इस्कॉन के सेमिनार में 400 युवाओं ने लिया भाग, पाया जीवन जीने का नया दृष्टिकोण
सेमिनार में युवा समस्याओं पर हुआ गहन मंथन
प्रतिनिधि, औरंगाबाद शहर
कलेक्ट्रेट परिसर स्थित टाउन हॉल रविवार को उत्साह, ज्ञान और भक्ति के संगम का साक्षी बना. जब अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ (इस्कॉन) द्वारा आयोजित उमंग 2025 युवा महोत्सव में युवाओं ने जीवन जीने और सफलता पाने का नया दृष्टिकोण पाया. इस कार्यक्रम में लगभग 400 युवाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. कार्यक्रम में शामिल जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री ने युवाओं से वन-टू-वन बातचीत में पूछे गये सवालों पर व्यावहारिक सुझाव दिया. यह आयोजन युवाओं को नशा, अवसाद और गलत आदतों से दूर कर सकारात्मक, नैतिक और आध्यात्मिक जीवन की ओर प्रेरित करने के उद्देश्य से किया गया. कार्यक्रम के केंद्र में युवाओं के समक्ष उत्पन्न होने वाली चुनौतियां रहीं. इसमें मोबाइल व पोर्नोग्राफी की लत, नशाखोरी, तनाव, अवसाद और आत्महत्या की प्रवृत्ति शामिल है. इस्कॉन औरंगाबाद के मीडिया प्रभारी हिमांशु राज ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य समस्याओं के समाधान के लिए युवाओं को गीता-आधारित जीवन प्रबंधन और व्यावहारिक उपाय प्रदान करना था. इस सेमिनार को राधापति चरण दास ने संबोधित किया. उन्होंने युवाओं को बताया कि सफलता का अर्थ केवल धन या पद नहीं, बल्कि संतुलित जीवन, मानसिक शांति और चरित्र निर्माण है. उन्होंने युवाओं को माइंड कंट्रोल के चार सूत्र बताये, जिसका नाम ए, बी, सी और डी टेक्निक दिया. ए से एसोसिएशन यानी अच्छी संगति, बी से बुक रीडिंग यानी शास्त्र पढ़ना, सी फॉर चैंटिंग यानी हरे कृष्ण महामंत्र का जाप करना व डी से डायट अर्थात सात्विक भोजन को अहम सूत्र बताये.सांस्कृतिक और आध्यात्मिकता का दिखा रंग
सेमिनार में सांस्कृतिक और आध्यात्मिकता का रंग दिखा. नशा और पोर्नोग्राफी के दुष्परिणामों पर आधारित नाटक ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया. वहीं हरे कृष्ण महामंत्र के संकीर्तन ने पूरे टाउन हॉल को भक्ति से भर दिया. कार्यक्रम के अंत में महाप्रसाद का वितरण किया गया.अध्यात्म से जुड़ना सबसे बड़ी शक्ति : डीएम
जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि अध्यात्म से जुड़ना जीवन की सबसे बड़ी शक्ति है. यह हर चुनौती का समाधान देता है. उन्होंने नैतिकता और अनुशासन के साथ जीवने जीने की सलाह दी और कहा कि इस रास्ते पर चलने से सफलता अवश्य मिलेगी. इसके अलावा जिले के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के निदेशक, प्राचार्य और शिक्षकों की उपस्थिति ने कार्यक्रम की गरिमा बढ़ायी. युवाओं को स्पष्ट संदेश दिया गया कि सच्ची सफलता तभी मिल सकती है, जब नैतिकता, अनुशासन और अध्यात्म को आत्मसात किया जाये. साथ ही सही संगति और सही ज्ञान से बुरी आदतों से बचा जा सकता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

