10.3 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

रियल इस्टेट में सुधार

सकल घरेलू उत्पादन में इस क्षेत्र का योगदान जल्दी ही 11 प्रतिशत तक हो सकता है. वर्ष 2030 तक 60 करोड़ लोग शहरों के वासी होंगे.

रोटी और कपड़ा के साथ मकान हमारी सबसे बुनियादी जरूरतों में शामिल है. लगातार आर्थिक विकास और तेज शहरीकरण के कारण आवास की मांग बढ़ती जा रही है, लेकिन निवेश व निर्माण में अपारदर्शी रवैये और कुप्रबंधन की समस्या हमारे देश में रियल इस्टेट का अपेक्षित विकास नहीं हो पा रहा है तथा खरीदारों को फ्लैट हासिल करने में अक्सर मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.

मध्य और निम्न आय वर्ग के लोग अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा दांव पर लगाते हुए बैंकों से कर्ज लेकर फ्लैट की बुकिंग करते हैं, पर शायद ही कभी उन्हें बिल्डर अपने वादे के मुताबिक फ्लैट दे पाते हैं. निर्माण में गुणवत्ता का अभाव भी चिंताजनक मसला है. इन समस्याओं के समाधान के लिए 2016 में 61 प्रावधानों के साथ रियल इस्टेट (नियमन एवं विकास) कानून (रेरा एक्ट) लागू हुआ था और 2017 में उसके शेष 31 प्रावधानों को भी अधिसूचित कर दिया गया था. लेकिन कई राज्यों ने इस कानून के आधार पर न तो ठीक से नियमावली तैयार की और न ही इसके समुचित पालन पर जोर दिया है.

इस वजह से इस कानून से बंधी उम्मीदें पूरी नहीं हो सकी हैं. पिछले साल अक्तूबर में सर्वोच्च न्यायालय ने इस संबंध में दाखिल एक याचिका की सुनवाई के दौरान कहा था कि देश में भवन निर्माता और खरीदार के बीच समझौते का एक आदर्श प्रारूप होना चाहिए ताकि उपभोक्ताओं यानी खरीदारों के हितों की रक्षा सुनिश्चित की जा सके. इस साल जनवरी में फिर इस न्यायालय ने अपने निर्देश पर जोर दिया था. फरवरी में अदालत ने केंद्र सरकार को कहा था कि वह तीन महीने के भीतर यह बताये कि राज्यों द्वारा तैयार नियमावली रेरा कानून के मुताबिक है कि नहीं तथा उससे घर खरीदनेवालों को सुरक्षा मिल रही या नहीं.

मार्च में केंद्र की ओर से राज्यों को इस संबंध में लिखा गया था. अभी तक केवल पांच राज्यों ने अपना जवाब भेजा है. अब अदालत को सीधे तौर पर राज्यों को आदेश देना पड़ा है. खंडपीठ ने केंद्रीय आवास मंत्रालय को यह भी कहा है कि राज्यों की नियमावलियों की समीक्षा रिपोर्ट को वह अपने वेबसाइट पर प्रकाशित कर सार्वजनिक करे. इससे आम जनता को भी स्थिति की जानकारी मिल सकेगी. इस संबंध में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि आखिर रेरा कानून के लागू होने के पांच साल बाद भी राज्यों ने इसे ठीक से लागू करने के लिए ठोस पहल क्यों नहीं की है.

सभी राज्यों का दावा है कि उनका जोर विकास पर है. रियल इस्टेट का लगातार विस्तार हो रहा है. आकलनों की मानें, तो सकल घरेलू उत्पादन में इस क्षेत्र का योगदान जल्दी ही 11 प्रतिशत तक हो सकता है. वर्ष 2030 तक 60 करोड़ लोग शहरों के वासी होंगे. ऐसे में विकास को गति देने और लोगों के हित सुरक्षित रखने के लिए रेरा प्रावधानों को देशभर में ठीक से लागू करने की जरूरत है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें