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सदर अस्पताल में नहीं हुई दवा की खरीदारी

सदर अस्पताल में नहीं हुई दवा की खरीदारीउपाधीक्षक व औषधि निरीक्षक के विवाद में पीस रहे मरीज(फोटो नंबर-7) कैप्शन- सदर अस्पताल प्रतिनिधि, औरंगाबाद (नगर) सदर अस्पताल को आदर्श अस्पताल बनाये जाने के लिए केंद्र सरकार ने चयनित किया है, ताकि जिले के मरीजों को बेहतर चिकित्सीय सुविधा मिल सके. लेकिन, सदर अस्पताल की हालत आज […]

सदर अस्पताल में नहीं हुई दवा की खरीदारीउपाधीक्षक व औषधि निरीक्षक के विवाद में पीस रहे मरीज(फोटो नंबर-7) कैप्शन- सदर अस्पताल प्रतिनिधि, औरंगाबाद (नगर) सदर अस्पताल को आदर्श अस्पताल बनाये जाने के लिए केंद्र सरकार ने चयनित किया है, ताकि जिले के मरीजों को बेहतर चिकित्सीय सुविधा मिल सके. लेकिन, सदर अस्पताल की हालत आज के दिनों में जो है वह पीएचसी से भी खराब है. अस्पताल के उपाधीक्षक और औषधि निरीक्षक के बीच अंदरूनी विवाद के कारण दवा की खरीद सदर अस्पताल में नहीं हो पा रही है. इसके कारण यहां आनेवाले हर दिन सैकड़ों मरीज बाहर से दवा खरीदने को विवश हैं. सदर अस्पताल में न तो बुखार की दवा है और न ही खांसी की. सिर्फ एंटीबायोटिक दवा के भरोसे अस्पताल को संचालित किया जा रहा है. दोनों के बीच अंदरूनी विवाद की जानकारी जिलाधिकारी कंवल तनुज, सिविल सर्जन डाॅ आरपी सिंह को भी है, बावजूद इन पदाधिकारियों द्वारा कोई हस्तक्षेप नहीं किया जा रहा है. इस विवाद की चपेट में हर रोज मरीज आ रहे हैं. मरीज तो बिना सोचे समझे कोसो दूर से चल कर सदर अस्पताल में इलाज के लिए आते हैं. लेकिन, यहां इलाज के बाद उन्हें दवा नहीं मिल पा रहा है. इसके कारण उन्हें निराश होना पड़ रहा. हालांकि, उपाधीक्षक डाॅ तपेश्वर प्रसाद ने अपने ज्ञापांक 2013 दिनांक 17.12.15 के तहत सिविल सर्जन को एक पत्र लिखा है, जिसमें कहा है कि औषधि निरीक्षक जयशंकर प्रसाद द्वारा कई बहाना बनाकर सदर अस्पताल में दवा खरीदने के बजाय व्यवधान पैदा किया जा रहा है. हालांकि, तुलनात्मक विवरणी देख कर पता लगाया जा सकता है. उनके द्वारा अनुशासित दवा मूल्यों से कम दाम पर दवा की खरीदारी की जा रही थी, फिर भी व्यवधान पैदा कर कोटेशन रद्द करायी गयी. जिस दवा दुकान के नाम पर व्यवधान किया गया है. वह एलवन, एलटू, एलथ्री में नहीं था. कोटेशन बंद लिफाफे में अधीक्षक कार्यालय में दिया गया था. दवा एनआरएचएम के मध्य से जो खरीदनी थी वह खरीद ली है. इधर, औषधि निरीक्षक जयशंकर प्रसाद से दूरभाष पर पूछा गया तो उन्होंने बताया कि दवा खरीद करने से संबंधित जो विवाद है वह किसी से छिपा हुआ नहीं है. अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी व सिविल सर्जन को दिया हूं. उपाधीक्षक का आरोप बिल्कुल ही निराधार है.

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