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अनिल कुंबले को कोच पद से इस्तीफा देने के लिए किया गया था बाध्य, विनोद राय की किताब से हुआ खुलासा

कोहली ने अनिल कुंबले के साथ मतभेद की शिकायत की जिन्होंने 2017 में चैंपियन्स ट्रॉफी के बाद सार्वजनिक रूप से इस्तीफे की घोषणा की. कुंबले को 2016 में एक साल का अनुबंध दिया गया था.

प्रशासकों की समिति (सीओए) के प्रमुख रहे विनोद राय (Vinod Rai) के अनुसार अनिल कुंबले (Anil Kumble) को लगता था कि उनके साथ अनुचित व्यवहार किया गया और भारतीय टीम के मुख्य कोच के पद से इस्तीफा देने के लिए बाध्य किया गया. लेकिन तत्कालीन कप्तान विराट कोहली का मानना था कि खिलाड़ी अनुशासन लागू करने की उनकी डराने वाली शैली से खुश नहीं थे. राय ने अपनी हाल में प्रकाशित किताब ‘नॉट जस्ट ए नाइटवाचमैन: माइ इनिंग्स विद बीसीसीआई’ में अपने 33 महीने के कार्यकाल के विभिन्न पहलुओं का जिक्र किया है.

कोहली ने की थी कुंबले के साथ मतभेद की शिकायत

सबसे बड़ा मुद्दा और संभवत: सबसे विवादास्पद मामला उस समय हुआ जब कोहली ने अनिल कुंबले के साथ मतभेद की शिकायत की जिन्होंने 2017 में चैंपियन्स ट्रॉफी के बाद सार्वजनिक रूप से इस्तीफे की घोषणा की. कुंबले को 2016 में एक साल का अनुबंध दिया गया था. राय ने अपनी किताब में लिखा, कप्तान और टीम प्रबंधन के साथ मेरी बातचीत में यह पता चला कि कुंबले काफी अधिक अनुशासन लागू करते हैं और इसलिए टीम के सदस्य उनसे काफी अधिक खुश नहीं थे. उन्होंने लिखा, मैंने इस मुद्दे पर विराट कोहली के साथ बात की और उन्होंने कहा कि टीम के युवा सदस्य उनके साथ काम करने के उनके तरीके से डरते थे.

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तेंदुलकर, गांगुली और लक्ष्मण ने की थी कुंबले का अनुबंध बढ़ाने की सिफारिश

राय ने खुलासा किया कि सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण की क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएसी) ने कुंबले का अनुबंध बढ़ाने की सिफारिश की थी. उन्होंने कहा, इसके बाद लंदन में सीएसी की बैठक हुई और इस मुद्दे को सलुझाने के लिए दोनों के साथ अलग अलग बात की गई. तीन दिन तक बातचीत के बाद उन्होंने मुख्य कोच के रूप में कुंबले की पुन: नियुक्ति की सिफारिश करने का फैसला किया. हालांकि बाद में जो हुआ उससे जाहिर था कि कोहली के नजरिए को अधिक सम्मान दिया गया था और इसलिए कुंबले की स्थिति अस्थिर हो गई थी.

विराट कोहली के साथ विवाद से निराश थे कुंबले

राय ने लिखा, कुंबले के ब्रिटेन से लौटने के बाद हमने उनके साथ लंबी बातचीत की. जिस तरह पूरा प्रकरण हुआ उससे वह स्पष्ट रूप से निराश थे। उन्हें लगा कि उनके साथ गलत व्यवहार किया गया है और एक कप्तान या टीम को इतना महत्व नहीं दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, कोच का कर्तव्य था कि वह टीम में अनुशासन और पेशेवरपन लाए और एक वरिष्ठ के रूप में, खिलाड़ियों को उनके विचारों का सम्मान करना चाहिए था. राय ने यह भी लिखा कि कुंबले ने महसूस किया कि प्रोटोकॉल और प्रक्रिया का पालन करने पर अधिक भरोसा किया गया और उनके मार्गदर्शन में टीम ने कैसा प्रदर्शन किया, इसे कम महत्व दिया गया. वह निराश था कि हमने प्रक्रिया का पालन करने को इतना महत्व दिया था और पिछले वर्ष में टीम के प्रदर्शन को देखते हुए, वह कार्यकाल में विस्तार का हकदार था.

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