आरा. सरकार ने सरकारी कार्यालयों में कर्मियों एवं अधिकारियों के लिए निर्धारित नियमावली के तहत नाम पट्टिका लगाने का प्रावधान किया है. ताकि लोग संबंधित कार्यालय में पहुंचने पर अपने कार्य से संबंधित कर्मी के पास सहजता से पहुंच सके और अपनी समस्या का समाधान करा सकें.जबकि धरातल पर ऐसा नहीं है. ऐसे में लोगों को संबंधित व्यक्ति के पास पहुंचने में काफी परेशानी होती है.
जिले के सबसे बड़े प्रशासनिक कार्यालय में भी नहीं रहता है नेम प्लेट : जिले के सबसे बड़े प्रशासनिक कार्यालय समाहरणालय में किसी भी अधिकारी या कर्मचारी के टेबल पर नेम प्लेट नहीं लगा रहता है. उनका पहचान लोगों के सामने नहीं आ पाता है. जो लोग ग्रामीण क्षेत्र से या अन्य क्षेत्रों से अपनी समस्याओं के समाधान के लिए समाहरणालय पहुंचते हैं, उन्हें समझ में नहीं आता है कि कहां जाना है. कौन संबंधित कर्मचारी है. कई बार नाम की जानकारी होने के बाद भी लोग संबंधित कर्मचारी के पास पहुंचने में काफी कठिनाई महसूस करते हैं. बार-बार लोगों से पूछना पड़ता है. तब जाकर संबंधित कर्मी के पास पहुंच पाते हैं. इसमें उनका काफी समय बर्बाद हो जाता है. ऐसे में सरकार के निर्देश का जिला प्रशासन के पास कोई मायने नहीं है. जिले में सरकार के निर्देश की धज्जी उड़ायी जा रही है.
निचले प्रशासनिक कार्यालय में भी है बुरा हाल : निचले प्रशासनिक कार्यालय में भी बुरा हाल है. इन कार्यालयों में किसी भी कर्मी एवं अधिकारी के टेबल पर नेम प्लेट का बोर्ड नहीं लगा रहता है. जब समाहरणालय में ही ऐसी स्थिति है तो फिर अंचल एवं प्रखंड कार्यालय एवं सहित अन्य विभागों के कार्यालय में क्या स्थिति होगी. इसे सहज ही समझा जा सकता है.
क्या कहते हैं अधिकारी
यह जरूरी है. सरकार के नियम के अनुसार नेम प्लेट लगा होना चाहिए. इस पर विचार किया जायेगा. पहचान के लिए नेम प्लेट लगाने का प्रयास किया जायेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

