग की आवश्यकता है.

हर माह छह टैंकर लिक्विड ऑक्सीजन की खरीदारी : मेंटेनेंस के अभाव में लगभग पांच महीने से मायागंज अस्पताल का दो हजार एलपीएम का प्लांट बंद था. इसके विकल्प के रूप में स्वास्थ्य विभाग की इकाई बीएमएसआइसीएल की ओर से हर माह छह टैंकर लिक्विड ऑक्सीजन की आपूर्ति की जाती है. एक टैंकर की क्षमता करीब 14 टन है. छह टैंकर पर सरकार का लगभग 18 लाख रुपये खर्च हो रहा है. अगर अस्पताल के ऑक्सीजन प्लांट को ठीक कर लिया जाये तो सरकारी राशि की बचत होगी. लिक्विड ऑक्सीजन के प्लांट से 20 घंटे आपूर्ति के अलावा रोजाना चार घंटे तक आपूर्ति के लिए 60 ऑक्सीजन सिलिंडर का प्रयोग हो रहा है.

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