23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पलायन बड़ी समस्या, उद्योग से ही दूर होगी जिले की यह विपदा

पलायन बड़ी समस्या, उद्योग से ही दूर होगी जिले की यह विपदा

बांका. आतंकवादियों के हाथ जम्मू कश्मीर में जिले के कामगारों की हत्या होती है. विगत वर्ष भी एक ठेला पर चाट बेचने वाले दुकानदार मार दिया गया. इसके अतिरिक्त लाखों की संख्या में यहां के लोग प्रवासी की जिंदगी जीते हैं. सेठ-साहूकारों की फटकार पर उनकी रोजी-रोटी चलती है. एक कमरे में दस लोग रहने को विवश होते हैं. ऐसा इसीलिए है कि बांका में रोजगार नसीब नहीं होता है. अगर यहां के लोगों को रोजगार अपने जिले में मिल जाता तो शायद यहां के लोगों को दर-दर की ठोकर नहीं खाना पड़ता. लोकसभा चुनावी समर के बीच समुखिया मोड़ के ठीक निकट राजपुर गांव जाने वाले मार्ग अंतर्गत बड़े भूभाग के फैले सिरामिक फैक्ट्री आज भी जिले की दुर्दशा और नेताओं की विफलता का उपहास करता नजर आ रहा है. 80 दशक के करीब यहां के सांसद और बिहार के मुख्यमंत्री रहे चंद्रेशखर सिंह ने क्षेत्रवासियों को रोजगार मुहैया कराने की दृष्टि से सिरामिक फैक्ट्री स्थापित कराया. इसमें चिनी मिट्टी से कप, प्लेट अन्य बर्तन और साजो-समान बनता था, परंतु कारखाना प्रारंभ होने के साथ ही बंद पड़ गया. करोड़ो की लागत से नवनिर्मित भवन और स्थापित अन्य उपकरण जीर्ण-शीर्ण होकर माफियाओं की भेंट चढ़ गया. आज भी स्थानीय लोग सिरामिक फैैक्ट्री की दुर्दशा देख चिंतित हो उठते हैं. दरसअल, प्रत्येक लोकसभा चुनाव में रोजी-रोजगार और जिले में औद्योगिक विस्तार का मुद्दा प्रभावी रहता है. मतदाता भी इसपर खूब सवाल दागते हैं. हालांकि, मतदान के समय बेहद कम मतदाता बच जाते हैं, जो बुनियादी सवाल के अधार पर वोट करते हैं. अधिकांश मतदाता पार्टी आधारित, जाति आधारित और प्रत्याशी के आधार पर ही अपना मत देते हैं. हालांकि, उनका एक तर्क जरुर आता है कि बांका में पलायन की समस्या चुनौती बनी हुई है. इसे रोकने के लिए रोजी-रोजगार और औद्योगिक विस्तार ही एक मात्र उपाय है. हालांकि, औद्योगिक क्षेत्र में विस्तार के रुप में गैस रिफिलिंग प्लांट, सोलर पावर प्लांट आदि की स्थापना हुई है लेकिन, इसमें स्थानीय लोगों को काफी कम संख्या में भर्ती दी गयी है. कुछ काम कर भी रहे हैं तो देहाड़ी मजदूर के रुप में ही उनकी सेवा ली जा रही है. लेकिन, 25 लाख आबादी वाले इस जिले में श्रम संसाधन विकसित करने और उन्हें रोजगार देने वाले उद्योग की आवश्यकता है. लेकिन, आजादी के बाद से यहां किसी प्रकार का बड़ा औद्योगिक हब का विकास नहीं हो सका.

कहते हैं स्थानीय –

यह सिरामिक फैक्ट्री है. लेकिन, बंद पड़ा है. अगर यह चालू होता तो क्षेत्र के बेरोजगारों को बड़ी संख्या में रोजगार मिलता. परंतु, इसपर ध्यान देने वाला कोई नहीं है. वे हमेशा आते-जाते इसे इसी हाल में देखते हैं. –

प्रसाद मंडल

सिरामिक फैैक्ट्री बना लेकिन फायदा कुछ नहीं हुआ. यहां के लोग दिल्ली, मुंबई, कोलकाता जैसे शहरों घटते हैं. यदि इसे पुनः चालू कर दिया जाय तो क्षेत्र के लिए बड़ा उपकार होगा. लेकिन, ऐसे नेता कहां मिलते हैं. –

मुकेश पासवान

यहां के सांसद रहे चंद्रशेखर सिंह ने इसे बनवाया था. अब वैसा नेता कहां बांका को नसीब है. सिरामिक फैक्ट्री बना लेकिन, लाभ कुछ नहीं मिला. देखिये कब बांका का भाग्य चमकता है.

– चीगो साह

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें