सेंचुरियन : विराट कोहली और कोच रवि शास्त्री की अगुवाई में टीम इंडिया लगातार शानदार प्रदर्शन कर रही थी, लेकिन टीम जैसे ही विदेश दौरे पर दक्षिण अफ्रीका पहुंची उसकी सारी पोल खुल गयी. विराट सेना एक बार फिर अपनी जमीं पर शेर साबित हुए और विदेश में लगातार असफलता का टैग नहीं हटा पाये.
2017 में पांच शतक जमाने वाले विराट कोहली की अगुवाई में जब टीम दक्षिण अफ्रीका दौरे पर जा रही थी तो केवल पूर्व क्रिकेटर को ही नहीं बल्कि पूरे देश को भारत से उम्मीद जग गयी थी. सभी को लगने लगा कि टीम इंडिया दक्षिण अफ्रीका में सीरीज न जीत पाने का शर्मनाक रिकार्ड अपने नाम से हटा लेगा और 25 साल बाद अफ्रीका को उसी की धरती पर मात देकर इतिहास बदल डालेगा. लेकिन यह सब कोरी कल्पना साबित हुई और विराट सेना ने न केवल दूसरा टेस्ट हारा बल्कि श्रृंखला भी गवां दिया.
अब फिर से टीम इंडिया को दक्षिण अफ्रीका में पहली सीरीज जीत की तलाश शुरू हो गयी. कोहली भी अपने देश को यह तोहफा नहीं दे पाये. टीम चयन को लेकर पहले से पूर्व क्रिकेटरों के निशाने पर आये कप्तान कोहली की इस हार के बाद किरकिरी होना तय है.
कोहली जिन पर भी भरोशा किया उसी ने उन्हें धोखा दिया. रोहित शर्मा लगातार असफल रहे और उनका बल्ला खामोश रहा. दोनों पारियों में रोहित ने मात्र 57 रन बनाये. उसी तरह मुरली विजय, केएल राहुल ने भी कप्तान के भरोसे को तोड़ा.
आइये हार की पांच बड़ी वजह पर गौर करें.
1. गेंदबाजों के शानदार प्रदर्शन पर बल्लेबजों ने पानी फेरा
2017 टेस्ट क्रिकेट में विराट कोहली और चेतेश्वर पुजारा ने जमकर रन बनाये. दोनों टेस्ट में पिछले साल सबसे अधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी भी रहे. लेकिन अफ्रीकी धरती पर टीम इंडिया के बल्लेबाजों की हालत खराब हो गयी.
अपनी देश में शेर वाला कहावत को टीम इंडिया के बल्लेबाजों ने फिर से साबित कर दिया. विराट कोहली पिछली 4 पारियों में सिर्फ 1 बार कामयाब रहे. बाकी के बल्लेबाजों में सिर्फ हार्दिक पांड्या एक बार 93 तक पहुंच सके. बाकी के सभी बल्लेबाजों ने निराश किया. बल्लेबाजों के लचर प्रदर्शन का खामियाजा पूरी टीम को उठाना पड़ा. भारतीय गेंदबाजों ने भारत की जीत का रास्ता बना लिया था लेकिन बल्लेबाजों के खराब प्रदर्शन ने पूरी योजना को ही ध्वस्त कर दिया.
2. ओपनर का बेहद खराब प्रदर्शन
इस सीरीज में भारत की सबसे बड़ी समस्या सलामी जोड़ी रही और हार के लिए यह सबसे बड़ी बजह साबित हुई. पहले टेस्ट में जब दोनों पारियों में शिखर धवन और मुरली विजय नहीं चले तो दूसरे टेस्ट में शिखर धवन की जगह केएल राहुल को जगह दी गई. लेकिन कोहली के भरोसे पर राहुल भी खरे नहीं उतरे. राहुल भी बुरी तरह फ्लॉप रहे. उन्होंने पहली पारी में 10 और दूसरी पारी में 4 रन बनाए. मुरली विजय भी सिर्फ एक बार 46 रनों की बड़ी पारी खेल पाए. दूसरी पारी में उन्होंने ने भी निराश किया.
3. टीम इंडिया के लिए फिर सिर दर्द बना मध्यक्रम
दो टेस्ट की चार पारियों में पहले टेस्ट में हार्दिक पांड्या की 93 रनों की पारी और दूसरे टेस्ट में विराट कोहली की 151 रनों की पारी को छोड़ दें तो टीम इंडिया का कोई भी बल्लेबाज अब तक एक हाफ सेंचुरी भी नहीं लगा पाया. टीम इंडिया के लिए एक बार फिर मध्यमक्रम सिर दर्द साबित हुआ.
पहले टेस्ट में टीम इंडिया की ओर से सिर्फ एक हाफ सेंचुरी बनी. वहीं दूसरे टेस्ट में सिर्फ विराट के बल्ले से एक सेंचुरी बनी. इसके अलावा कोई भी बल्लेबाज रन नहीं बना पाये.
4. कोहली के आसपास सिमटी पूरी टीम
पिछले कई सालों से टीम इंडिया ने एक खिलाड़ी पर अपनी निर्भरता खत्म कर दी है, लेकिन विदेशी धरती पर एक बार फिर टीम इंडिया ने साबित कर दिया है कि पूरी टीम एक खिलाड़ी के प्रदर्शन पर टिकी है. विराट कोहली पर ही पूरी टीम टिकी नजर आयी. कोहली चले तो ठीक नहीं तो पूरी टीम ‘तू चल मैं आया’ होकर रह गयी. अफ्रीकी तेज गेंदबाजों के सामने युवा टीम ताश के पत्ते की तरह ढह गयी.
5. विकेटकीपिंग में याद आये धौनी
पहले टेस्ट में टीम इंडिया की ओर से सबसे ज्यादा कैच लेकर ऋद्धिमान साहा ने एक रिकॉर्ड बनाया था, हालांकि बल्लेबाजी में कामयाब नहीं रहे. उनके चोटिल होने के बाद पार्थिव पटेल को मौका मिला, लेकिन वह भी असफल रहे. बल्लेबाजी में तो चले नहीं और विकेटकीपिंग भी उनकी बहुत कमजोर रही. पूर्व क्रिकेटर और भारत को पहला वर्ल्ड कप दिलाने वाली टीम का हिस्सा रहे सुनील गावस्कर को अफ्रीका में महेंद्र सिंह धौनी की याद आ गयी. उन्होंने भारत की खराब हालत देखते हुए कहा, काश धौनी ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास नहीं लिया होता.