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फीफा विश्व कप: ब्राजील ने क्रोएशिया को हरा कर किया जीत से आगाज

ब्राजील-3क्रोएशिया-1 फुटबॉल के महासमर का शुभारंभ, सांबा की धुन पर थिरका ब्राजील साओ पाउलो : फीफा विश्व कप के उदघाटन मैच में मेजबान ब्राजील ने क्रोएशिया को हरा कर जीत से आगाज किया. भारतीय समयानुसार रात 1.30 बजे शुरू हुए रोमांचक मैच में उसने क्रोएशिया को 3-1 गोल से हराया. ब्राजील की ओर से दो […]

ब्राजील-3क्रोएशिया-1

फुटबॉल के महासमर का शुभारंभ, सांबा की धुन पर थिरका ब्राजील

साओ पाउलो : फीफा विश्व कप के उदघाटन मैच में मेजबान ब्राजील ने क्रोएशिया को हरा कर जीत से आगाज किया. भारतीय समयानुसार रात 1.30 बजे शुरू हुए रोमांचक मैच में उसने क्रोएशिया को 3-1 गोल से हराया. ब्राजील की ओर से दो गोल उसके स्टार फॉरवर्ड खिलाड़ी नेमार ने किये. मैच के पहले हाफ में दोनों टीमों की ओर से एक-एक गोल हुए. क्रोएशिया ने मैच के 11वें मिनट में बढ़त ले ली, जब ब्राजील के डिफेंडर मार्सेलो ने आत्मघाती गोल किया. इसके 18 मिनट बाद ब्राजील ने अपने स्टार फॉरवर्ड खिलाड़ी नेमार के गोल की बदौलत स्कोर 1-1 किया.

मैच के 29वें मिनट में नेमार ने डी के बाहर से शॉट लिया, जिसे क्रोएशिया के गोलकीपर प्लेटिकोसा रोकने में असफल रहे. दूसरा गोल भी नेमार ने 71वें मिनट में मिले पेनाल्टी शॉट से किया. ब्राजील के लिए तीसरा गोल मिडफील्डर ऑस्कर ने मैच के आखिरी मिनट (90वें) में किया.

इससे पूर्वसांबा की धुन पर थिरकते नर्तकों, रैपर पिटबुल, जेनिफर लोपेज व ब्राजीली गायिका क्लाउडिया लिएटे की आवाज के जादू और फुटबॉल के लिए ब्राजील की दीवानगी बयां करती रंगारंग संगीतमय पेशकश के बीच गुरुवार को अगले एक महीने तक 32 टीमों के बीच चलनेवाले फुटबॉल के महासमर का रंगारंग आगाज हो गया. यहां कोरिंथियंस एरेना में भारतीय समयानुसार रात 11.30 पर शुरू हुए विश्व कप फुटबॉल के उदघाटन समारोह में वह सब कुछ था, जिसके लिए ब्राजील को जाना जाता है. रंग-बिरंगे परिधानों में जुटे लोकनर्तकों ने देश की संगीतमय विरासत की शानदार नुमाइश की.

समारोह में आकर्षण का केंद्र मैदान के बीचो बीच रखी बड़ी सी गेंद थी, जिसके इर्द गिर्द रंग-बिरंगे फूलों और पेड़ों के परिधान पहने कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियां दी. ब्राजीली मार्शल आर्ट कापोइरा की भी खास झलक स्टेडियम में जमा और दुनिया भर में टीवी के सामने नजरें गडाये बैठे फुटबॉलप्रेमियों के सामने पेश की गयी.

उदघाटन समारोह का मुख्य आकर्षण हॉलीवुड अभिनेत्री सह गायिका जेनिफर लोपेज, रैपर पिटबुल और ब्राजीली गायिका क्लाउडिया लिएटे द्वारा गाया गया फीफा एंथेम ‘वी आर वन.. (ओले ओला)’ रहा. इस फीफा एंथेम पर पूरा स्टेडियम झूम उठा. इसके अलावा स्थानीय कलाकारों ने कई रंगारंग कार्यक्रम पेश किये. यह फुटबॉल महासमर ब्राजील की मेजबानी में दूसरी बार आयोजित किया जा रहा है. इससे पहले 1950 में ब्राजील ने फीफा वर्ल्ड कप की मेजबानी की थी.

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फीफा विश्व कप: ब्राजील ने क्रोएशिया को हरा कर किया जीत से आगाज 2

फीफा विश्व कप में दुनिया के 32 देशों की टीमें हिस्सा ले रही हैं. ये टीमें विश्व चैंपियन बनने के लिए एक-दूसरे से भिड़ेंगी. टूर्नामेंट में 436 खिलाड़ी अपना जलवा बिखेर रहे हैं. अब तक ब्राजील ने सबसे अधिक पांच बार विश्व चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया है. इटली ने चार बार विश्व कप जीता है. वहीं तीन बार विश्व विजेता बननेवाली जर्मनी तीसरे स्थान पर है.

पेंटा यानी पांच बार विश्व कप जीत चुके ब्राजील में टूर्नामेंट का आयोजन 1950 के बाद पहली बार हो रहा है. ब्राजीली जीवन शैली की झलक दिखाने के लिए कुछ कलाकारों ने जिम्नास्टिक का सहारा लिया, तो कुछ छोटी-छोटी नावों पर मैदान में उतरे. मैदान पर बड़े-बड़े नगाड़े भी आकर्षण का केंद्र बने हुए थे. फुटबॉल को मजहब माननेवाली ब्राजील की संस्कृति की झलक स्कूली बच्चों ने पेश की जो रैफरी बन कर पिच पर उतरे थे. इसके बाद ब्राजील का ध्वज मैदान में लाया गया.

सभी 32 टीमों की जर्सी में मौजूद बच्चों इलास्टिक से जुड़ी गेंद से खेलते नजर आये. आखिर में मैदान के बीच रखी गयी रंग बिरंगी एलक्ष्डी गेंद के पट खुले और उसके भीतर से मशहूर पॉप स्टार जेनिफर लोपेज, रैपर पिटबुल और ब्राजीली गायिका क्लाउडिया लिएटे निकले. उन्होंने मिल कर विश्व कप का आधिकारिक गीत ‘ओले ओला (वी आर वन..)’ गाया, तो मैदान पर जमा दर्शक भी साथ झूम उठे.

पुलिस ने छोड़ी आंसू गैस

इससे पूर्व विश्व कप फुटबॉल के उदघाटन समारोह के कुछ घंटे पहले ब्राजीली पुलिस ने प्रर्दशनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस छोड़ी. ब्राजील में विश्व कप के आयोजन पर भारी सरकारी खर्च का पिछले कई दिनों से काफी विरोध हो रहा था और इस आयोजन के खिलाफ प्रर्दशन भी हुए थे. टूर्नामेंट का उदघाटन मैच शुरू होने से कुछ घंटे पहले 100 से ज्यादा प्रदर्शनकारी स्टेडियम की तरफ जानेवाले एक प्रमुख मार्ग पर प्रर्दशन के लिए इकट्ठा हुए, जिनकी पुलिस के साथ झड़प भी हुई. उन्होंने पत्थर फेंके और कूड़े में आग लगा दी. साओ पाउलो स्टेट सैन्य पुलिस के एक प्रवक्ता ने बताया कि पुलिस को मजबूरन आंसू गैस और आवाज करनेवाले बमों का इस्तेमाल करना पड़ा.

वर्ल्‍ड कप डायरी

टीम से बाहर टेवेज नहीं देखेंगे वर्ल्‍ड कप

ब्यूनस आयर्स. अर्जेटीना के कोच अलेजांद्रो साबेला द्वारा टीम में जगह नहीं दिये जाने से क्षुब्ध स्ट्राइकर कालरेस टेवेज ने स्वीकार किया कि वह फुटबॉल का यह महासमर नहीं देखेंगे. तीस बरस के टेवेज को तीन साल पहले उरुग्वे के खिलाफ कोपा अमेरिका क्वार्टर फाइनल में पेनल्टी चूकने का खामियाजा भुगतना पडा. उन्होंने कहा, ‘मैं विश्व कप नहीं देखूंगा. मुङो नहीं पता कि अर्जेंटीना की टीम कैसे खेल रही है. मेरी किसी से कोई बात नहीं हुई है.’

अब तय होगा रोनाल्डो महान हैं या मेसी

रियो डि जेनेरियो. एक दुनिया का सबसे लोकप्रिय फुटबॉलर है तो दूसरा सबसे बेशकीमती. दोनों ने चैंपियंस लीग में समान गोल किये हैं और कई खिताब जीते लेकिन वर्ल्ड कप में क्रिस्टियानो रोनाल्डो और लियोनेल मेसी का जादू अभी तक चल नहीं सका है. मेसी और रोनाल्डो मिलकर छह बार दुनिया के सर्वश्रेष्ठ फुटबालर का पुरस्कार जीत चुके हैं. दोनों पिछले दो वर्ल्ड कप खेले लेकिन खिताब के करीब नहीं पहुंच पाये. मेसी ने विश्व कप में अभी तक महज एक और रोनाल्डो ने दो गोल दागे. अब अर्जेंटीना की उम्मीदों का दारोमदार मेसी के कंधों पर है जबकि पुर्तगाल की उम्मीदें रोनाल्डो पर टिकी हैं. ब्राजील में हो रहे इस वर्ल्ड कप से तय होगा कि दोनों में से कौन पेले, डिएगो माराडोना और जिनेदीन जिदान जैसे महान खिलाड़ियों की जमात में शामिल होने के काबिल है.

अर्जेटीना के अभ्यास सत्र में घुसे प्रशंसक

बेलो होरिजोंटे. अर्जेंटीना टीम के खुले अभ्यास सत्र के दौरान एक दर्जन से अधिक फुटबॉल प्रेमी मैदान में घुस गये और सुरक्षाकर्मियों के दखल देने तक लियोनेल मेसी तथा उनके साथी खिलाड़ियों के पास पहुंच गये. एक प्रशंसक तो मेसी के सामने घुटनों के बल बैठ गया और उसके जूते चमकाने लगा. मेसी हंसने लगे तो प्रशंसक ने उसे लगा लिया और अपना स्वेटर भी दे दिया. इसके बाद सुरक्षा गार्ड ने आकर उसे खदेड़ा. बाकी प्रशंसक भी उस गेंद को लेकर दौड़ पडे जिसका इस्तेमाल अर्जेंटीना ने अभ्यास सत्र के दौरान किया था. मुफ्त टिकट के लिये घंटों खड़े रहने के बाद करीब 10000 लोगों ने अभ्यास सत्र देखा जिनमें से अधिकांश ने अर्जेंटीना की शर्ट पहन रखी थी.

अफ्रीकी टीमें कर सकती हैं उलटफेर

अफ्रीका की टीमें (घाना, कैमरून और नाइजीरिया) इस फीफा वर्ल्‍ड कप में बड़ा उलटफेर कर सकती है. इतिहास गवाह रहा है कि कई मौकों पर अफ्रीकी टीमों ने बड़ी टीमों को हराकर सुर्खियां बटोरी है. 2002 फीफा वर्ल्ड कप का वह मैच कोई कैसे भूल सकता है जिसमें सेनेगल ने गत चैंपियन फ्रांस को 2-0 से हराकर सनसनी फैला दी थी.

सेनेगल ने सभी को चकित करते हुए क्वार्टर फाइनल तक का सफर तय किया था. इसी तरह 1990 फुटबॉल वर्ल्ड कप में कैमरून ने खिताब की प्रबल दावेदार अर्जेटीना को 1-0 से हरा दिया था. इस बार फीफा वर्ल्ड कप ब्राजील में हो रहा है. ब्राजील के बारे में हम सब जानते हैं कि वह एर गर्म देश है. ऐसे में इस माहौल का फायदा लैटिन अमेरिकी और अफ्रीकी देश उठा सकते है. ब्राजील के माहौल में यूरोपियन देशों को खासा नुकसान हो सकता है. उनके लिए वहां की गर्मी में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना काफी मुश्किल होगा.

अब तक लैटिन अमेरिका में जो भी वर्ल्ड कप हुआ है उसमें यूरोप की टीमें खास नहीं कर पायी हैं. मेरी नजर में इस वर्ल्ड कप में खिताब की सबसे प्रबल दावेदार अर्जेटीना की टीम है. उनके लिए मेसी जैसे खिलाड़ी का टीम में होना एक वरदान की तरह है. साथ ही टीम के अन्य फॉरवर्ड खिलाड़ी भी अभी लय में हैं. अर्जेटीना को ब्राजील के कंडिशन में खेलने में कोई दिक्कत नहीं होगी, क्योंकि ब्राजील और अर्जेटीना दोनों लैटिन अमेरिकन देश है जिसका वातावरण, तापमान और अन्य भौगोलिक कंडीशन एक जैसे हैं. ब्राजील भी दावेदार है लेकिन उस पर घरेलू प्रशंसकों का भारी दबाव होगा.

-जैसा कि उन्होंने मो निसार को बताया.

* प्रसारण रात 1:30 से

साओ पाउलो : फीफा विश्व कप का आगाज गुरुवार को मेजबान ब्राजील और क्रोएशिया के बीच ग्रुप ए मुकाबले से होगा. खिताब की प्रबल दावेदाक मानी रही पांच बार की चैंपियन ब्राजील टीम का पलड़ा इस मैच में अपने यूरोपीय प्रतिद्वंद्वी पर भारी रहने की उम्मीद है.
देखें तस्‍वीरें…

वहीं, 1998 वर्ल्ड कप की सेमीफाइनलिस्ट क्रोएशिया की टीम इस खेल महाकुंभ के पहले ही मैच में बड़ा उलटफेर करने के इरादे से उतरेगी. 2002 में ब्राजील को खिताब दिला चुके कोच लुईज फिलिप स्कोलारी इस मैच में भी उसी स्टार्टिग लाइन अप पर भरोसा कर सकते हैं, जिसके साथ टीम ने पिछले साल कनफेडरेशन कप के फाइनल में स्पेन को मात दी थी. वहीं, क्रोएशियाई टीम को स्टार खिलाड़ी डानिजेल फ्रांजिच के चोटिल होने से झटका लगा है. मारियो मांडुकिच पिछले मैच में रेड कार्ड मिलने की वजह से ब्राजील के खिलाफ नहीं खेल पायेंगे.

* अब तक हुई है दो बार भिड़ंत

ब्राजील और क्रोएशिया की टीम अब तक सिर्फ दो बार आमने-सामने हुई है. इसमें ब्राजील ने 13 जून 2006 को वर्ल्ड कप में ही हुई पिछली भिड़ंत में 1-0 से जीत दर्ज की थी. ब्राजील के लिए काका ने गोल किया था. इसके अलावा इन टीमों के बीच एक अन्य मैच 1-1 से ड्रॉ रहा था.

– मेजबान नहीं हारते उदघाटन मैच

* वर्ल्ड कप की मेजबान टीम आज तक अपना उदघाटन मैच नहीं हारी है. अब तक हुए 19 वर्ल्ड कप में 14 बार मेजबान टीम ने उदघाटन मैच जीता है जबकि छह ड्रॉ खेला है.

* वर्ल्ड कप में ब्राजील ने सर्वाधिक 67 मैच जीते हैं.

* ब्राजील ने वर्ल्ड कप में अब तक 210 गोल किये हैं. सभी टीमों में दूसरे स्थान पर है.

* ब्राजील को वर्ल्ड कप के ग्रुप चरण में आखिरी बार हार का सामना 1998 में नॉव्रे के खिलाफ करना पड़ा था. तब से ब्राजील की टीम नौ में से आठ मैच जीत चुकी है और एक ड्रॉ खेला है.

* क्रोएशिया ने अब तक अपने 13 वर्ल्ड कप मैचों में सिर्फ 11 गोल खाये हैं.

