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Eid-ul-Fitr 2021 Moon Sighting Date, Timings LIVE Updates: आज अल्लाह से मांगी गयी अमन-चैन की दुआ, जानिए इस पर्व से जुड़ी पूरी डिटेल्स…

Happy Eid, Eid ul Fitr 2021 Moon Sighting Date, Timing, Today in India LIVE Updates: खुशियों का त्योहार ईद-उल-फितर आज मनाया जाएगा. भारत में ईद का चांद दिखाई दे दिया है. ईद-उल-फितर को मीठी ईद (Eid Mubarak) के नाम से जाना जाता है. जिसे चांद रात मुबारक के बाद मनाया जाता है. इस त्योहार को मुस्लिम धर्म के लोग बड़े ही धूमधाम से मनाते है. भारत में ईद 14 मई यानि आज मनाए जाने की पूरी उम्मीद है, क्योंकि 13 मई की रात चांद नजर आ गया है. आइए जानते है ईद-उल-फितर से जुड़ी पूरी जानकारी...

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जामा मस्जिद में नहीं पढ़ी गई सामूहिक नमाज 

जामा मस्जिद में लगभग 161 साल में दूसरी बार ईद उल फितर की सामूहिक नमाज अदा नहीं की गई. कोरोना संक्रमण के कारण दूसरी बार ऐसा हुआ कि एक साथ लाखों रोजेदार अल्लाह के बारगाह में एक साथ सजदा नहीं कर पाए.

आज अल्लाह से मांगी जाती है अमन और चैन की दुआ

ईद उल फितर आज है. आज सुबह से ही लोग नए कपड़े पहनकर नमाज अदा कर रहे है. इस दिन अल्लाह से अमन और चैन की दुआ मांगते हैं. ईद-उल-फितर के मौके पर लोग खुदा का शुक्रिया इसलिए करते हैं क्योंकि अल्लाह उन्हें महीने भर रोजा रखने की ताकत देते हैं. ईद पर जकात (एक खास रकम) गरीबों और जरूरतमंदों के लिए निकाली जाती है.

Eid Mubarak 2021: जानें ये खास बातें...

ईद उल-फितर की नमाज को सलत अल-ईद भी कहा जाता है. ये नमाज ईद के मौके पर की जाती है. शिया और सुन्नी मुसलमान ये नमाज अपने-अपने तरीके से अदा करते हैं.

जानें क्यों मनाई जाती है ईद

मक्का से मोहम्मद पैगंबर के प्रवास के बाद पवित्र शहर मदीना में ईद-उल-फितर का उत्सव शुरू हुआ. मान्यता है कि पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने बद्र की लड़ाई में जीत हासिल की थी. इस जीत की खुशी में सबका मुंह मीठा करवाया गया था, इसी दिन को मीठी ईद या ईद-उल-फितर के रुप में मनाया जाता है.

ईद के दिन क्यों जरूरी है जकात...

रमजान में रोज़े रखने के दौरान भी जकात दी जाती है, लेकिन ईद के दिन नमाज से पहले गरीबों में जकात या फितरा देना जरूरी माना गया है. अल्लाह के रसूल का फरमान है कि ईद की नमाज से पूर्व सदका-ए-फितर अदा करना चाहिए. जिस व्यक्ति के पास साढ़े सात तोला सोना या 52 तोले से अधिक चांदी या इनके बराबर जरूरत से ज्यादा धन हो उनके लिए जकात फर्ज है.

624 ईस्वी में मनाई गई थी पहली बार ईद...

पहली बार ईद उल-फितर पैगंबर मुहम्मद ने सन् 624 ईस्वी में बद्र की लड़ाई में जीत हासिल करने के बाद मनाई थी. इस जीत की खुशी में सभी का मुंह मीठा करवाया गया था. उसके बाद से इस दिन को मीठी ईद या ईद-उल-फितर के रुप में मनाया जाने लगा.

ईद का महत्व

ईद मुस्लिम समुदाय का प्रमुख त्योहार है. इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन लोग एक- दूसरे के गले लगते हैं और ईद की मुबारकबाद देते हैं. यह दिन पुराने गिले- शिकवे भुलाकर नई शुरुआत करने का दि न है. इस दिन लोग अल्लाह से अपनी गुनाहों के लिए माफी मांगते हैं.

पंजाब के अमृतसर स्थित जामा मस्जिद खैरुद्दीन हॉल बाजार में नमाज पढ़ने के लिए बड़ी संख्या में जुटे लोग

जकात और फितरा

इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार रमजान के पावन त्योहार में जकात देना फर्ज होता है. ईद के दिन नमाज से पहले जकात देना जरूरी होता है. दान- दक्षिणा को जकात कहा जाता है. वहीं फितरा जकात से अलग होता है. इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार फितरा देना जरूरी नहीं होता है. व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुसार फितरा दे सकता है.

मीठी ईद के नाम से जाना जाता है इस त्योहार को

ईद-उल-फितर को मीठी ईद के नाम से जाना जाता है. रोजा समाप्त होने पर ईद का त्योहार मनाया जाता है. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, रमजान के बाद 10वें शव्वाल की पहली तारीख को ईद-उल-फितर मनाई जाती है.

इस दिन बनते हैं मीठे पकवान

ईद के पावन दिन घरों में मीठे पकवान बनाए जाते हैं। भारत में लगभग हर घर में सेवई बनाई जाती है.

ईद में रखें इन बातों का ध्यान

इस कोरोना काल में एहितियात बरतना और सामाजिक दूरी का पालन करना भी जरूरी है. ईद पर हाथ मिलाने और गले लगने से परहेज करना चाहिए.

नफरत मिटाने का संदेश देता है ईद उल-फितर का पर्व

ईद उल-फितर के दिन गरीबों को फितरा दिया जाता है. फितरा इसलिए दिया जाता है कि गरीब और मजबूर लोग भी ईद मना सकें और इस खास अवसर पर नये कपडे पहन सकें. ईद के दिन लोग एक दूसरे के दिल में प्यार बढ़ाने और नफरत मिटाने के लिए एक दूसरे से गले मिलते हैं.

सेंवई इस दिन का मुख्य पकवान

ईद के दिन मुस्लिम घरों में मीठे पकवान बनाए जाते हैं. जिसमें सेंवई प्रमुख है. मीठी सेंवई घर आए मेहमानों को खिलाई जाती है. साथ ही दोस्तों और रिश्तेदारों को भी ईदी बांटी जाती है.

कैसे मनाई जाती है ईद

  • इस दिन सुबह उठकर सबसे पहले एक खास नमाज अदा की जाती है.

  • फिर दोस्तों, रिश्तेदारों को ईद की बधाई देते हैं.

  • ईद वाले दिन सुबह सुबह नहा-धोकर नए कपड़े पहन कर घर और मस्जिदों में नमाज पढ़ी जाती है.

  • इसके बाद अल्‍लाह की बारगाह में अपने गुनाहों की माफी मांगी जाती है.

  • फिर अमन-चैन की दुआ की जाती है.

  • इसके अलावा ईद के दिन गरीबों, बेसहारा लोगों को जकात दी जाती है.

कोरोना संक्रमण का ध्यान में रखते हुए मनाए ईद का पर्व

कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए दारुल उलूम ने फतवा जारी किया है. जिसमें मस्जिद या फिर अन्य जगहों पर ईमाम सहित तीन या पांच लोगों के साथ ईद-उल-फितर की नामज अदा करने को कहा गया है. इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि मजबूरी में ईद की नमाज माफ है. विकल्प के तौर पर घरों में ही नमाज अदा की जा सकती है.

Posted by: Radheshyam Kushwaha

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