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फर्जी तरीके से चेक निकलवाया, डुप्लीकेट हस्ताक्षर कर ट्रांसफर कर लिये दो करोड़

भागलपुर : सृजन घोटाले की जांच कर रही सीबीआइ ने जिला परिषद की राशि गबन में दो करोड़ रुपये के फंड का अवैध रूप से सृजन खाता में ट्रांसफर का खुलासा किया है. इस फंड ट्रांसफर के तरीके पर सवाल खड़ा करते हुए जांच एजेंसी ने सृजन की प्रमुख रही मनोरमा देवी के साथ बैंक […]

भागलपुर : सृजन घोटाले की जांच कर रही सीबीआइ ने जिला परिषद की राशि गबन में दो करोड़ रुपये के फंड का अवैध रूप से सृजन खाता में ट्रांसफर का खुलासा किया है. इस फंड ट्रांसफर के तरीके पर सवाल खड़ा करते हुए जांच एजेंसी ने सृजन की प्रमुख रही मनोरमा देवी के साथ बैंक ऑफ बड़ौदा के दो अफसरों को आरोपित बनाया है. राशि गबन को लेकर घोटालेबाज ने एक बार और खाता का गलत चेक बुक जारी करवाया और उप विकास आयुक्त सह मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी का फर्जी हस्ताक्षर कर दिया.
इस चेक को संबंधित बैंक के अफसरों ने पद का दुरुपयोग करते हुए राशि ट्रांसफर करवा दी. जिला परिषद के एक मात्र नाजिर रहे राकेश यादव ने विभिन्न खातों के विवरणी में पीएल चेक का भी उल्लेख करा दिया था, जबकि यह चेक बैंक की खाता विवरणी में नहीं होता है. बता दें कि 12 जनवरी 2010 को भी बैंक ऑफ बड़ौदा से चेक बुक में चेक संख्या- 047401 से 047450 जारी करवाया था और उससे करीब आठ करोड़ का फंड ट्रांसफर सृजन के खाते में करवाया था.
यह है फर्जी चेक बुक जारी कराने की दूसरी कहानी : 31 मार्च 2009 को जिला परिषद के एक खाते का चेक बुक में चेक संख्या- 052901 से 052950 जारी करवाये चेक को बैंक ऑफ बड़ौदा ने एडवांस डिपार्टमेंट को एडवांस/लोन के लिये.
इस चेक बुक से चेक संख्या – 052905 का गलत प्रयोग किया. उक्त चेक द्वारा उप विकास आयुक्त सह सीइओ जिला परिषद के खाते से दो करोड़ रुपये की राशि सृजन समिति के खाते में ट्रांसफर कर दी. इस पर डीडीसी का हस्ताक्षर फर्जी था और इसे 18 अप्रैल 2009 को मनोरमा देवी ने फर्जी पे-इन स्लिप से बैंक में जमा किया. बैंकिंग सिस्टम में कई स्तर की सुरक्षा जांच होते हुए चेक को पास किया जाता है. इस पूरे प्रकरण में बैंक के पदाधिकारी संत कुमार सिन्हा व नवीन कुमार साहा ने मनोरमा देवी का साथ दिया.
सृजन की प्रमुख रही मनोरमा देवी ने अपनी संस्था को सरकारी राशि का गबन करके मालामाल कर दिया था. वह इस पैसे से अपने रसूख का इस्तेमाल करके रियल एस्टेट से लेकर अस्पताल तक का कारोबार में भी लाने वाली थी.
इसको लेकर सरकारी स्तर पर संस्था के बाइलॉज का एमेंडमेंट करा दिया था. जिला स्तर पर विस्तार करते हुए संस्था को मिनी बैंक की तर्ज पर कामकाज का रूप दे दिया था. 28 जुलाई 2002 को सृजन समिति का क्षेत्र जिला स्तर पर कर दिया. मनोरमा देवी ने एक और प्रस्ताव पारित करवा दिया, जिसमें सृजन समिति को जमीन खरीद-बिक्री करने(रियल एस्टेट), कॉलेज व अस्पताल के कारोबार में प्रवेश करना था. जिला सहकारिता कार्यालय ने उक्त प्रस्ताव पर 31 दिसंबर 2013 को अपनी मुहर लगा दी थी.
सृजन घोटाले में अब सबौर की 13 कट्ठा जमीन चर्चा में है. जमीन पर फिलहाल कंस्ट्रक्शन चल रहा है. कंस्ट्रक्शन के दौरान खरीदार को रजिस्ट्री होनी है. चर्चा थी कि सृजन घोटाले में सीबीआइ के रडार पर रहे प्रिया कुमार व उसके पति अमित कुमार 28 मार्च को भागलपुर आनेवाले थे.
प्रति कट्ठे करीब 3.5 लाख रुपये की दर से रजिस्ट्री का प्रस्ताव है. इस खरीदार को कुछ के सृजन घोटाले से जुड़े होने की खबर लग गयी. इस खबर के बाद फिलहाल 28 मार्च की प्लानिंग को स्थगित कर दी गयी है.

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