-ब्राजील पर उम्मीदों का काफी दबाव

शब्बीर अली 1970 और 80 के दशक में भारत के बेहद लोकप्रिय फुटबॉल खिलाड़ियों में से हुआ करते थे. हैदराबाद में जन्मे 58 वर्षीय अली अपने समय के बेहतरीन स्ट्राइकर रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय मैचों में 35 गोल कर चुके हैं. टाटा स्पोर्ट्स क्लब, कलकत्ता क्लब, इस्ट बंगाल और मोहम्मडन स्पोर्टिग से खेल चुके हैं. अली इकलौते फुटबॉलर हैं जिन्हें खेलों में अहम योगदान के लिए ध्यानचंद पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया. राष्ट्रीय टीम के साथ कोच के तौर पर जुड़े. काफी समय तक घरेलू फुटबॉल में भी कोचिंग से जुड़े रहे. फीफा वर्ल्ड कप के दौरान अली टीवी एक्सपर्ट की भूमिका में भी नजर आते हैं. ब्राजील में होने वाले वर्ल्ड कप और भारतीय फुटबॉल से जुड़े कई मुद्दों पर उनसे प्रभात खबर के लिए खास बातचीत की है खेल पत्रकार विमल कुमार ने.

सबसे मजबूत दावेदारी किस टीम की है?

कुछ हद तक ब्राजील को ही मैं सबसे बड़ा दावेदार कहूंगा. वैसे किसी भी एक टीम में बारे में भविष्यवाणी करना सही नहीं है. लेकिन उन्हें घरेलू मैदान पर खेलने का फायदा मिलेगा. उनकी अच्छी रैंकिंग है और उन्होंने दोस्ताना मैचों में बेहतर फॉर्म के संकेत दिये हैं हाल ही में ब्राजील ने कॉनफेडरेशन कप भी जीता है. इसके अलावा अर्जेटिना, जर्मनी, स्पेन भी काफी मजबूत टीमें हैं. क्या ब्राजील पर उम्मीदों का दबाव ज्यादा होगा?

हो सकता है लेकिन उन्हें समर्थन भी जबरदस्त मिलेगा. और हर खिलाड़ी चाहता है कि होम ग्राउंड पर खिताब जीते.

2014 का फुटबॉल वर्ल्ड कप किस मायने में जुदा है?

युवाओं का बोलबाला ज्यादा है. कुछ हद तक बोल सकते हैं कि बहुत सारे युवा खिलाड़ी हैं. ब्राजील के अलावा पुर्त्तगाल को भी अच्छा समर्थन मिलेगा.

वह युवा खिलाड़ी कौन है, जिस पर आपकी नजर है. जो स्टार बन सकता है?

बेल्जियम के गोलकीपर कोटिस, जर्मनी के मार्यो कोटिज, बेल्जियम के रोमेलो ल्यूकाकू, फ्रांस के राफेल वराने और पॉल पब्बा ऐसे नाम हैं जिनसे मैं ये उम्मीद कर रहा हूं कि वो भविष्य के बड़े स्टार बन सकते हैं.

पूराने खिलाड़ियों में से आपको किनसे ज्यादा उम्मीदें हैं?

इंग्लैंड के वैन रूनी के लिए ये मौका अपनी प्रतिभा को यादगार प्रदर्शन में तब्दील करने की है. इटली के मैसी के साथ भी यही बात लागू होती है. अगर मैसी को वाकई खुद को सर्वकालीन महान खिलाड़ियों में शुमार होना है तो इस बार उन्हें अपनी छाप छोड़नी ही होगी. पुर्तगाल के रोनाल्डो भी इस श्रेणी में आते हैं. आप कितनी भी लीगें या टाइटल जीत लें, वर्ल्ड कप में कामयाबी की बात ही अलग है. वर्ल्ड कप के खिताब की हमेशा एक अलग अहमियत रहती है, क्योंकि हर खिलाड़ी की ये दिली तमन्ना होती है. बहुत-से बड़े खिलाड़ी वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम का हिस्सा नहीं बन पाये, जिसका उन्हें हमेशा अफसोस रहा. यूसूबियो पुर्तगाल के 1966, योन क्र ाइफ 1974 हॉलैंड के. पुस्कास फ्रांस के 1954.

इंडिया में फुटबॉल का जूनन सिर्फ चार साल ही में एक बार देखने को मिलता है, ऐसा क्यों?

