नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने एक पत्रिका के मुखपृष्ठ पर खुद को भगवान के रूप में दर्शाकर कथित तौर पर धार्मिक भावनाएं आहत करने के लिये महेंद्र सिंह धौनी के खिलाफ दायर आपराधिक मामले को आज खारिज कर दिया. न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पीठ ने धौनी को राहत देते हुए कहा कि कर्नाटक की निचली अदालत ने कानूनी प्रक्रिया का पालन किये बिना इस क्रिकेटर को समन भेजने की गलती की.
पीठ ने कहा, ‘‘हम उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करके इस मामले को खारिज करते हैं जिसमें आरोपी को समन भेजने का आदेश भी शामिल है. हमने यह आदेश पारित करते हुए शिकायत और कथित अपराध को संज्ञान में लिया है. ‘ उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल 14 सितंबर को धोनी के खिलाफ आपराधिक प्रक्रिया चलाने पर रोक लगा दी थी. धौनी के खिलाफ एक पत्रिका के मुखपृष्ठ पर कथित तौर पर खुद को भगवान विष्णु के रुप में दर्शाने को लेकर शिकायत की गयी थी.
न्यायालय ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश पर भी रोक लगा दी थी। उच्च न्यायालय ने इस क्रिकेटर के खिलाफ चल रहे आपराधिक मामले पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया था. धोनी ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए विशेष अनुमति याचिका दायर की थी. सामाजिक कार्यकर्ता जयकुमार हीरमथ ने याचिका दायर करके आरोप लगाया था कि धौनी को एक बिजनेस पत्रिका के मुखपृष्ठ पर भगवान विष्णु के रुप में दिखाया गया है. उनके हाथों कई चीजें हैं जिनमें जूता भी शामिल है.
शिकायत पर संज्ञान लेते हुए अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने धौनी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 295 : धार्मिक भावनाएं आहत करने से संबंधित : के अलावा धारा 34 : इरादतन : के तहत मामला दर्ज करने के निर्देश दिये थे. बाद में मजिस्टे्रट ने धौनी को अदालत में उपस्थित होने के लिये समन जारी किया था जिसके खिलाफ वह उच्च न्यायालय चले गये थे.