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यात्रीगण कृपया ध्यान दें, अब उधमपुर से बारामुला तक जाएगी भारतीय रेल, ये है खासियत…

Indian Railways : उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेलवे लिंक की शुरुआत के साथ ही कटरा से श्रीनगर की दूरी महज तीन घंटे में तय की जा सकेगी. पहले सड़क मार्ग से इस दूरी को तय करने में छह घंटे का समय लगता था. यह रेल लिंक इसलिए भी बहुत खास है, क्योंकि इसके जरिए कश्मीर पूरे देश के रेलमार्ग से जुड़ गया है. 272 किलोमीटर के इस रेल लिंक में 36 सुरंग और 943 ब्रिज हैं.

Indian Railways : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 जून को उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेलवे लिंक ( Udhampur–Srinagar–Baramulla Rail Link) का उद्घाटन किया. यह रेलखंड देश के सबसे चुनौतीपूर्ण और ऐतिहासिक रेलवे परियोजनाओं में से एक है. यह रेल परियोजना उधमपुर, कटरा, बनिहाल, श्रीनगर होते हुए बारामुला तक जाती है. यह रेलवे लिंक बहुप्रतीक्षित था क्योंकि इसके जरिए कश्मीर को देश के प्रमुख रेल मार्ग से जोड़ दिया गया है. इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य कश्मीर घाटी को देश के अन्य रेल मार्गों से जोड़ना है, ताकि आवागमन आसान हो सके और पर्यटन और व्यापार को बढ़ावा मिले.

उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेलवे लिंक (USBRL) की क्या है खासियत

 Udhampur–Srinagar–Baramulla Rail Link
उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेलवे लिंक

उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल खंड की खासियत यह है कि इसके बनने से कश्मीर घाटी पूरे देश के रेल मार्गों से जुड़ गया है. इस रेलखंड की कुल लंबाई 272 किलोमीटर है. यह रेलखंड उधमपुर → कटरा → बनिहाल → श्रीनगर → बारामुला तक जाएगा. उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक को स्वतंत्र भारत में शुरू की गई सबसे महत्वाकांक्षी रेलवे परियोजनाओं में से एक माना गया है. हिमालय के चुनौतिपूर्ण भौगोलिक संरचना के बीच 272 किलोमीटर तक रेलवे लाइन बिछाना बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य था. इस कार्य में 43,780 करोड़ रुपये का खर्च आया है. इस परियोजना में 119 किलोमीटर तक फैली 36 सुरंगें हैं और घाटियों, चोटियों और पर्वतीय दर्रों को जोड़ने वाले 943 पुल शामिल हैं.

सबसे लंबा सुरंग टी-50

इस परियोजना के तहत सबसे लंबा सुरंग टी-50 सुरंग है, जो 12.77 किलोमीटर तक फैला है. सुरंग T50 में हर 50 मीटर पर सीसीटीवी कैमरा लगाया गया है, जो सुरक्षा के दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण है. भारतीय रेलवे ने परियोजना स्थलों तक पहुंच के लिए 215 किलोमीटर पहुंच पथ का निर्माण किया, ताकि आसपास के लोग आसानी से परियोजना तक पहुंच बना सकें. दुनिया का सबसे ऊंचा चिनाब ब्रिज भी इसी रेलखंड पर बनाया गया है. इसकी ऊंचाई नदी तल से 359 मीटर ऊपर है. यह एफिल टॉवर से 35 मीटर ऊंचा है. 1,315 मीटर तक फैला यह स्टील आर्च स्ट्रक्चर उधमपुर श्रीनगर बारामुला रेलवे लिंक का एक अहम हिस्सा है और भारतीय इंजीनियरिंग में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. कठोर इलाकों और चरम मौसम को झेलने के लिए बनाया गया यह पुल 260 किलोमीटर प्रति घंटे की हवा की गति को झेल सकता है और 120 साल तक टिकेगा. 1,486 करोड़ रुपये की खर्च से बनाया गया यह पुल भारत की तकनीकी ताकत का प्रतीक है. माइनस 10 से 40 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान के लिए उपयुक्त स्ट्रक्चरल स्टील का इसमें इस्तेमाल किया गया है.

कब मिली थी उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक को मंजूरी

6 जून को USBRL का उद्‌घाटन हुआ, लेकिन इसकी शुरुआत मार्च 1995 में हुई थी जब 2,500 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर परियोजना को मंजूरी दी गई थी. इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के अनुसार 2002 में USBRL को एक राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया था, लेकिन इस परियोजना पर काम तब तेजी से शुरू हुआ, जब केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार आई और उन्होंने जम्मू-कश्मीर में रेल लाइनें बिछाने पर जोर दिया.

Chinab-Bridge
चिनाब ब्रिज

USBRL से क्या हुआ बदलाव

उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक की वजह से अब कटरा से श्रीनगर महज तीन घंटे के अंदर पहुंचा जा सकता है. इस रेल लिंक से पहले कश्मीर घाटी में रेलगाड़ियां तो चलती थीं, लेकिन उनकी कनेक्टिविटी स्थानीय स्तर तक थी. अब कश्मीर घाटी देश के प्रमुख रेल मार्ग से जुड़ गया और अब कोई व्यक्ति दिल्ली या जम्मू सहित देश के अन्य इलाके से यहां रेलमार्ग से पहुंच सकता है. यह बहुत बड़ी उपलब्धि है. 2008 के बाद से भारतीय रेलवे ने श्रीनगर से बारामुला और फिर श्रीनगर से बनिहाल के बीच ट्रेनों का संचालन शुरू किया था. ये ट्रेनें कश्मीर घाटी के भीतर ही चलती थीं. ये ट्रेनें भारत के मुख्य रेल नेटवर्क से सीधे नहीं जुड़ी थीं. यात्रियों को जम्मू तक बस या टैक्सी से आना पड़ता था.

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