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ताइवान की हुआयु संवर्धन छात्रवृत्ति के लिए सीयूजे के पांच विद्यार्थी हुए चयनित

चीनी भाषा विशेषज्ञ और सीयूजे के शिक्षक सुशांत कुमार ने बताया कि आज चीनी भाषा की बाज़ार में काफी मांग है. रोजगार की दृष्टि से भी अन्य भाषाओं के मुकाबले इसमें रोजगार अधिक है.

रांची: ताइवान के शिक्षा मंत्रालय ने वर्ष 2023-2024 के शैक्षणिक कार्यक्रमों के लिए ‘हुआयु संवर्धन छात्रवृत्ति’ का रिजल्ट जारी किया. इसमें रांची के झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के सुदूर पूर्व भाषा विभाग के पांच चीनी भाषा सीखने वाले छात्रों को इस छात्रवृत्ति के लिए चुना गया है. इस छात्रवृत्ति के तहत झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के इन सभी छात्रों को ताइवान जाने और रहने के दौरान अपनी भाषा कौशल को बढ़ाने में सक्षम बनाया जाएगा. छात्रा प्राची गोयल और छात्र राहुल कुमार को ताइवान जाने और वहां पर रहकर भाषा संवर्धन के लिए 6 महीने की स्कॉलरशिप दी गई है.

31 सीटों के लिए 3500 से अधिक ने किया अप्लाई

हाल ही में प्राची गोयल और राहुल कुमार ने 22वीं चीनी ब्रिज प्रतियोगिता में अपने चीनी भाषा कौशल का शानदार प्रदर्शन किया था. सौरभ कुमार, रिंशु कुमार सिंह और आशुतोष कुमार को ताइवान में रहकर चीनी भाषा कौशल को विकसित करने के लिए 3 महीने की छात्रवृत्ति दी गई है. ये छात्र वहां की मूल संस्कृति और भाषा का गहराई से अध्ययन करेंगे. चीनी भाषा चित्रात्मक लिपि होने के कारण विश्व की सबसे कठिन भाषा मानी जाती है. वर्तमान समय में झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय पूर्वी भारत में चीनी भाषा सीखने के एक बड़ा केंद्र के रूप में उभरा है. चीनी भाषा सीखने के लिए प्रत्येक वर्ष इस विश्वविद्यालय में भारत के अनेक हिस्सों से विद्यार्थी यहां आते हैं. चीनी भाषा सीखने का क्रेज इस कदर है कि इस साल 31 सीटों के लिए 3500 से ज्यादा आवेदकों ने अप्लाई किया. विश्वविद्यालय के इस विभाग में बेहतरीन शिक्षकों के साथ-साथ बेहतर चीनी भाषा प्रयोगशाला एवं श्रव्य-दृश्य प्रयोगशाला की सुविधा है जो चीनी भाषा सीखने वालों को काफी मदद करती है.

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चीनी भाषा की बाजार में है काफी मांग

चीनी भाषा विशेषज्ञ और सीयूजे के शिक्षक सुशांत कुमार ने बताया कि आज चीनी भाषा की बाज़ार में काफी मांग है. रोजगार की दृष्टि से भी अन्य भाषाओं के मुकाबले इसमें रोजगार अधिक है. इसलिए इस भाषा की दिनोंदिन मांग बढ़ती जा रही है. विभाग के अन्य शिक्षक संदीप विश्वास ने बताया कि शिक्षकों की कोशिश रहती है कि विद्यार्थी अच्छी तरह इस भाषा को सीखें और उनको रोजगार मिले. विभाग की शिक्षिका डॉ अर्पणा राज ने बताया कि हाल के वर्षों में झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय चीनी भाषा सीखने का एक ऐसा केंद्र बनकर उभरा है, जहां से चीनी भाषा की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को भारत के अन्य विश्वविद्यालयों की अपेक्षा सबसे अधिक छात्रवृत्ति प्राप्त हुई है.

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Prabhat Khabar Digital Desk
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