इसलिए क्योंकि हमारे फुटबॉल का स्तर अच्छा नहीं है. हमारे समय में स्थानीय लीग काफी लोकप्रिय हुआ करती थी क्योंकि लोगों को अच्छा खेल देखने को मिलता था. अब खेलप्रेमियों की टीवी पर बड़े बड़े लीग और टूर्नामेंट देखने को मिलते हैं, जिससे भारतीय फुटबॉल से उनकी उम्मीदें काफी बढ़ जीती है. उसे हम पूरा करने में नाकाम होते हैं. दूसरी बात ये है कि अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल में हमारा कोई वजूद नहीं है. अगर अच्छे तरीके से राष्ट्रीय टीम खेलती है और नतीजे हासिल करती है तो दिलचस्पी बढेगी. 1978 की बात है कोलकाता में एक बस में मुझसे किसी ने सवाल पूछा कि अगर सेमीफाइनल में पहुंचने वाली चार टीमों से किसमें साथ खेलना चाहेंगे तो मेरा जवाब था. मेरा स्तर उन टीमों के बराबर का नहीं है. कई लोगों को ये जवाब अजीब लगा क्योंकि वो मुङो बहुत बड़ा स्टार मानते थे लेकिन मुङो ईमानदारी से हकीकत बयां करने में कोई हिचकिचाहट नहीं थी. आज भी हालात बिल्कुल वैसे ही हैं.

आपके समय से लेकर अब तक फुटबॉल को किस तरह के सकारात्मक बदलाव देखने को मिले हैं?

फेडरेशन(एआइएफएफ)ने काफी कोशिश की है. खासकर युवाओं को प्रोत्साहित करने में. आइलीग शुरू होने से एक वक्त में तीन-चार जगहों पर फुटबॉल चल रही है. अंडर 17 वर्ल्ड कप के आयोजन से भी आने वाले समय में जमीनी स्तर पर काफी फर्क देखने को मिलेगा.

भारतीय फुटबॉल के साथ समस्या क्या है?

अभी समस्या है कि हम बड़ी विदेशी टीमों का बुला नहीं सकते हैं.1982-84 के दौरान नेहरू गोल्ड कप कोलकाता में खेला गया जब हंगरी, पॉलैंड, उरु ग्वे( सारे बड़े नामों के साथ), अर्जेटिना (बिना माराडोना के लेकिन 1986 की पूरी टीम) भारत में खेलने आयी. इससे खेलप्रेमियों पर एक अलग प्रभाव पड़ता है. उस दौर में (1983-84) में टीम इंडिया के फुटबॉल कोच चेकोस्लोवाकिया के सीरीच मेलावॉन हुआ करते थे, जिनकी गिनती टॉप 10 कोच में होती थी. आप अंदाजा लगा सकते हैं कि उस समय भारतीय फुटबॉल के मायने क्या थे.

आप अपने जमाने के मशहूर खिलाड़ी रहे हैं. उस समय आपको बाकी शहरों में क्रि केटर जैसी ही इज्जत मिलती थी. आज क्या हाल है?

फुटबॉल का क्रेज खत्म हो गया है. यहां तक कि कोलकाता में भी लोगों में वो जोश नहीं रहा है. इसके लिए मैं किसी एक को दोष नहीं देता हूं. गलती हर किसी से हुई है. फुटबॉल को काफी बड़ा ओहदा मिल सकता था. आप खुद ही सोचिए कि आज भी राज्य स्तर पर घरेलू फुटबॉल को देखने वालों की संख्या घरेलू क्रि केट से ज्यादा है. क्रि केट में सिर्फ आइपीएल के ग्लैमर और अंतरराष्ट्रीय मैचों के दीवाने मिलेंगे. फुटबॉल में ऐसी बात नहीं है.

इस वर्ल्ड कप के बाद स्थित बदलेगी क्योंकि आइएसएल का भी आयोजन हो रहा है.

उम्मीद की जा सकती है. ये अच्छा मौका है, अगर इस लोकप्रियता को सही ढंग से भुनाया जाये, क्योंकि आइएसएल भी दो बार पॉस्टपांड हो चुका है. बड़े बिजनेस घरानों और स्टार लोगों के जुड़ने से फुटबॉल को फायदा मिलेगा.

https://www.youtube.com/watch?v=wGBuwL6hWSo

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