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समलैंगिक विवाह के मसले को लेकर राष्ट्रपति के नाम राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन, झारखंड सिविल सोसाइटी ने की ये मांग

राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से झारखंड सिविल सोसाइटी के सक्रिय सदस्य गणों के एक प्रतिनिधिमंडल ने भेंट की एवं राष्ट्रपति के नाम से संबोधित मांग पत्र सौंपा. प्रतिनिधिमंडल एलजीबीटीक्यू के विषय में अपनी चिंता से राष्ट्रपति को अवगत कराने को लेकर एक आवेदन भी दिया.

रांची: समलैंगिक विवाह की मान्यता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मामले को लेकर झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से आज मंगलवार को झारखंड सिविल सोसाइटी के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की और राष्ट्रपति के नाम एक मांग पत्र सौंपा. प्रतिनिधिमंडल ने एलजीबीटीक्यू के विषय में अपनी चिंता से राष्ट्रपति को अवगत कराने को लेकर राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा. इसमें इस मुद्दे पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया गया है. झारखंड सिविल सोसाइटी के अनुसार समलैंगिक विवाह भारतीय पारिवारिक व्यवस्था पर कुठाराघात है. किसी भी सूरत में इसकी इजाजत नहीं दिए जाने का अनुरोध किया गया है.

भारतीय पारिवारिक व्यवस्था पर कुठाराघात

सर्वोच्च न्यायालय ने समलैंगिक विवाह की मान्यता को लेकर 5 सदस्यीय संवैधानिक खंडपीठ बनायी है, जो अयोध्या की तर्ज पर प्रतिदिन मामले की सुनवाई करेगी. देशभर के विभिन्न सामाजिक, महिला एवं अन्य संगठनों द्वारा इसे भारतीय पारिवारिक व्यवस्था पर कुठाराघात बताया जा रहा है. इससे होने वाली सामाजिक विकृति के संदर्भ में चिंता जतायी जा रही है. बड़ी संख्या में संगठनों ने राष्ट्रपति को पुनर्विचार के लिए आवेदन भी दिया है.

राज्यपाल को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा

28 अप्रैल 2023 को रांची प्रेस क्लब में करीब 50 से अधिक लोग जुटे. इसमें 20 से अधिक धार्मिक एवं सामाजिक संगठन सम्मिलित थे. इसी कार्यक्रम के दूसरे रूप में आज रांची में राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से झारखंड सिविल सोसाइटी के सक्रिय सदस्य गणों के एक प्रतिनिधिमंडल ने भेंट की एवं राष्ट्रपति के नाम से संबोधित मांग पत्र सौंपा. प्रतिनिधिमंडल एलजीबीटीक्यू के विषय में अपनी चिंता से राष्ट्रपति को अवगत कराने को लेकर एक आवेदन भी दिया. प्रतिनिधिमंडल में नेशनल फोरम फॉर विकर सेक्शन ऑफ द सोसाइटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कर्मचारी परिसंघ के नेता डॉ सहदेव राम, धार्मिक नेता स्वामी दिव्यज्ञान जी महाराज, रूनाद फाउंडेशन की प्रबंध निदेशक डॉ अर्पिता सूत्रधार, आईआईटीयन एवं ग्रामीण पुनर्निर्माण संस्थान के प्रबंध निदेशक अमलेंदु सरकार एवं जमीयत उलमा ए हिंद, झारखंड के महासचिव मौलाना डॉ असगर मिस्बाही शामिल थे.

मानसिक रूप से बीमार लोगों को कराया जाए इलाज

राज्यपाल से मिलने के बाद प्रेस वार्ता में प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि 142 करोड़ के देश में चंद सौ मानसिक रूप से विकृत लोगों के आग्रह पर यह कदम भारतीय पारिवारिक व्यवस्था पर चोट होगा. हजारों वर्षों के मानव जाति के विकास की प्रक्रिया के बाद भारतीय पारिवारिक व्यवस्था सर्वोत्तम मानी जाती है एवं इसी तर्ज पर पूरे विश्व में सभी समूह, धर्म, जाति में महिला एवं पुरुष ही विवाह के लिए अधिकृत हैं. किसी भी धर्म, संप्रदाय अथवा विचार के लोग आज तक एक पुरुष को पुरुष से तथा महिला को महिला से विवाह के लिए उचित कभी नहीं मानते हैं. ऐसे में चंद लोग मानसिक रूप से बीमार हैं, उन्हें साइकाट्रिस्ट से इलाज करवाने की व्यवस्था करवाने की जरूरत है. इस विषय में पुनर्विचार करना अति आवश्यक है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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