Premanand Ji Maharaj: एकादशी व्रत को सभी व्रतों में सबसे श्रेष्ठ माना जाता है. मान्यता है कि इसे करने से व्यक्ति के पुराने पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन में शांति और संतोष आता है. इसके साथ ही घर में सुख-संपत्ति का वास होता है और भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है. हालांकि, कई बार लोग एकादशी व्रत करते हैं, लेकिन उसका पूरा फल नहीं प्राप्त कर पाते. इसका कारण व्रत के नियमों और संयम का सही ढंग से पालन न करना होता है. आइए जानते हैं प्रेमानंद जी द्वारा बताए गए नियम.
तीन दिन का संयम
प्रेमानंद जी कहते हैं कि एकादशी व्रत का पूर्ण फल पाने के लिए तीन दिन का संयम रखना आवश्यक है – दशमी, एकादशी और द्वादशी. इन तीन दिनों में भोजन और आहार पर विशेष ध्यान रखना चाहिए. केवल शुद्ध और सात्विक भोजन ग्रहण करें और शरीर, मन व वाणी में संयम बनाए रखें.
क्या न करें
इस दौरान मांस, मछली, शराब या किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थों का सेवन वर्जित है. खेल-कूद, मोबाइल, टीवी या अनावश्यक मनोरंजन से बचें. किसी की निंदा, झूठ बोलना, चोरी या किसी को दुख पहुंचाना भी निषेध है. पान, धूम्रपान और अन्य अशुद्ध आहार से परहेज करें. जितना संभव हो, मौन रहने और ध्यान, भजन या कीर्तन में समय बिताने से व्रत का पुण्य बढ़ता है.
पूरी रात जागकर कीर्तन करें
एकादशी में पूरी रात जागकर कीर्तन या भजन करना श्रेष्ठ होता है. व्रत के दौरान फलाहार, दूध और पानी का सेवन करें.
व्रत का फल
प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, जो व्यक्ति इन नियमों का सही पालन करता है, वही एकादशी व्रत का पूर्ण पुण्य और आशीर्वाद प्राप्त करता है.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी केवल मान्यताओं और परंपरागत जानकारियों पर आधारित है. प्रभात खबर किसी भी तरह की मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है.

