Dussehra 2025: दशहरा या विजयादशमी का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. इसी दिन मां दुर्गा ने महिषासुर नामक दानव का संहार किया था और लोगों को असत्य और पाप से मुक्ति दिलाई थी. साथ ही, भगवान राम ने लंका में रावण पर विजय प्राप्त की थी. इसलिए इस दिन रावण दहन की परंपरा शुरू हुई. इसे देखकर हम सीखते हैं कि सच्चाई और धर्म की हमेशा जीत होती है. दशहरे के दिन लोग अपने घर और समाज में सकारात्मक ऊर्जा फैलाने के लिए पूजा, भोग और मंत्रों का पाठ करते हैं. यह पर्व बच्चों और बड़ों दोनों के लिए उत्साह और श्रद्धा का समय होता है. लोग इस दिन मेलों, सजावट और रावण दहन कार्यक्रमों का आनंद भी लेते हैं.
इस शुभ मुहूर्त में करें पूजा
पहला शुभ मुहूर्त सुबह- 10:40 से 11:30 तक
दूसरा शुभ मुहूर्त- सुबह 11: 45 से 12:32 दिन तक (अभिजीत मुहूर्त)
पूजा विधि
दशहरे के दिन सबसे पहले स्वच्छ स्नान करें और मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें. इसके बाद भगवान श्री राम का जलाभिषेक करें. पंचामृत और गंगाजल से उनकी आराधना करें. उसके बाद राम जी को पीले चंदन और पीले फूल अर्पित करें और मंदिर में घी का दीपक जलाएं. पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान श्री राम और श्री हरि विष्णु की आरती करें. तुलसी के पत्तों समेत भोग अर्पित करें और अंत में क्षमा प्रार्थना करें.
श्रीराम मंत्र और लाभ
मंत्र:
ॐ दाशरथाये विद्महे सीता वल्लभाय धीमहि, तन्नो राम प्रचोदयात॥
लाभ:
यह मंत्र मन की शांति और बुद्धि को बढ़ाता है. यह ऊर्जा का संतुलन बनाए रखता है और भगवान राम से जीवन में सही दिशा दिखाने की शक्ति देता है.
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